फोटो गैलरी

Hindi News लाइफस्टाइलमिर्गी नहीं लाइलाज बीमारी, सही समय पर इलाज मिलने पर हो सकती है ठीक

मिर्गी नहीं लाइलाज बीमारी, सही समय पर इलाज मिलने पर हो सकती है ठीक

मिर्गी इलाज के द्वारा ठीक किया जा सकता है। बावजूद मिर्गी के मरीजों को समय रहते सही इलाज नहीं मिल पाता। घर वाले मरीज को डॉक्टर के पास ले जाने के बजाय झाड़-फूंक के चक्कर में पड़े रहते हैं। ग्रामीण...

मिर्गी नहीं लाइलाज बीमारी, सही समय पर इलाज मिलने पर हो सकती है ठीक
वरीय संवाददाता,धनबादWed, 18 Nov 2020 05:47 PM
ऐप पर पढ़ें

मिर्गी इलाज के द्वारा ठीक किया जा सकता है। बावजूद मिर्गी के मरीजों को समय रहते सही इलाज नहीं मिल पाता। घर वाले मरीज को डॉक्टर के पास ले जाने के बजाय झाड़-फूंक के चक्कर में पड़े रहते हैं। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में इस बीमारी को लेकर भ्रांतियां अधिक हैं। जब बीमारी बढ़ जाती है तब लोग डॉक्टर के पास आते हैं। डॉक्टरों के अनुसार यह मरीज के लिए घातक है। इससे उसे ठीक करना काफी मुश्किल भरा हो जाता है और इलाज में काफी समय भी लगता है।

डॉ नरेश प्रसाद (एक्सपीरियंस्ड इन न्यूरो सर्जरी एंड एपिलेप्सी) के अनुसार मिर्गी लाइलाज बीमारी नहीं है। यह न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसका इलाज संभव है। इलाज थोड़ा लंबा जरूर चलता है।

मिर्गी के मरीजों को बिना एक भी दिन बंद किए लगातार तीन साल दवा खानी होती है। यदि लगातार तीन वर्षों तक मिर्गी का दौरा नहीं पड़ता है, तो माना जाता है कि मरीज ठीक हो गया है। इसके बाद दवा धीरे धीरे बंद की जाती है। इस दौरान मरीजों को थकान वाले काम से बचने की सलाह दी जाती है। रात में पूरी नींद लेना अति आवश्यक होता है।

समय पर इलाज से जल्द छुटकारा 
धनबाद के मनोचिकित्सक डॉ संजय कुमार के अनुसार 100 में 60 मरीज झाड़-फूंक के चक्कर में पड़कर देरी से डॉक्टर के पास आते हैं। कुछ लोग ही तुरंत डॉक्टर से मिलकर इलाज शरू करवाते हैं। डॉ संजय के अनुसार मिर्गी की किसी भी उम्र में कारण या बिना कारण किसी को भी हो सकता है। इसलिए इस बीमारी के प्रति सतर्क रहने की जरूरत है। समय पर इलाज कराने से यह ठीह हो जाता है। 

जागरूकता का अभाव
डॉक्टरों का कहना है कि मिर्गी को लेकर समाज में अभी भी कई तरह की भ्रांतियां मौजूद हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां शिक्षा दर अभी भी काफी कम है। मिर्गी को लोग भूत-प्रेत और बुरी आत्मा का साया समझ बैठते हैं। नतीजा मरीज को डॉक्टर के पास ले जाने के बजाय लोग ओझा गुनी के चक्कर में पड़ जाते हैं और समय और पैसा दोनों बर्बाद करते हैं। इसका सीधा नुकसान मरीज को उठाना पड़ता है।

दो तरह की होती है मिर्गी
डॉक्टरों के अनुससार आमतौर पर मिर्गी दो तरह की होती है। अधिकांश मरीजों के दिमाग के एक हिस्से में दौरा पड़ता है। ऐसे मरीज जल्दी ठीक होते हैं। कुछ मरीजों के पूरे दिमाग में दौरा पड़ता है। ऐसे लोगों की दवाएं लंबे समय तक चलती हैं और दवा खत्म होने के बाद भी दौरा पड़ने की आशंका बनी रहती है। कुछ को जिंदगी भर दवा खानी पड़ती है। कुछ मरीजों को ऑपरेशन की भी जरूरत पड़ती है।

मिर्गी के लक्षण
- दिमाग में करंट जैसा लगना
- झटके लगना
- शरीर में कंपन या अकड़न होना
- मुंह से झाग निकलना

मिर्गी के कारण
- सिर में चोट लगना या दिमागी बुखार आना
- अत्याधिक नशा का सेवन
- दिमाग में गांठ बनना या कीड़ा लगना

दौरा पड़ने पर क्या करें
- दौरा पड़ने पर मरीज को खुली हवा में रखें
- उसके आसपास भीड़ न लगाएं
- मरीज को करवट लिटा दें और उसके कपड़े ढीले कर दें

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें