उतार-चढ़ाव कितने भी आएं, सब हो जाएंगे पार
क्या आप जानते हैं पहले मुझे काफी अजीब महसूस होता था। अजीब इस तरह से कि जब मैं उठती थी तो पतंग की तरह ऊंचा उड़ती थी, आनंद से भरी होती थी, ईश्वर का शुक्रिया करती हुई प्रेम से भरी हुई रहती थी। अगले ही...
क्या आप जानते हैं पहले मुझे काफी अजीब महसूस होता था। अजीब इस तरह से कि जब मैं उठती थी तो पतंग की तरह ऊंचा उड़ती थी, आनंद से भरी होती थी, ईश्वर का शुक्रिया करती हुई प्रेम से भरी हुई रहती थी। अगले ही क्षण मैं निढाल हो जाती थी, भय से भरी और घबराई हुई, जैसे कुछ खतरनाक हुआ हो या होने वाला हो। मुझे यहां यह भी कबूल करना है कि मैंने अपने जीवन के इन उतार-चढ़ावों से काफी कुछ सीखा है और इन्हीं के चलते मैं यहां यह सब लिखने के लिए प्रेरित हुई हूं। यहां पेश हैं जीवन के उतार-चढ़ावों का सामना करने के लिए मेरे अनुभव किए कुछ सूत्र....
नाखुशी का कारण खोजना बंद करें
जीवन में उतार-चढ़ाव होते ही हैं। यह सामान्य प्रक्रिया है। अप्रसन्नता के कारण या स्रोत की खोज करने से आपको केवल और अधिक अप्रसन्नता ही हासिल होगी। इसलिए ठहरिये। मुझे बुरा क्यों लग रहा है? ये उतार-चढ़ाव मुझे ही क्यों झेलने पड़ रहे हैं? मैं इतना नाखुश क्यों हूं?-ऐसे सवाल खुद से पूछने के बजाय खुद से पूछें- मुझे खुशी कहां से मिलेगी? मुझे प्रसन्नता प्रदान करने वाली चीजें कहां से हासिल होंगी? जीवन का आनंद लेने वाली बातें कहां से प्राप्त करूं?
इसके बाद अपने दिमाग को इन चीजों की तलाश में लगा दें। ऐसी चीजें, जो आपको आनंद दें। न कि वे चीजें, जो आपको भीतर से जलाती रहें, निराश करें।
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‘किसी को खुद से यह सवाल नहीं करना चाहिए कि मैं निराश क्यों हूं? इस सवाल में एक ऐसा वायरस छिपा है ,जो अंदर सब कुछ खत्म कर देता है। यदि हम यह सवाल पूछते हैं तो हम यह जानना चाहते हैं कि हमें खुशी किस चीज से मिलेगी। इस सवाल के जवाब में हमें जो कारण समझ आएगा, अगर वह हमारी मौजूदा खुशी से अलग होगा तो हम उसके पीछे भागने लगेंगे या वहीं पर रहेंगे, पर पहले से अधिक निराशा के साथ।' -पाउलो कोएलो
खुद को ढील दें
कभी-कभी सुस्त हो जाना, ऊल-जुलूल बातें करना, गुस्सा होना या चिढ़ना कोई गलत बात नहीं है। आप हमेशा प्रसन्न नहीं रह सकते। इसलिए खुद के परफेक्ट न होने को लेकर ज्यादा गंभीर न हों। सकारात्मक लोग भी गुस्सा करते हैं, उनके भी बुरे दिन आते हैं।
‘मानव होने के नाते गुस्सा हमारे दिमाग का हिस्सा है। चिड़चिड़ापन भी हमारे दिमाग का हिस्सा है। लेकिन आप यह काम कर सकते हैं-गुस्सा आता है और जाता है। इसे अपने अंदर घर न करने दें, यह शक, अविश्वास और अनेक नकारात्मक भावनाओं और चिंताओं को जन्म देता है।' -दलाई लामा
हर बात पर यकीन न करें
जब मैं उत्साह में होती हूं तो मुझे अपने जीवन में अलग अनुभव होता है। जब निराश होती हूं तो मुझे यकीन ही नहीं होता कि ये मेरा जीवन है। मैं जीवन से सीख रही हूं कि डराने वाले विचार नुकसान करते हैं। जो विचार प्रेम से उपजते हैं, वे ही वास्तविक हैं। हर विचार पर भरोसा न करके, प्रसन्नता देने वाले विचारों पर भरोसा करें। भरोसा रखें वक्त बदलेगा। उम्मीदों का दामन थामे रखें।
‘निराशा का मुख्य कारण खास हालात नहीं होते, बल्कि उससे पैदा होने वाले विचार होते हैं। ऐसे नकारात्मक विचारों से बचें। उन्हें निष्पक्ष स्थितियों से अलग करके रखें।' -एकहार्ट टोल
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अपने विचारों को लेकर आप निराश न हों
जीवन विचित्र है। हमारे अंदर खजाना छिपा है, यह बताने के उसके तरीके हैं। चमत्कार निरंतर होते रहते हैं। यह सत्य है। अगर चीजें आपकी सोच के अनुरूप नहीं हो रहीं तो निराश न हों। यह देखें कि आप प्रेम और सहज भाव से व्यवहार क्यों नहीं कर पा रहे हैं? देखें कि क्या कोई पिछला घाव तो नहीं टीस रहा, कुछ लोग ऐसे तो नहीं रह गए, जिन्हें माफ न कर पाए हों। बीती बातों को जाने दें।
‘आप पूरे जीवन को समझें , केवल एक हिस्से को नहीं। इसलिए आप पढ़ें, आसमान को देखें, गाना गाएं, नाचें और कविता लिखें। इन्हें जीवन का हिस्सा समझें।' -कृष्णामूर्ति
किसी को दोष न दें
अंदर के विचारों के लिए बाहरी प्रभावों को दोष न दें। इससे आप कमजोर पड़ जाएंगे। खुद को हारा हुआ महसूस करेंगे। अपनी ताकत को न खोएं, बल्कि जो अनुभव कर रहे हैं, उसकी जिम्मेदारी लें।
‘बाहरी चीजों में ताकत होने की आपकी मान्यता के कारण आप अपनी ताकत को बाहरी चीजों में स्थानांतरित कर देते हैं। अपने आप पर भरोसा करें कि आप ही ताकत हैं और आपने गलती से अपनी ताकत बाहरी शक्तियों को स्थानांतरित कर दी थी।' -नेवेले गोडार्ड
कष्ट के साथ विकास आता है
हर समस्या, हर स्थिति आपको एक संदेश देते हैं। आपके आगे बढ़ने में, विस्तार में मदद करते हैं। अपने बुरे वक्त को भी अपने विकास के अवसर के रूप में देखें।
‘सभी समस्याओं को चुनौती के रूप में मानें। नकारात्मक में सकारात्मक पहलू खोजें। उनसे भागें नहीं, खुद को न कोसें या अपने बोझ को चुप्पी के सागर में न दबाएं। समस्या आई, कोई बात नहीं। सामना करें। खुद उसमें बेहतरी के मुद्दे खोजें।' -भन्ते हेनेपोला गुणारत्ना
अपने कमजोर पक्ष को स्वीकारें
जेस सी. स्कॉट ने एक बार कहा था, ‘सबसे चमकदार रोशनी के पीछे घुप अंधेरा भी होता है। मुझे लगता है यह सही है। जैसे-जैसे आप खुद को शुद्ध करते हैं, सार्थक, आनंदित और संतुलित जीवन जीने का प्रयास करते हैं, आपकी परछाइयां बड़ी होने लगती हैं। आपका अंधेरा पक्ष उजाले की मांग करने लगता है। आपको प्रेम की ओर जाने को प्रेरित करता रहता है।'
‘हमें अपने स्वभाव के अंधेरे पक्ष को देखने की जरूरत है। यही वह जगह है ,जहां पर ऊर्जा है, उन्माद है। लोग इससे घबराते हैं , क्योंकि इनमें वो कड़िया छुपी होती हैं, जिन्हें हम स्वीकार करने से कतराते हैं।' -सू ग्रेफ्टन
लेखक- ल्यूमिनिटा डी. सेवियुक (कला, मनोविज्ञान व अध्यात्म में रुचि। ‘15 थिंग्स यू शुड गिव अप टु बी हैपी' नामक चर्चित किताब की लेखिका।)