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बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनाने के लिए डे-केयर ने अपनाया ‘जंगल’ तरीका

यह माना जाता है कि मिट्टी और प्राकृतिक वातावरण में खेलने से बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। शहरी माहौल और कंक्रीट के घरों में बच्चों का मिट्टी से खेलना लगभग छूट चुका है, लेकिन फिनलैंड के एक...

बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनाने के लिए डे-केयर ने अपनाया ‘जंगल’ तरीका
एजेंसी,हेलसिंकीThu, 23 Sep 2021 11:22 AM

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यह माना जाता है कि मिट्टी और प्राकृतिक वातावरण में खेलने से बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। शहरी माहौल और कंक्रीट के घरों में बच्चों का मिट्टी से खेलना लगभग छूट चुका है, लेकिन फिनलैंड के एक डे-केयर ने इसके लिए खास व्यवस्था की है। बच्चे मिट्टी और हरे-भरे पेड़-पौधों में खेल सकें इसके लिए खासतौर से ‘जंगल’ बनाया गया है। एक प्रयोग के अनुसार केवल एक महीने के लिए जब इस छोटे से जंगल की हरियाली और मिट्टी के बीच बच्चों को खेलने की छूट दी गई तो उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली में पर्याप्त सकारात्मक बदलाव देखे गए।

बच्चों ने की पौधों की देखभालः
डे-केयर कर्मियों ने एक बड़े लॉन में कई किस्म के हरे-भरे वृक्ष लगाए। इस दौरान बच्चों को इन पौधों की देखभाल की जिम्मेदारी दी गई। पेड़-पौधों की देखभाल के समय बच्चों को मिट्टी से रूबरू होने का मौका मिला और उनकी त्वचा पर विविध रोगाणुओं के संपर्क के बाद बहुत कम समय में उनकी प्रतिरोधक क्षमता में बदलाव देखे गए।

कम वक्त में देखा गया बदलावः
फिनलैंड के पक्के, टाइल और कंक्रीट के डे-केयर में खेलने वाले शहरी बच्चों की तुलना में इन हरे-भरे जंगल वाले डेकेयर केंद्रों में खेलने वाले बच्चों के रक्त में टी-कोशिकाओं और अन्य महत्वपूर्ण प्रतिरक्षा में वृद्धि देखी है। तीन से पांच वर्षीय बच्चों में यह बदलाव सिर्फ 28 दिनों के भीतर देखा गया। हेलसिंकी विश्वविद्यालय के पर्यावरण वैज्ञानिक मारजा रोसलुंड का कहना है कि प्रयोग में हमने यह भी पाया कि हरियाली में खेलने वाले बच्चों की आंतों का माइक्रोबायोटा हर दिन जंगल में आने वाले बच्चों के आंतों के माइक्रोबायोटा के समान था।

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