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Covid-19: टीका आने में देरी पर जोर पकड़ेगा 'पॉक्स पार्टी' का चलन, बच्चों को जानबूझकर संक्रमित करेंगे मां-बाप

कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक युद्धस्तर पर टीके के निर्माण में जुटे हैं। हालांकि, आजमाइश से जुड़ी चुनौतियों के मद्देनजर इसके चिकित्सकीय इस्तेमाल के लिए उपलब्ध में थोड़ा समय...

Covid-19: टीका आने में देरी पर जोर पकड़ेगा 'पॉक्स पार्टी' का चलन, बच्चों को जानबूझकर संक्रमित करेंगे मां-बाप
एजेंसी,लंदनSat, 24 Oct 2020 01:57 PM
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कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक युद्धस्तर पर टीके के निर्माण में जुटे हैं। हालांकि, आजमाइश से जुड़ी चुनौतियों के मद्देनजर इसके चिकित्सकीय इस्तेमाल के लिए उपलब्ध में थोड़ा समय लगेगा। ऐसे में बड़ी संख्या में अभिभावक अपने बच्चों को विवादास्पद ‘पॉक्स पार्टी’ में भेजने का फैसला ले सकते हैं। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर पॉल लेहनर ने हाल ही में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में यह आशंका जताई।

‘पॉक्स पार्टी’ की उत्पत्ति चेचक से बचाव के लिए की गई थी। बाद में टीके का विकास न होने तक फ्लू और खसरा सहित अन्य संक्रामक रोगों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाने लगा।

दरअसल, ऐसी पार्टियों में मां-बाप अपने स्वस्थ बच्चों को जानबूझकर संक्रमितों के संपर्क में लाते हैं, ताकि उनमें कम उम्र से ही वायरस से लड़ने की क्षमता विकसित हो जाए। माना जाता है कि बच्चों की प्रतिरोधक प्रणाली वायरस के खिलाफ अलग तरह से प्रतिक्रिया देती है। ऐसे में संक्रमित होने पर वयस्कों के मुकाबले उनके गंभीर अवस्था में जाने या मौत के मुंह में समाने की आशंका बेहद कम रहती है।

क्या है ‘पॉक्स पार्टी’-
-‘पॉक्स पार्टी’ में मां-बाप अपने स्वस्थ बच्चों को वायरस से जूझ रहे बच्चों के साथ खाने-पीने, घुलने-मिलने और खेलने-कूदने के लिए प्रेरित करते हैं। इसका मकसद बच्चों की प्रतिरोधक प्रणाली को वायरस के संपर्क में लाना है, ताकि वह उसके खिलाफ एंटीबॉडी बना सके। अविकसित और सुदूर क्षेत्र, जहां सीमित स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं, वहां बड़े पैमाने पर ‘पॉक्स पार्टियों’ का आयोजन होता है।

आग से खेलने जैसा : विशेषज्ञ-
-हालांकि, विशेषज्ञ बच्चों को जानबूझकर जानलेवा संक्रमण के संपर्क में लाने के चलन को आग से खेलने जैसा बता रहे हैं। उनके मुताबिक सार्स-कोव-2 वायरस लंबे समय तक टिकेगा। ‘हर्ड इम्युनिटी’ इससे बचाव का एकमात्र जरिया है, फिर चाहे वो टीके से विकसित हो या फिर प्राकृतिक संक्रमण से। हालांकि, वायरस की मारक क्षमता को देखते हुए जानबूझकर संक्रमण की जद में आना बेवकूफी है।

आशंका-
-कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ ने जताया अनुमान
-चेचक और फ्लू से बचाव के लिए ऐसी पार्टियों का होता था आयोजन
-प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने को संक्रमितों के बीच भेजे जाते थे बच्चे

आकलन-
-0.06% के करीब दर्ज की गई है 17 साल तक के कोरोना संक्रमितों की मृत्युदर वैश्विक स्तर पर
-60% आबादी में प्रतिरोधक क्षमता पैदा होना अहम बता रहे विशेषज्ञ आम जीवन बहाल करने को

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