Covid-19:खिड़की खोलकर सोने वालों में कोरोना का खतरा कम, अध्ययन में दावा
यूं तो खिड़की खोलकर या बंद करके सोना इनसान की पसंद-नापसंद पर निर्भर करता है, लेकिन ब्रिटेन स्थित एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के हालिया अध्ययन की मानें तो इसका सीधा असर सेहत पर भी पड़ सकता है। अगर आप छोटे...
यूं तो खिड़की खोलकर या बंद करके सोना इनसान की पसंद-नापसंद पर निर्भर करता है, लेकिन ब्रिटेन स्थित एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के हालिया अध्ययन की मानें तो इसका सीधा असर सेहत पर भी पड़ सकता है। अगर आप छोटे घरों में कई लोगों के साथ रह रहे हैं तो कोरोना सहित अन्य जानलेवा संक्रमण से बचाव के लिए खिड़की खोलकर सोने में ही भलाई है।
शोधकर्ता लिंडा बॉल्ड के मुताबिक हवा के बहाव (वेंटिलेशन) की खराब व्यवस्था होने पर ‘एयरोसोल’ के संक्रमित कणों के संपर्क में आने का जोखिम बढ़ जाता है। नाक और मुंह से निकलने वाली पानी की ये सूक्ष्म बूंदें वायरस को दो मीटर से अधिक दायरे में फैलाने की क्षमता रखती हैं।
लिंडा ने दावा किया कि वेंटिलेशन की व्यवस्था दोगुनी करके बंद जगहों पर कोविड-19 संक्रमण के प्रसार का जोखिम आधा किया जा सकता है। इसकी मुख्य वजह संक्रमित एयरोसोल से लैस अंदर की दूषित हवा का बाहर बहने वाली स्वच्छ वायु से लगातार बदलते रहना है।
लिंडा के अनुसार घरों के खिड़की-दरवाजे खुले रखना सार्स-कोव-2 वायरस से बचाव में खासा मददगार साबित हो सकता है। विशेषज्ञों को मास्क पहनने, नियमित अंतराल पर हाथ धोने और छह फीट की सामाजिक दूरी का पालन करने जैसे एहतियाती उपायों की तरह ही लोगों को खिड़की-दरवाजे भी ज्यादा से ज्यादा खुले रखने की सलाह देनी चाहिए।