इन दिनों खिड़की-दरवाजों से लेकर सीढ़ियों की रेलिंग, फर्नीचर और बाथरूम फिटिंग्स तक को शाही लुक देने के लिए तांबे के इस्तेमाल का चलन जोर पकड़ रहा है। ब्रिटेन स्थित साउथैम्प्टन यूनिवर्सिटी के हालिया अध्ययन की मानें तो घर की साज-सज्जा में तांबे का प्रयोग कोरोना संक्रमण से बचाव में भी कारगर साबित हो सकता है।
दरअसल, अन्य धातुओं के मुकाबले तांबे से निर्मित सतहों पर सार्स-कोव-2 वायरस सबसे कम समय तक जिंदा रह पाता है। शोधकर्ता चार्ली स्मालबोन के मुताबिक तांबा कोविड-19 के प्रसार पर लगाम लगाने में मददगार है। अध्ययन में देखा गया कि सार्स-कोव-2 वायरस प्लास्टिक और स्टेनलेस स्टील की सतह पर 72 घंटे तक जीवित रहता है। लेकिन तांबे की सतह पर इसका अस्तित्व घंटेभर, कई बार तो चंद मिनट में ही समाप्त हो जाता है।
उन्होंने बताया कि मानव जाति सदियों से तांबे के चिकित्सकीय गुणों का लोहा मानती आई है। मिस्र के लोग जख्म को जल्दी भरने के लिए उसे तांबे के पानी से सेंकते थे। वहीं, मेक्सिको में एज्टेक समुदाय के लोग गले की खराश दूर करने के लिए ताबे के पात्र में गर्म किए गए पानी से गरारा करते थे।
स्मालबोन ने कहा कि बाथरूम और किचन में तांबे के नल व वॉश बेसिन लगाना संक्रमण से बचाव के लिहाज से फायदेमंद साबित हो सकता है। खिड़की-दरवाजों के हैंडल और सीढ़ी-बालकनी की रेलिंग में तांबे का प्रयोग भी बेहद लाभदायक है।