देश में एक मार्च से 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन की खुराक मिलनी शुरू हो जाएगी। इसके साथ ही कैंसर, शुगर और हाइपरटेंशन के 45 साल से अधिक उम्र के उच्च जोखिम वाले लोगों को टीका मिलना शुरू होगा। इस संबंध में लोगों के प्रश्नों के जवाब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय व अन्य प्रतिष्ठित संस्थान के विशेषज्ञों के हवाले से दिए गए हैं।
1. बुजुर्गों को ही सबसे पहले टीका देने की क्या जरूरत है?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का दिसंबर तक का डाटा बताता है कि देश में संक्रमण से पिछले साल हुई कुल मौतों में सर्वाधिक 55% वे लोग थे जिनकी उम्र 60 साल से अधिक थी। ऐसे में जरूरी है कि सर्वाधिक पीड़ित आयुवर्ग वालों को सबसे पहले सुरक्षित किया जाए ताकि संक्रमण की भयावहता भी कम हो।
2. पहले से रोगों से पीड़ित बुजुर्ग टीका लेते समय क्या सावधानी बरतें?
टीका लगवाने के दिन जुकाम-बुखार होने पर तबीयत ठीक होने के बाद ही टीका लगवाएं। टीकाकरण केंद्र पर मौजूद डॉक्टर को अपने रोगों को दवाओं की सही जानकारी दें ताकि वह फैसला ले सके कि आपके लिए टीका लेना उचित है या नहीं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि कैंसर, उच्च रक्तचाप, मधुमेह जैसे रोगों से पीड़ित लोग उच्च जोखिम वालों में आते हैं, उन्हें जरूर टीका लगवाना चाहिए।
3.बुजुर्गों को उनका परिवार किस तरह टीकाकरण के लिए प्रेरित करें?
बुजुर्गों को बताएं कि उम्रदराज लोगों के संक्रमित होने और मौत का खतरा बहुत ज्यादा है। टीका लगवाने से न सिर्फ वे सुरक्षित रहेंगे बल्कि उनके आसपास के लोगों को भी सुरक्षा मिलेगी। उन्हें बताएं कि टीकाकरण केंद्र पर स्वास्थ्य जांच के पर्याप्त साधन मौजूद होंगे, वे टीका लगवाने के बाद कम से कम आधे घंटे वही पर आराम करें। बाद में कोई समस्या आए तो आशा, एएनएम, या स्वास्थ्य विभाग को तुरंत जानकारी दें।
4. कोई बुजुर्ग जो यह मानता हो कि अब उसकी ज्यादा उम्र नहीं बची है, क्या उसे टीका लगवाना चाहिए?
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि उम्रदराज लोगों के लिए टीका लगवाना इसलिए बहुत जरूरी है क्योंकि इससे न सिर्फ उनके संक्रमित होने का खतरा बहुत हद तक कम हो जाएगा, बल्कि दुनिया की वह आबादी सुरक्षा पा सकेगी जो सबसे ज्यादा संकट झेल रही है। टीकाकरण ही देश और दुनिया को महामारी से बाहर निकालने का रास्ता है।
5. संक्रमित होकर ठीक हो चुके किसी बुजुर्ग के लिए क्या टीका लगवाना जरूरी है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोरोना संक्रमण के बाद व्यक्ति के शरीर में विकसित होने वाली एंटीबॉडीज अस्थायी सुरक्षा देती हैं इसलिए कई लोग दोबारा संक्रमित हो जाते हैं। कोविड-19 के संक्रमण से स्थायी सुरक्षा के लिए जरूरी है कि वैक्सीन ली जाए। हालांकि कोरोना के सक्रिय मरीजों को टीका न लेने की सलाह दी जाती है। सरकार के मुताबिक, संक्रमण के लक्षण समाप्त हो जाने के 14 दिन बाद वह व्यक्ति टीका लगवा सकता है।
6. क्या टीका लगवा चुके बुजुर्ग मास्क लगाए बिना बाहर घूम सकते हैं?
बुजुर्ग याद रखें कि उन्हें टीके की दो खुराकें 28 दिन के अंतर पर लगायी जाएंगी। दूसरी खुराक लगने के 14 दिन बाद ही शरीर में एंटीबॉडीज बनना शुरू होती है इसलिए इस पूरी अवधि में विशेष सतर्कता बरतें। यह ध्यान रहे कि जब तक पूरी दुनिया की बड़ी आबादी को टीका नहीं लग जाता, सभी को बचाव के नियमों का पालन करना होगा।
7. दुनिया में अब तक बुजुर्गों को लगाए गए टीके में किस तरह के प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिले हैं?
अब तक दुनिया में 20 करोड़ लोगों को टीके की कम से कम एक-एक खुराक मिल चुकी है। अब तक करीब कुल 11.2 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं। मेलबर्न विश्वविद्यालय की टीकाकरण विशेषज्ञ मार्गी डैनचिन का कहना है कि अब तक दुनिया में कम और ज्यादा गंभीर प्रतिकूल प्रभाव के जो मामले सामने आए हैं, वे बताते हैं कि टीके का प्रतिकूल प्रभाव दीर्घकालिक नहीं है।ज्यादातर मामलों में यह असर टीका लगने के कुछ घंटों से लेकर दो-तीन दिन के भीतर तक देखा गया।
ऐसे में जरूरी है कि टीका लगवाने वाला व्यक्ति अपने शरीर के लक्षणों पर ध्यान दे और उसकी शुरूआती निगरानी ठीक तरह से हो। दूसरी ओर, भारत का स्वास्थ्य मंत्रालय बताता है कि टीका लगने के बाद बुखार, दर्द जैसे हल्के लक्षण दिखायी दे सकते हैं जो सामान्य बात है। भारत में अब तक हुए टीकाकरण में बहुत कम प्रतिकूल असर के मामले सामने आए हैं।
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