महामारी के इस वक्त में लोग वैज्ञानिकों पर अपने नेताओं से ज्यादा भरोसा करने लगे हैं। प्यू रिसर्च के एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है। सर्वे में पाया गया कि भले वायरस को पूरी तरह समझने और इसका टीका बनाने में वैज्ञानिकों को समय लग रहा हो पर लोग मानते हैं कि वैज्ञानिक शोध ही उन्हें कोरोना पर जीत दिला सकते हैं।
वैज्ञानिकों ने कोविड-19 से पूर्व किए अध्ययनों ने पाया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जेनेटिकली मॉडिफाइड भोजन और अंतरिक्ष में नई-नई खोज के कारण लोगों के मन में वैज्ञानिकों के प्रति सकारात्मकता बढ़ रही थी।
भारतीयों का वैज्ञानिकों में भरोसा सबसे ज्यादा-
बीस देशों में किए सर्वे में औसतन 36% लोगों को वैज्ञानिकों पर बहुत अधिक भरोसा है, वे मानते हैं कि वैज्ञानिक जो कुछ भी करेंगे, वह उनके भले के लिए होगा। 20 देशों के सर्वे में सबसे ज्यादा 59% भारतीय वैज्ञानिकों पर बहुत अधिक विश्वास करते हैं।
इस सूची में दूसरे व तीसरे नंबर पर 48-48% के साथ ऑस्ट्रेलिया और स्पेन हैं। वहीं, ब्रिटेन में ऐसा मानने वाले 42% और अमेरिका में 38% हैं। हालांकि अमेरिका में 39% लोग मानते हैं कि उन्हें वैज्ञानिकों के काम पर कुछ हद तक विश्वास है।
वैज्ञानिक सोच वाला नेता चाहते-
संक्रमण रोकने में नाकाम रहीं वैश्विक नेताओं की नीतियों का आमलोगों पर नकारात्मक असर पड़ा है। सर्वे में पाया कि 80% लोग मानते हैं कि उनका नेता वैज्ञानिक सोच वाला हो ताकि वह विज्ञान से जुड़े संकटों का गंभीरता से सामना कर पाए। सर्वे में यह भी पाया गया कि दक्षिणपंथ की तुलना में वामपंथ विचारधारा वाले लोग विज्ञान व वैज्ञानिकों पर ज्यादा भरोसा करते हैं ।
भारत समेत 20 देशों में अध्ययन-
यह अंतरराष्ट्रीय सर्वे तीन महाद्वीपों के 20 देशों में हुआ। जिसमें भारत, अमेरिका, कनाडा, ब्राजील, रूस, ब्रिटेन, चेक रिपब्लिक, स्पेन, फ्रांस, नीदरलैंड्स, स्वीडन, इटली, सिंगापुर, फ्रांस, रूस, मलेशिया, पोलैंड, जापान, ताइवान, दक्षिण कोरिया शामिल हैं।
इन पर भरोसा घटा-
20 देशों के औसतन 36% लोगों को वैज्ञानिकों के साथ सेना पर भी भरोसा है मगर वे नेता, उद्यमी, अपनी राष्ट्रीय सरकार और मीडिया पर कम भरोसा करते हैं। इसका कारण महामारीकाल में नौकरियां जाना, फर्जी खबरों का बढ़ना और नेताओं में वेज्ञानिक सोच का न होना माना गया है।