फोटो गैलरी

Hindi News लाइफस्टाइलचमगादड़ से इंसान में पहुंचे कोरोना में मनुष्यों को संक्रमित करने की रेडीमेड क्षमता, वैज्ञानिकों ने किया दावा

चमगादड़ से इंसान में पहुंचे कोरोना में मनुष्यों को संक्रमित करने की रेडीमेड क्षमता, वैज्ञानिकों ने किया दावा

कोरोना वायरस चमगादड़ से निकलकर मामूली बदलाव के साथ इंसानों के शरीर में प्रवेश कर गया। यह दावा ताजा शोध के आधार पर वैज्ञानिकों ने किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक कोरोना मनुष्यों और अन्य स्तनधारियों को...

चमगादड़ से इंसान में पहुंचे कोरोना में मनुष्यों को संक्रमित करने की रेडीमेड क्षमता, वैज्ञानिकों ने किया दावा
एजेंसी ,नई दिल्लीMon, 15 Mar 2021 12:46 PM
ऐप पर पढ़ें

कोरोना वायरस चमगादड़ से निकलकर मामूली बदलाव के साथ इंसानों के शरीर में प्रवेश कर गया। यह दावा ताजा शोध के आधार पर वैज्ञानिकों ने किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक कोरोना मनुष्यों और अन्य स्तनधारियों को संक्रमित करने की रेडीमेड क्षमता के साथ अस्तित्व में आया। लेकिन इस वायरस का विकास सबसे पहले चमगादड़ में हुआ। 

इसके अलावा यह वायरस मानव शरीर के प्रति अनुकूलन स्थापित करने के लिए खुद में बदलाव करने में माहिर है। अपनी इसी क्षमता के कारण वायरस इंसान से इंसान के बीच तेजी से फैलता है।

शोध के मुताबिक चमगादड़ से निकले मूल कोरोना वायरस ने खुद को मानव शरीर के अनुकूलन बनाने के लिए स्वयं में थोड़ा बदलाव किया। यह अध्ययन पीएलओएस बायोलॉजी नामक जर्नल में छपा है।

शोध के दौरान कोरोना (सार्स-कोव-2 वायरस) के लाखों जीनोम की सिक्वेंसिंग की गई। इसमें पाया गया कि महामारी फैलने के पहले 11 महीनों के दौरानों कोरोना में मामूली आनुवंशिक परिवर्तन हुए। लेकिन इस दौरान यह भी पाया गया कि कुछ परिवर्तन जैसे कि डी614जी उत्परिवर्तन से वायरस की बायोलॉजी बदल गई। इसी तरह के परिवर्तन वायरस के स्पाइक प्रोटीन में हुए। शोध में शामिल यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो के ऑस्कर मैकलीन ने कहा-विकास के लिहाज से कम महत्व के बहुत से म्यूटेशन (उत्परिवर्तन) ने मिलकर इसकी संक्रमण क्षमता को बढ़ा दिया। 

तेजी से रूप बदल रहा:  
कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्ति दिलाने के लिए मानव प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की तरकीब अभी भले ही कारगर है, लेकिन वायरस जनवरी 2020 के अपने स्वरूप में तेजी से बदलाव कर रहा है। अब तक के सभी टीके कोरोना के पुराने स्वरूप को लेकर बनाए गए हैं। मौजूदा टीका भले ही ज्यादातर नए स्वरूप के खिलाफ कारगर होंगे, लेकिन समय बीतने के साथ जैसे-जैसे टीका युक्त और टीका रहित लोगों के बीच का अंतर बढ़ेगा, यह वायरस टीके को चकमा देना शुरू कर सकता है। 

वैश्विक आबादी का तेज टीकाकरण जरूरी :
यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो के विशेषज्ञ डॉ. एल राबर्टसन ने कहा कि शुरू में कोरोना रोधी टीका विकसित करने की दौड़ थी। लेकिन अब असल चुनौती वैश्विक अस्तर पर ज्यादा से ज्यादा आबादी का जल्द से जल्द टीकाकरण करने की चुनौती है। 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें