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Covid-19 Side Effects: कोरोना को मात दे चुके बुजुर्गों को अब घेर रहा जेट लैग सिंड्रोम, ये है वजह

कोरोना से जंग जीत चुके बुजुर्ग जेट लैग सिंड्रोम की गिरफ्त में जा रहे हैं। दिनचर्या उल्टी-पुल्टी हो रही है। दिन में सोते हैं और रात भर जगते हैं। ऐसे मरीज फॉलोअप में आ रहे हैं। हालांकि कोशिश करने पर...

Covid-19 Side Effects: कोरोना को मात दे चुके बुजुर्गों को अब घेर रहा जेट लैग सिंड्रोम, ये है वजह
वरिष्ठ संवाददाता,कानपुरWed, 21 Oct 2020 12:57 PM
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कोरोना से जंग जीत चुके बुजुर्ग जेट लैग सिंड्रोम की गिरफ्त में जा रहे हैं। दिनचर्या उल्टी-पुल्टी हो रही है। दिन में सोते हैं और रात भर जगते हैं। ऐसे मरीज फॉलोअप में आ रहे हैं। हालांकि कोशिश करने पर कुछ दिनों में यह बीमारी अपने आप ठीक हो जाती है। कुछ ही मरीजों को दवाओं की जरूरत पड़ती है।

ज्यादातर यह बीमारी उन्हीं लोगों को हो रही है जो लम्बे समय तक आईसीयू में भर्ती थे और उनकी उम्र अधिक है। ये लोग बाईपैप या वेंटीलेटर के सहारे थे और ठीक होकर घर गए हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, आमतौर पर यह बीमारी अधिक हवाई यात्रा करने वाले उन लोगों को होती है जो लम्बी दूरी तय करते हैं, जिसमें दिन और रात में भारी अंतर पाया जाता है। वैसे यह बीमारी आईसीयू में भर्ती मरीजों को भी होती है जिसके कुछ ही केस सामने आते हैं। कोरोना के 20 फीसदी रोगियों में यह बीमारी देखी जा रही है।

सुबह की धूप व हवा में निकलने की सलाह-
डॉ. गणेश शंकर के मुताबिक जो लोग अस्पताल में लम्बे समय तक रहे हैं या जिन्हें बाईपैप और वेंटीलेटर पर रखने की जरूरत पड़ी है, उन लोगों को सुबह की धूप में निकलकर ताजी हवा लेनी चाहिए। घर के कमरे की खिड़की और दरवाजे खुले रखें।

आईसीयू में ठीक हुए लोगों को ये दिक्कतें-
-अनिद्रा या दिन में सोने की आदत, रात में नींद नहीं आना
-दिन में थकान महसूस करना और मूड खराब रहना
-किसी काम में मन नहीं लगना, काम टाल देना 
-यह अहसास करना कि हम स्वस्थ नहीं हैं
-पेट में दर्द का अहसास, कब्ज और डायरिया की शिकायत

वजह-
आईसीयू पैक होता है। खिड़की-दरवाजे नहीं होते हैं। इसलिए दिन-रात एक जैसे होते हैं। ऐसे में कुछ मरीजों में रात को निकलने वाले हॉरमोन बिगड़ जाते हैं। आमतौर पर वे हॉरमोन जो नींद के लिए सबसे जरूरी हैं, मसलन मेलाटोनिन हॉरमोन निकलने का सिग्नल ब्रेन से नहीं मिल पाता है। नतीजे में नींद बिगड़ जाती है। वैसे भी अक्सर इलाज के दौरान मरीजों को नींद की दवाएं देनी पड़ती हैं, उससे भी स्थिति बिगड़ जाती है। कुछ दिनों में यह बीमारी ठीक भी हो जाती है। 
-प्रो. एके आर्या, आईसीयू प्रभारी, न्यूरोकोविड अस्पताल हैलट

इंसान के ब्रेन में वातवारण के हिसाब से घूमने वाली एक क्लॉक होती है। उसी के मुताबिक ब्रेन मेलाटोनिन हॉरमोन को निकलने का सिग्नल देता है। यह सरकेडियन रिदम बिगड़ जाता है। यानी एक तरह से हॉरमोन निकालने वाले ग्रंथि कंफ्यूज हो जाती है, जिससे समय का अंदाजा नहीं चल पाता है। विश्व के विभिन्न जोनों में हवाई यात्रा करने वाले लोगों में यह बीमारी देखी जाती है। नींद डिस्टर्ब हो जाती है। वैसे इस तरह कोविड से ठीक हुए लोगों में भी यह दिक्कत है।
- डॉ. गणेश शंकर, मनोरोग विशेषज्ञ, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज

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