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किडनी को नुकसान पहुंचा रहा कोरोना वायरस, इन लक्षणों को न करें अनदेखा

कोरोना की दूसरी लहर में किडनी रोगियों को खासतौर पर सतर्क रहने की जरूरत है। सार्स-कोव-2 वायरस से संक्रमित होकर अस्पताल पहुंचने वाले लगभग 25 से 30 फीसदी मरीजों में किडनी व मूत्र संबंधी विकार दर्ज होना...

किडनी को नुकसान पहुंचा रहा कोरोना वायरस, इन लक्षणों को न करें अनदेखा
वरिष्ठ संवाददाता,नई दिल्लीMon, 14 Jun 2021 10:02 AM
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कोरोना की दूसरी लहर में किडनी रोगियों को खासतौर पर सतर्क रहने की जरूरत है। सार्स-कोव-2 वायरस से संक्रमित होकर अस्पताल पहुंचने वाले लगभग 25 से 30 फीसदी मरीजों में किडनी व मूत्र संबंधी विकार दर्ज होना इसकी मुख्य वजह है।

सफदरजंग अस्पताल में नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर हिमांशु वर्मा के मुताबिक कोरोना की वजह से मरीजों में ग्लोमेरुलो नेफ्राइटिस की समस्या सामने आ रही है। इस बीमारी में पेशाब में प्रोटीन और खून का स्त्राव होने लगता है। हालांकि, इससे किडनी की कार्यप्रणाली पर असर नहीं पड़ता, पर मरीजों के सतर्क हो जाने और फौरन डॉक्टर से संपर्क करने में ही भलाई है।

अंग खराब होने की आशंका
सार्स-कोव-2 वायरस फेफड़ों के जरिये रक्तवाहिकाओं में पहुंचकर किडनी सहित विभिन्न अंगों को प्रभावित कर सकता है। आईसीयू में भर्ती पांच फीसदी मरीज तो ‘एक्यूट किडनी फेलियर’ तक के शिकार हो रहे हैं। इसमें उन्हें डायलिसिस पर रखने की जरूरत पड़ती है। ऐसे मरीजों के कोरोना से दम तोड़ने की आशंका भी अधिक पाई गई है।

समय रहते सही इलाज जरूरी
डॉ. वर्मा ने बताया कि पहले से किडनी के मरीज जो स्थिर थे, लेकिन कोरोना के दौरान उनकी किडनी पर असर पड़ा, उन्हें भी गंभीर अवस्था में जाने से रोका जा सकता है। बशर्ते, वे घबराएं नहीं और सही इलाज लें। समय रहते सही इलाज मिलने पर 80 साल तक की उम्र के ऐसे मरीज भी ठीक होकर घर लौटे हैं, जिन्हें किडनी की गंभीर बीमारी थी। 

कुछ मामलों में होता है डायलिसिस 
डॉ. वर्मा ने स्पष्ट किया कि सार्स-कोव-2 वायरस की जद में आए कुछ ऐसे लोग, जो पहले से किडनी के मरीज थे, उनमें से बहुत कम को कोरोना की वजह से पूरी तरह से डायलिसिस पर निर्भर होना पड़ता है। कुछ मामलों में पेशाब में वायरस मिलना यह दर्शाता है कि संक्रमण किडनी में भी पहुंच सकता है। हालांकि, ऐसा बहुत कम मरीजों में होता है। 

डॉक्टर से राय-मशविरा के बाद ही लें स्टेरॉयड
-कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाले स्टेरॉयड किडनी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। हालांकि, इनके इस्तेमाल से ब्लड शुगर का स्तर अनियंत्रित हो सकता है। बढ़ा हुआ ब्लड शुगर किडनी के लिए कितना नुकसानदायक है, यह बात किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में अगर किडनी रोगी हैं और कोरोना की चपेट में आ जाते हैं तो डॉक्टर से राय-मशविरा के बाद ही स्टेरॉयड लें।

क्या करें, क्या न करें
-घर से बाहर निकलने से बचें, डॉक्टरी सलाह के लिए ऑडियो या वीडियो कॉल का सहारा लें।
-डायलिसिस कराने वाले मरीज अस्पताल में हर समय मास्क, दस्ताने, सर्जिकल कैप पहने रहें।
-अस्पताल में कुछ भी खाने से बचें, घर लौटकर कपड़े बदलें, साबुन से हाथ-मुंह धोने के बाद ही कुछ खाएं।

पेनकिलर के सेवन से बचें
-किडनी रोगी कोरोना होने पर किडनी फंक्शन टेस्ट जरूर करवाएं।
-दर्द या बुखार होने पर पैरासिटामॉल लें, पेनकिलर के सेवन से बचें।
-ब्लड शुगर और रक्तचाप नियंत्रित रखें, नमक के सेवन में कमी लाएं।
-आयुर्वेदिक दवाओं से परहेज करें, कोविड टीका लगवाने में देरी न करें।

नोट-
-कोरोना को मात देने के लिए सही उपचार के साथ मजबूत इच्छा-शक्ति की भी जरूरत होती है। हमारे अस्पताल से किडनी के ऐसे गंभीर मरीज भी कोरोना से ठीक होकर लौटे हैं, जिनकी उम्र 80 साल थी। : प्रोफेसर हिमांशु वर्मा, विभागाध्यक्ष, नेफ्रोलॉजी विभाग, सफदरजंग अस्पताल

 

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