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हर हफ्ते शिफ्ट बदलना दिमाग के लिए खतरनाक, ज्यादातर निजी कंपनियों में है यह चलन

आजकल ज्यादातर निजी कंपनियों में चौबीसों घंटे काम करने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। लिहाजा बड़ी संख्या में लोगों को रात की शिफ्ट में काम करना पड़ता है या फिर हर हफ्ते उनकी शिफ्ट में बदलाव होता रहता है।...

हर हफ्ते शिफ्ट बदलना दिमाग के लिए खतरनाक, ज्यादातर निजी कंपनियों में है यह चलन
एजेंसी,लंदन | Thu, 21 Nov 2019 11:21 AM
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आजकल ज्यादातर निजी कंपनियों में चौबीसों घंटे काम करने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। लिहाजा बड़ी संख्या में लोगों को रात की शिफ्ट में काम करना पड़ता है या फिर हर हफ्ते उनकी शिफ्ट में बदलाव होता रहता है। यानी कभी सुबह शिफ्ट, तो कभी शाम या कभी रात। अगर आप भी इस तरह की शिफ्ट में काम करते हैं तो न सिर्फ आपको मोटापा और मधुमेह का जोखिम अधिक है बल्कि यह बदलती शिफ्ट आपको दिमागी बीमारियां भी दे सकती है।

ब्रिटेन की एक यूनिवर्सिटी में शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि शिफ्ट में काम करने वालों को अवसाद और चिंता होने की संभावना 33 प्रतिशत अधिक थी, विशेष रूप से उन लोगों की तुलना में जो रात की शिफ्ट में काम नहीं करते थे या फिर वैसे लोग जो 9 से 5 बजे वाली शिफ्ट करते थे।

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मानसिक बीमारियों का खतरा : इसके अलावा शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित होने की संभावना भी 28 प्रतिशत अधिक होती है। यह परिणाम पिछले सात अध्ययनों में शामिल 28 हजार 438 प्रतिभागियों की जांच करने के बाद सामने आया है।

चिड़चिड़ापन और मूड में बदलाव: अध्ययन में शामिल विशेषज्ञों का कहना है कि बार-बार शिफ्ट में बदलाव होने से हमारे सोने और जागने की आदत पर असर पड़ता है। हमारा शरीर सोने-जागने की आदत में बार-बार हो रहे इस बदलाव को नहीं झेल पाता, जिससे लोगों में चिड़चिड़ापन आ जाता है। इसके अलावा मूड में बदलाव और सामाजिक अलगाव का कारण भी बनता है ।

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कई और समस्याएं भी जापान में हुए एक शोध में यह बात सामने आई कि ऐसे लोग जो शिफ्ट में काम करते हैं उन्हें दिन में काम करने वालों की तुलना में मधुमेह होने का खतरा 50 प्रतिशत अधिक था। साथ ही ऐसे लोगों में पाचन संबंधी समस्याएं और कई तरह की बीमारियां जैसे, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा और उच्च कोलेस्ट्रोल की समस्याएं पाई गईं।

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