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जब मदर टेरेसा से पूछा गया, आप प्रार्थना में ईश्वर से क्या कहती हैं?

संत घोषित हो चुकीं शांति दूत मदर टेरेसा ममता की मूरत थीं। दीन दुखियों को गले लगाना और बीमार लोगों के चेहर में मुस्कान लाने की कोशिश करना उनकी पहचान थी। बीसवीं सदी में जन्म लेने वाले लोगों को सदा इस...

जब मदर टेरेसा से पूछा गया, आप प्रार्थना में ईश्वर से क्या कहती हैं?
लाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीMon, 26 Aug 2019 12:52 PM
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संत घोषित हो चुकीं शांति दूत मदर टेरेसा ममता की मूरत थीं। दीन दुखियों को गले लगाना और बीमार लोगों के चेहर में मुस्कान लाने की कोशिश करना उनकी पहचान थी। बीसवीं सदी में जन्म लेने वाले लोगों को सदा इस बात का गुरूर रहेगा कि उन्होंने उस दौर में सांस ली है, जिस दौर में मदर टेरेसा जैसी महान विभूति इस दुनिया में थीं। 26 अगस्त 1910 की तारीख इतिहास में भारत रत्न मदर टेरेसा के जन्मदिन के तौर पर दर्ज है।

मदर टेरेसा का जन्म यूगोस्लाविया के स्कॉप्जे में आज ही के दिन 1910 में हुआ था। मदर टेरेसा का नाम गोंझा बोयाजिजू था। मदर टेरेसा एक रोमन कैथोलिक नन थीं। 18 साल की उम्र में सिस्टर बनने वाली मदर टेरेसा ने आजीवन दीन दुखियों और असहाय लोगों की सेवा की। उन्होंने मानवीयता के अनेकों ऐसे काम किए जिसके लिए उन्हें आज भी श्रद्धा के साथ याद किया जाता है।

एक बार किसी ने मदर टेरेसा का इंटरव्यू लेते हुए उनसे सवाल किया- आप जब प्रार्थना करती हैं तो ईश्वर से क्या कहती हैं?

मदर ने जवाब दिया- मैं कुछ नहीं कहती, सिर्फ सुनती हूं। साक्षात्कार करने वाले को कुछ खास समझ नहीं आया कि तो उसने दूसरा सवाल किया- तो फिर आज जब सुनती हैं तो ईश्वर आपसे क्या कहता है? 

आगे पढ़ें मदर ने क्या जवाब दिया--

मदर ने कहा- वह कुछ भी नहीं कहता, वह सिर्फ सुनता है। इसके बाद कुछ देर के लिए दोनों के बीच मौन छा गया। इंटरव्यअर को समझ नहीं आया कि वह अब क्या पूछे? कुद पल तक शांत रहने के बाद मदर ने खुद ही चुप्पी तोड़ी और कहा- क्या आप समझ पाए जो मैं कहना चाहती थी, मुझे माफ कीजिएगा मेरे पास आपको समझाने का कोई दूसरा तरीका नहीं था।

इसके बाद वह खुद की लाखों लोगों के इलाज में तन मन से जुट गईं। मानवता के लिए उनके नेक प्रयासों के लिए उन्हें शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

कहा जाता है कि मदर टेरेसा द्वारा स्थापित मिशनरीज ऑफ चैरिटी की शाखाएं असहाय और अनाथों का घर है। उन्होंने ‘निर्मल हृदय’और ‘निर्मला शिशु भवन’के नाम से आश्रम खोले, जिनमें वे असाध्य बीमारी से पीड़ित रोगियों व गरीबों की स्वयं सेवा करती थीं। मदर टेरेसा का देहावसान 5 सितंबर 1997 को हुआ था, ऐसी मानवता की महान परोकार को हम सभी की ओर से शत् शत् नमन।
 

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