फोटो गैलरी

Hindi News लाइफस्टाइलबीमार न कर दे फल-सब्जियों की कमी

बीमार न कर दे फल-सब्जियों की कमी

एंग्जायटी डिसॉर्डर एक किस्म की मानसिक बीमारी है, जो इन दिनों बड़ी संख्या में लोगों को अपना शिकार बना रही है। हालांकि जो लोग हर रोज पर्याप्त मात्रा में फल और सब्जियां खाते हैं, वे इस समस्या से बचे रहते...

बीमार न कर दे फल-सब्जियों की कमी
हिन्दुस्तान टीम ,नई दिल्ली Sun, 15 Mar 2020 12:10 PM
ऐप पर पढ़ें

एंग्जायटी डिसॉर्डर एक किस्म की मानसिक बीमारी है, जो इन दिनों बड़ी संख्या में लोगों को अपना शिकार बना रही है। हालांकि जो लोग हर रोज पर्याप्त मात्रा में फल और सब्जियां खाते हैं, वे इस समस्या से बचे रहते हैं। यह बात एक हालिया शोध में सामने आई है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि एंग्जायटी डिसॉर्डर और फलों-सब्जियों के बीच गहरा संबंध है। एन्वायर्नमेंटल रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ के इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया कि जो लोग रोज तीन तरह की सब्जियों और फलों का सेवन नहीं करते, उनमें एंग्जायटी डिसॉर्डर की आशंका 24 प्रतिशत तक अधिक होती है।

इसे शारीरिक संरचना के आधार पर भी समझा जा सकता है। जब कुल बॉडी फैट 36 प्रतिशत से अधिक बढ़ जाता है तो एंग्जायटी डिसॉर्डर का खतरा 70 फीसदी तक अधिक बढ़ सकता है। कहते हैं, जोसे मोरा-अलमंजा, माइटेक्स ग्लोबलिंक इंटर्न, जो कनाडा की क्वांटलेन पॉलिटेक्नीक यूनिवर्सिटी में हुए इस अध्ययन के सह-लेखक हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, बॉडी फैट में बढ़ोतरी का इन्फ्लेमेशन से बड़ा संबंध है। हाल-फिलहाल होने वाले शोध बताते हैं कि कुछ एंग्जायटी डिसॉर्डर्स का भी इन्फ्लेमेशन से संबंध हो सकता है।
‘हमारे अध्ययन के नतीजे पुराने शोधों के नतीजों की ही तरह निकले हैं, जिनमें कहा गया कि ्त्रिरयों में एंग्जायटी डिसॉर्डर के मामले पुरुषों की तुलना में ज्यादा हो सकते हैं।’ कहते हैं अध्ययन के सह-लेखक कारेन कोबायाशी।
अध्ययनकर्ताओं की टीम ने उम्र बढ़ने को लेकर केनेडियन लॉन्गीट्यूडिनल स्टडी के आंकड़ों का आकलन भी किया। यह स्टडी 45 से 85 वर्ष की आयु-वर्ग के 26,991 स्त्री-पुरुषों पर की गई। डाइट और शारीरिक संरचना के अलावा एंग्जायटी डिसॉर्डर का फैलाव जेंडर, वैवाहिक स्थिति, आय, निवास स्थान और स्वास्थ्य के स्तर पर भी अलग होता है। नतीजों को देखते हुए शोधकर्ता कहते हैं कि हर नौ में से एक स्त्री को एंग्जायटी डिसॉर्डर की शिकायत होती है, जबकि 15 पुरुषों में किसी एक पुरुष को ऐसा होता है।  यही नहीं, एंग्जायटी डिसॉर्डर उन लोगों में ज्यादा होता है, जो हमेशा सिंगल रहे हों (13.9 प्रतिशत)। दूसरी ओर ऐसे लोगों में इसका स्तर कम (केवल 7.8 फीसदी) होता है, जो पार्टनर के साथ रह रहे हों। आर्थिक स्तर भी एंग्जायटी डिसॉर्डर के लिए जिम्मेदार है। जिन लोगों की आमदनी 20 हजार डॉलर प्रतिवर्ष या इससे कम है, ऐसे हर 5 में से एक व्यक्ति को एंग्जायटी डिसॉर्डर की समस्या है। इन्हें अपने समृद्ध साथियों की तुलना में एंग्जायटी डिसॉर्डर की संभावना लगभग दोगुनी होती है। हम इस बात पर भी हैरान नहीं थे कि गरीबों में एंग्जायटी डिसॉर्डर की समस्या बहुत ज्यादा है।
 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें