भारत में 15 साल से छोटी 46 प्रतिशत लड़कियां एनीमिया की शिकार, रिपोर्ट में खुलासा
भारत में 15 साल से कम उम्र की 46 फीसदी बच्चियों में खून की कमी (एनीमिक) है। जनवरी 2015 से लेकर नवंबर 2021 तक एकत्रित किये गए हीमोग्लोबिन के नमूनों के नतीजों पर आधारित डेटा एनालिटिक्स रिपोर्ट में यह...

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भारत में 15 साल से कम उम्र की 46 फीसदी बच्चियों में खून की कमी (एनीमिक) है। जनवरी 2015 से लेकर नवंबर 2021 तक एकत्रित किये गए हीमोग्लोबिन के नमूनों के नतीजों पर आधारित डेटा एनालिटिक्स रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
एसआरएल डायग्नोस्टिक्स द्वारा सात वर्षों की अवधि में कुल 8,57,003 बच्चियों के नमूनों को जांचा गया था, जिनमें से 13 फीसदी से अधिक नमूनों में खून की बेहद कमी पाई गई। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के अनुसार, भारत में आधे से ज्यादा (55 प्रतिशत) महिलाएं रक्तहीनता (एनीमिया) से पीड़ित हैं। वहीं, 55 प्रतिशत किशोरियां एनीमिक हैं। अन्य विकासशील देशों की तुलना में भारत में हर आयुवर्ग में एनीमिया की व्यापकता ज्यादा है।
वहीं, भारतीय राज्यों की बात करें तो 72 प्रतिशत विवाहिताओं में रक्तहीनता के साथ असम सर्वाधिक प्रभावित है। इसके बाद हरियाणा (69.7 प्रतिशत) और झारखंड (68.4 प्रतिशत) का नंबर है। आंकड़े दर्शाते हैं कि हर दूसरी महिला एनीमिक है और हर पांच में से एक मातृ मृत्यु सीधे एनीमिया के कारण होतीयह है।
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एसआरएल डायग्नोस्टिक्स के तकनीकी निदेशक डॉ. अनुराग बंसल ने कहा कि कम गंभीरता से लिये जाने वाले एनीमिया के लिए भारत में एक बहु-स्तरीय दृष्टिकोण की जरूरत है, जिसमें उच्चस्तरीय जागरुकता निर्माण, बर्ताव में बदलाव और महिलाओं के पोषण एवं स्वास्थ्य जरूरतों से जुड़े सामाजिक मानकों को चुनौती देना शामिल है। वैश्विक स्तर पर, एनीमिया ने 1.62 अरब लोगों को प्रभावित किया है, जो जनसंख्या का 24.8 प्रतिशत है।