
दहेज और स्त्रीधन में क्या है बड़ा फर्क? जानें कैसे करें अपने अधिकारों की रक्षा
संक्षेप: विवाह से पहले, विवाह के समय या उसके बाद एक महिला को मिले सभी तरह के उपहार स्त्रीधन की श्रेणी में आते हैं। खास बात यह है कि इस पर महिलाओं का इकलौता हक होता है। स्त्रीधन और इससे जुड़े आपके अधिकार का ब्योरा दे रही हैं शमीम खान।
कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जिन पर सिर्फ महिलाओं का ही अधिकार होता है। उन चीजों में से एक है, स्त्रीधन। पति ही नहीं, पिता का भी स्त्रीधन पर कोई अधिकार नहीं होता है। स्त्रीधन का शाब्दिक अर्थ होता है, महिला की संपत्ति। कानूनी परिभाषा के अनुसार महिला को शादी से पहले, शादी के मौके पर या शादी के बाद मिली हुईं चीजें स्त्रीधन की श्रेणी में आती हैं। हिंदू महिला का स्त्रीधन का अधिकार हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 14 और हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 27 के तहत सुरक्षित है। स्त्रीधन को कानूनी मान्यता भी मिली हुई है। अगर महिला का स्त्रीधन पति या ससुराल वालों ने अपने पास रखा हुआ है, तो उन्हें ट्रस्टी माना जाएगा, मालिक नहीं।

क्या है आपका स्त्रीधन
सोनी लॉ फर्म, इंदौर में वकील विवेक सोनी कहते हैं, स्त्रीधन में वह सभी चल और अचल संपत्ति, उपहार, आभूषण और अन्य वस्तुएं शामिल हैं, जो एक महिला को उसके जीवन के विभिन्न चरणों में प्राप्त होती हैं:
• किसी महिला को शादी से पहले मिली कोई भी संपत्ति या उपहार • शादी के समय दी गई संपत्ति, आभूषण और उपहार • बच्चे के जन्म पर प्राप्त उपहार और संपत्ति • भरण-पोषण के बदले प्राप्त कैश या/और संपत्ति • पति की मृत्यु के पश्चात चल और अचल संपत्ति में मिले अधिकार
स्त्रीधन पर आपका अधिकार
स्त्रीधन पर सिर्फ महिला का अधिकार होता है, कोई दूसरा न इस पर हक जता सकता है, न नियंत्रित कर सकता है। अपने इस विशिष्ट अधिकार को सुरक्षित रखने के लिए वह निम्न कदम उठा सकती है:
-वह इसे अपने पास या लॉकर में रख सकती है।
-महिला अपने हिसाब से और अपनी मर्जी से इसका इस्तेमाल कर सकती है।
-स्त्रीधन पर केवल महिला का अधिकार होता है, इसे कोई उससे छीन नहीं सकता।
-विवाहित महिला अलगाव या तलाक की स्थिति में सुसराल छोड़ने पर स्त्रीधन अपने साथ लेकर जा सकती है। ऐसा करने से उसे कोई नहीं रोक सकता। अगर पति या ससुरालवाले उसे रोकते हैं, तो वह पुलिस में शिकायत दर्ज कर सकती है।
-एक महिला स्त्रीधन को अपने जीवनकाल के दौरान इस्तेमाल करने, बेचने या वसीयत के रूप में किसी को देने का पूरा अधिकार रखती है।
-अगर महिला का स्त्रीधन पति या ससुराल वालों ने अपने पास रखा हुआ है, तो वे सिर्फ उसके ट्रस्टी होंगे, जब भी महिला उनकी मांग करेगी, तो उन्हें स्त्रीधन लौटाना होगा।
कैसे करें अपने स्त्रीधन की सुरक्षा?
• अपने स्त्रीधन की एक लिस्ट बनाएं, जिसमें गहने, संपत्ति, उपहार, निवेश आदि की अलग-अलग श्रेणियां बनाएं
• अपने स्त्रीधन को हमेशा ऐसी जगह रखें, जहां सिर्फ आपका नियंत्रण हो, जैसे अपनी अलमारी या बैंक लॉकर
• अगर आपको लगता है कि आपका स्त्रीधन ससुराल में सुरक्षित नहीं है, तो उसे अपने माता-पिता या किसी रिश्तेदार के पास रखें।
स्त्रीधन पर पति का अधिकार
स्त्रीधन पर पति का कोई कानूनी अधिकार नहीं होता है। इस बारे में सर्वोच्च न्यायालय का एक फैसला काफी अहम है। सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार पत्नी के स्त्रीधन पर पति का नियंत्रण नहीं हो सकता है, हालांकि यदि पति मुसीबत में हो, तो पति अपनी पत्नी के स्त्रीधन का इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन यहां भी एक शर्त है। पति की आर्थिक स्थिति बेहतर होने पर पत्नी को स्त्रीधन लौटाना उसकी नैतिक जिम्मेदारी होगी। ऐसा न होने पर पत्नी अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है।
कब करें पुलिस में शिकायत
अगर आपके पति या उसके परिवार ने आपके स्त्रीधन पर कब्जा कर लिया है और उसे लौटाने से इंकार कर रहे हैं, तो आप भारतीय न्याय संहिता की धारा 406-सी के तहत पुलिस में शिकायत दर्ज कर सकती हैं। पुलिस आपके पति और पति के परिवार को बुलाएगी और उनसे आपका स्त्रीधन लौटाने को कहेगी। अगर फिर भी वो देने से इंकार करते हैं तो पुलिस उनके खिलाफ अपराधिक शिकायत दर्ज करेगी।
स्त्रीधन और दहेज में है अंतर
स्त्रीधन दहेज से इस मायने में अलग है कि इसमें महिला को उसके परिवार, दोस्तों, उसके पति, ससुरालवालों द्वारा स्वेच्छा से दिए गए उपहार, गहने, संपत्ति आदि शामिल होते हैं। यह किसी दबाव में नहीं दिया जाता, इसलिए भारत में इसे गैर-कानूनी नहीं माना जाता है। दूसरी ओर, दहेज विशेष रूप से विवाह के लेन-देन से जुड़ा है और इसे भारत में कोई कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है। दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत यह निषिद्ध है। दहेज लेने और देने दोनों को अपराध माना जाता है।

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