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बच्चा पैदा होने के बाद रिश्ते में बढ़ रही हैं दूरियां? रोमांस और केयर दोनों बनाए रखेंगे ये टिप्स

बच्चे के जन्म के बाद पति-पत्नी दोनों की सारी ऊर्जा बच्चे की परवरिश में खर्च होने लगती है। पर, लंबे समय तक ऐसा होने से आपसी रिश्ते पर असर पड़ने लगता है। कैसे बच्चे के आने के बाद भी अपने रिश्ते के लिए निकालें वक्त, बता रही हैं शमीम खान।

Manju Mamgain लाइव हिन्दुस्तानFri, 20 Sep 2024 03:07 PM
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बच्चे का जन्म किसी भी जोड़े के लिए जीवन के लिए नए दौर की शुरुआत होती है। पार्टनर से माता-पिता बनने पर रिश्ते में बदलाव आना स्वाभाविक है। इस बात में कोई दोराय नहीं है कि बच्चा जब आता है तो अपने साथ ढेर सारी खुशियां भी लाता है। पर, अभिभावक बच्चे की देखभाल में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि एक-दूसरे के बारे में सोचने का उन्हें समय ही नहीं मिलता। ऐसे में पार्टनर्स के बीच दूरियां भी बढ़ने लगती हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ बॉर्न के शोधकर्ताओं के द्वारा 2021 में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक साथी के साथ रिश्ते के प्रति संतुष्टि का भाव समय के साथ कम-ज्यादा होता रहता है। पर, अध्ययन में पाया गया कि जिन जोड़ों के बच्चे नहीं होते हैं, उनमें रिश्ते को लेकर संतुष्टि का भाव बाल-बच्चे वाले जोड़ों की तुलना में ज्यादा होता है। शोध में पाया कि बिना बच्चे वाली 62 प्रतिशत शादीशुदा महिलाओं ने माना कि वो खुश हैं, वहीं बच्चों वाली शादीशुदा महिलाओं में यह प्रतिशत घटकर मात्र 38 तक पहुंच गया।

बच्चे अपने आगमन से रिश्ते के समीकरण को पूरी तरह से बदल डालते हैं, ऐसे में रिश्ते को फिर से पटरी पर लाने और पति-पत्नी के बीच के रिश्ते की गर्माहट को दोबारा कायम करने के लिए दोनों ओर से अतिरक्त कोशिश किए जाने की जरूरत है। छोटी-छोटी बातें और कोशिशें आप दोनों के कनेक्शन को दोबारा मजबूत बनाने में आपकी मदद करेंगी:

बंद न हो बातें

बच्चे के जन्म के बाद नई मां बच्चे की देखभाल में व्यस्त हो जाती है और पिता अन्य जिम्मेदारियों में। इसका सबसे ज्यादा असर माता-पिता के आपसी संवाद पर पड़ता है। आपसी संवाद की कमी रिश्ते को सबसे पहले प्रभावित करती है। यह सुनिश्चित करें आप चाहे कितनी भी थकी हों या फिर व्यस्त हों, एक-दूसरे के साथ बातचीत करने के लिए हर दिन थोड़ा वक्त आप लोग जरूर निकालें। बातचीत का मुद्दा घर का बजट, बच्चे की कोई नई गतिविधि, उसकी जरूरत या फिर दिन कैसा गुजरा...कुछ भी हो सकता है। आपसी संवाद न सिर्फ साथी को बेहतर तरीके से समझने का अवसर देगा बल्कि आप भी अपने मन की बातें और इस नई जिंदगी की चुनौतियां साथी से साझा करके अपना मन हल्का कर पाएंगी।

एक ही टीम में हैं आप दोनों

यह बच्चा आप दोनों का है और आप दोनों एक टीम हैं। रिश्ते में कितनी भी मुश्किल क्यों ना आए, इस बात को कभी ना भूलें। माना, एक नन्ही-सी जान की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधे पर उठाना आसान काम नहीं है। पर, यह मुश्किल तभी आसान हो पाएगी, जब आप दोनों साथ मिलकर जिंदगी की इस नई चुनौती का सामना करेंगी। बच्चे को आपने जन्म दिया है, तो उसकी जिम्मेदारी सिर्फ आपकी नहीं। इसमें आपके पति की भी पूरी भूमिका होनी चाहिए। अगर साथी आगे बढ़कर इस नई जिम्मेदारी में सक्रिय भूमिका नहीं निभा पा रहा है, तो आप उससे खुलकर जहां जरूरत हो, वहां मदद मांगें ताकि किसी एक पर ज्यादा दबाव न पड़े।

नींद पर रखें नजर

बच्चे के जन्म के बाद के शुरुआती कुछ माह बहुत चुनौतीपूर्ण होते हैं। यह चुनौती नींद की कमी के कारण और भी बढ़ जाती है। पर्याप्त नींद लेने की कोशिश करें। इसके लिए घर के अन्य सदस्यों की मदद लें और साथ ही नए रास्ते निकालें। मसलन, अगर बच्चे को स्तनपान करवाती हैं, तो दूध को पहले निकालकर स्टोर कर लें। इसका फायदा यह होगा कि रात में बच्चे के उठने पर उसे दूध पिलाने की जिम्मेदारी घर के किसी और सदस्य को भी दी जा सकेगी। रात को अच्छी तरह आराम करने से तनाव कम होता है और दिन भर शरीर में ऊर्जा का स्तर बना रहता है।

हमेशा न हो सिर्फ बच्चे की बातें

बच्चे के जन्म बाद बहुत सारे जोड़े अपनी सारी ऊर्जा सिर्फ बच्चे की परवरिश में लगा देते हैं। उनर्की ंजदगी बच्चे के आसपास घूमने लगती है। छुट्टी वाले दिन देर रात तक जगना, कहीं घूमने जाना, कभी-कभार बाहर खाना खाने जाना या फिर शारीरिक अंतरंगता दिखाने का मौका ही नहीं मिल पाता। ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप दोनों हर वक्त सिर्फ बच्चे के बारे में ही बात न करें। एक-दूसरे से बात करें, चर्चा करें कि आपका दिन कैसे गुजरा। बच्चे को दादा-दादी या नाना-नानी के पास छोड़कर सिर्फ आप दोनों कहीं घूमने जाएं। अगर पहले वाली शारीरिक अंतरंगता बरकरार रखना संभव न हो, तो भी प्यार दिखाने में कोताही न करें।

मदद मांगने में न हिचकें

सिर्फ आप दोनों ही अपने बच्चे की देखभाल करेंगे तो, तो आपको अपने लिए वक्त निकालने में परेशानी होगी। आपके पास एक-दूसरे के लिए समय ही नहीं बचेगा। मदद मांगने में हिचकिचाएं नहीं। अगर आपके माता-पिता शहर में हों, तो उनसे कुछ घंटे अपने बच्चे की देखभाल करने के लिए कहें। इस दौरान, आप अपने पार्टनर के साथ लॉन्ग ड्राइव पर या कॉफी डेट पर जाएं या अपने किसी पसंदीदा रेस्टोरेंट में खाना खाएं।

(डॉ. गौरव गुप्ता, सीईओ एंड सीनियर साइकिएट्रिस्ट, तुलसी हेल्थकेयर, गुरुग्राम से बातचीत पर आधारित)

साथी का दें पूरा साथ

प्रेग्नेंसी के पहले वाली अंतरंगता को वापस पाने के लिए अपने पार्टनर से अपनी इच्छाओं के बारे में चर्चा करना जरूरी है। नींद, तनाव जैसे मुद्दों पर काम करें, जो शारीरिक संबंधों को ब्लॉक कर देते हैं। मातृत्व के दौरान महिलाएं कई तरह के परिवर्तनों से गुजरती हैं। अगर वो आरामदायक स्थिति में रहेंगी, तभी उनके लिए बच्चे और रिश्ते दोनों को संभालना आसान हो पाएगा। ऐसे में पति को ज्यादा समझदारी दिखाते हुए अपनी पत्नी का पूरा साथ देना चाहिए।

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