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वक्त के साथ ना फीका होने दें प्यार का रंग, ऐसे संभालें रिश्ते की डोर

वक्त के साथ ना फीका होने दें प्यार का रंग, ऐसे संभालें रिश्ते की डोर

संक्षेप: खुशनुमा रिश्ते के लिए संतुलन जरूरी है, पर इसे हासिल करना आसान नहीं। समय के साथ बढ़ती जिम्मेदारियों के बोझ तले अमूमन एक व्यक्ति आगे बढ़ जाता है और दूसरा अपने सपनों का बलिदान देकर घर-परिवार की देखभाल में पिछड़ जाता है। आपके रिश्ते में ऐसा न हो, इसके लिए क्या करें, बता रही हैं दिव्यानी त्रिपाठी

Fri, 12 Sep 2025 04:40 PMKajal Sharma हिन्दुस्तान
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आपने कभी क्या एक पहिये की गाड़ी देखी है‌‌? गाड़ी पंचर होने पर क्या वह ज्यादा दूर तक चल सकती है? अब आप सोच रही होंगी कि भला यह कैसा सवाल है। जवाब तो बच्चा भी बता देगा। यकीनन गाड़ी दो पहिये पर चलती है। तो क्या कभी आपने इस ओर सोचा है कि आपकी जिंदगी कितने पहिये पर चल रही है? जी, सही पढ़ा आपने। हमारी जिंदगी भी सड़क पर दौड़ती गाड़ी सरीखी है। जिसकी रफ्तार, चाल और नियंत्रण पति और पत्नी मिलकर बनाते हैं। जब दो लोग एक रिश्ते में बंधते हैं तो यह सिर्फ साथ घूमने-फिरने या सोशल मीडिया पर तस्वीर साझा करने तक सीमित नहीं होता। असली परीक्षा तब शुरू होती है, जब जिंदगी की गाड़ी ऊबड़-खाबड़ सड़कों पर दौड़ना शुरू करती है।

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साथ जिएं, साथ बढ़ें भी

आंकड़ों की मानें तो पिछले एक दशक में भारत में तलाक की दर में 30 से 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। शहरी इलाकों में 25 से 34 साल के लोगों में सबसे ज्यादा तलाक के मामले देखे जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की तरफ से जारी रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि भारत में तलाक के मामले लगभग दोगुने हो चुके हैं। आपका रिश्ता इस दौर से न गुजरे, इसलिए आपको और आपके साथी को आपसी समझ विकसित करने की जरूरत है।

आपको समझना होगा कि एक जोड़े के तौर पर साथ जीना और साथ बढ़ना ये दोनों अलग-अलग बातें हैं। साथ जीने का मतलब एक ही घर में रहना, शॉपिंग जाना, छुट्टियों पर जाना। लेकिन साथ बढ़ना? इसका मतलब है एक-दूसरे के सपनों को समझना, अपने पार्टनर को आजादी देना, मुश्किल वक्त में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होना और हर उस मोड़ पर कसकर एक-दूसरे का हाथ थामना, जब जिंदगी परीक्षा लेने लगे।

बदली है रिश्ते की परिभाषा

एक वक्त था, जब बड़ी स्क्रीन पर अभिनेत्री के आते ही अभिनेता के कानों में वायलिन बजने लग जाते थे। असल जिंदगी में प्यार का अहसास ही तितलियों के उड़ने-सा होता था। बदलते वक्त ने प्यार और रिश्तों की परिभाषा को बदल दिया है। इस बाबत मनोचिकित्सक सोनाली गुप्ता कहती हैं कि आज लोगों की नजरों में प्यार, खुशी के साथ ही साथ पूरी आजादी की चाहत है। यह पैटर्न थेरेपी सत्रों में भी दिखाई देता है, जहां लोग प्यार पाने, रिश्तों को बनाए रखने और रिश्तों में अकेलापन महसूस करने के अपने संघर्षों के बारे में बात करते हैं। वह कहती हैं कि इस पहेली के मूल में जो वजह है, वह है आजादी। एक रिश्ते को निभाने के लिए जरूरी हो गया है कि दो ध्रुवों के बीच आप तालमेल बिठाना सीख लें। किसी से प्यार करने के लिए जरूरी है कि हम उसकी जरूरतों के लिए जगह बनाएं और साथ ही अपनी पहचान भी बनाए रखें। निर्णय लेने की आजादी चाहत रखने से पहले अपने पार्टनर को भी यह अधिकार दें। डेटिंग ऐप्स के बढ़ते इस्तेमाल ने भी साथी खोजने के हमारे तरीके को आकार दिया है। हालांकि गैजेट्स पर हमारी निर्भरता ने भी हमारी समस्याएं बढ़ाई हैं। हम हर चीज के लिए सोशल मीडिया, तकनीक और एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं। फिर चाहे अपने लिए नुस्खे खोजना हो या खुद के लिए सुकून। यह भी रिश्तों में समय की कमी ला रहा है। नतीजा, वह जटिल हो रहे हैं। रिश्ते को मजबूत और कामयाब बनाने की आज की जरूरत सहजता, लचीलापन और एक-दूसरे को उनका स्पेस देना है।

खुलकर करें बात

रिश्ते की शुरुआत ही संवाद यानी बातचीत से होती है। पर, वह समय के साथ-साथ कम होता जाता है। अब आप कहेंगी कि हम तो बात करते हैं। लेकिन, क्या? खाना खा लिया? कपड़े धो दिए? यहां हम सिर्फ आवश्यकता या जरूरत की बात नहीं कर रहे। आपको बात करनी चाहिए, उस डर की जो दिल में कहीं छिपा है, उस खुशी की जो आपके सपनों में छिपी हैं। जब जोड़े खुलकर अपने मन की बात करते हैं, तो एक ऐसा माहौल बनता है जिसमें न कोई जजमेंट होता है, न होता है कोई डर। न होता है कोई बड़ा और न होता है, किसी का सपना छोटा। यही वो माहौल है जिसमें रिश्ता सांस लेता है, बढ़ता है। अपनी व्यस्त दिनचर्या में एक-दूसरे के लिए समय निकालें। यह वह समय होना चाहिए, जिसमें आप सिर्फ एक-दूसरे से दिल खोलकर बात करें। बीच में किसी भी व्यवधान को न आने दें। न फोन और न कोई शख्स।

बनें एक-दूसरों के सपनों का हिस्सा

अक्सर रिश्ते में हम चलने की शुरुआत तो साथ करते हैं, पर धीरे-धीरे कोई एक पीछे रह जाता है। हम अपने करिअर को तो तरजीह देते हैं, पर अपने पार्टनर के प्रोफेशन या पैशन को पूरी तरह समझने की कोशिश नहीं करते या उसे कमतर, गैरजरूरी मान लेते हैं। ऐसा न करें। अगर आपका पार्टनर फोटोग्राफर है, तो कभी उसके साथ शूट पर जाइए। अगर साथी का कोई बिजनेस है, तो उसके तनाव और लक्ष्यों को समझने की कोशिश कीजिए। साथ मिलकर मंजिल को पाने की कोशिश कीजिए। बकौल डॉ़ उन्नति, कभी-कभी अपने पार्टनर से ये पूछिए कि इस हफ्ते तुम्हारा सबसे बड़ा लक्ष्य क्या है और मैं उसमें कैसे मदद कर सकता हूं या सकती हूं? आपका प्रयास साथी में सकारात्मकता को बढ़ाने का काम करेगा।

स्वीकारें बदलावों को

कई बार लोग कहते हैं, वो तो पहले ऐसा नहीं था या तुम पहले जैसी नहीं रहीं। समय, परिस्थितियां, जिम्मेदारियां सभी कुछ बढ़ते और बदलते हैं। उसके साथ आप में या आपके पार्टनर में बदलाव न आए यह कैसे संभव है? आपको समझना होगा कि इंसान वक्त, अनुभवों, उम्र के साथ बदल जाता है। जो जोड़े इस बदलाव को समझते हैं और उसे अपनाते हैं, वही आगे बढ़ पाते हैं। आप भी इस बात को समझ पाएं, इसके लिए यादों को ताजा करने के लिए वक्त निकालें। संभव हो तो कुछ महीनों में एक बार साथ बैठिए, पुरानी तस्वीरें देखिए, बात कीजिए कि कहां से चले थे और अब कहां पहुंचे हैं। इससे ये अहसास बना रहता है कि हम दोनों साथ-साथ बदल रहे हैं और ये बदलाव अच्छा है।

गुस्से और घमंड से कीजिए तौबा

मेरा फोन क्यों नहीं उठाया? तुमने मेरी बात क्यों नहीं मानी? ...ऐसे सवाल-जवाब पति-पत्नी में तो चलते ही रहते हैं। बर्तन हैं, तो वो खटकेंगे ही। पर यह आपको तय करना है कि छोटी-छोटी बातों पर बहस करना आपके रिश्ते के लिए अच्छा है या दूसरे की बात को समझकर अपने अहं को हटाकर साथ बढ़ना। यह समझना होगा कि बहस में जीतना जरूरी नहीं है। जरूरी है, रिश्ते का जीतना। जब भी बहस हो, तो एक को बोल लेने दें। एक-दूसरे की बात सुनें, बीच में काटें नहीं। बहस के बाद बिना किसी गिले-शिकवे के दिन खत्म करें।

दें खुद को भी जगह

हर शख्स की अपनी पसंद होती है। याद रखें, साथ रहना जरूरी है, लेकिन हर वक्त एक साथ रहना भी स्वस्थ रिश्ते के लिए अच्छा नहीं होता। हर इंसान को अपना स्पेस चाहिए। उस वक्त में वह चाहे किताबें पढ़े, दोस्तों से मिले या अपने किसी शौक को पूरा करे। हफ्ते में कुछ घंटे सिर्फ अपने लिए रखें।

Kajal Sharma

लेखक के बारे में

Kajal Sharma
काजल शर्मा लाइव हिन्दुस्तान वेबसाइट में एंटरटेनमेंट और लाइफस्टाइल टीम को लीड करती हैं। पत्रकारिता में करीब 15 वर्षों का अनुभव रखने वाली काजल ने प्रिंट और डिजिटल, दोनों ही माध्यमों में अपनी पहचान बनाई है। फिल्म, टीवी, फैशन और सेलिब्रिटी लाइफस्टाइल से जुड़े विषयों पर लेखन, कंटेंट प्लानिंग और एग्जिक्यूशन में उनकी गहरी पकड़ है। सोशल मीडिया ट्रेंड्स पर उनकी पैनी नजर रहती है, जिन्हें वह दिलचस्प अंदाज में खबरों के जरिए पाठकों तक पहुंचाती हैं। और पढ़ें

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