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Stammering In Kids: बोलने में अटक जाता है बच्चा तो इन तरीकों से दूर करें हकलाहट

Hakalane Ki Samasya: बच्चे में हकलाहट की समस्या की वजह चाहे जो हो, पर आपका साथ और प्रयास उससे उबरने में बच्चे के लिए मददगार साबित हो सकता है। कैसे? बता रही हैं दिव्यानी त्रिपाठी

Aparajita हिंदुस्तान, नई दिल्लीSat, 25 Nov 2023 07:11 AM
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आपके बच्चे की जुबान भी क्या एक जगह पर फंस जाती है? क्या उसे कई बार अपनी बात पूरी करने में वक्त लगता है? क्या वह हकलाता है? अगर हां, तो आपको अपने व्यवहार में बदलाव लाना होगा। समस्या का पता लगते ही सबसे पहले आपको उसके पीछे के कारण को समझने की जरूरत है। यहां सबसे पहले सवाल उठता है कि आखिर बच्चे हकलाते क्यों हैं? इसका ठीक-ठीक पता लगाना खासा मुश्किल है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। इस बाबत मनोचिकित्सक डॉ. अनुरार्ग सिंह सेंगर कहते हैं कि बच्चे कई बार शारीरिक संरचना के कारण नहीं बोल पाते, तो कई बार बच्चे किसी डर में भी हकलाना शुरू कर देते हैं। यह आनुवंशिक हो सकता है यानी अगर परिवार में हकलाने का पारिवारिक इतिहास रहा हो तो बच्चे में यह समस्या हो सकती है। बचपन के विकास संबंधी विकार जैसे एसयूसी, स्पीच डिले, ऑटिज्म और डाउन सिंड्रोम भी इसके कारण हो सकते हैं। भावनात्मक आघात या परिवर्तन जैसे किसी अपने का दूर हो जाना वगैरह होने पर भी बच्चे में यह समस्या देखी जा सकती है।

जानकारों की मानें तो आमतौर पर लड़कियों की तुलना में लड़कों में हकलाने की समस्या अधिक होती है। यह उनके बचपन के शुरुआती वर्षों में 2 से 5 साल की उम्र के बीच कभी भी शुरू हो सकती है। यह वह समय होता है, जब वह शारीरिक, सामाजिक, मानसिक विकास के दौर से गुजर रहे होते हैं। यकीनन यह वक्त उन्हें प्यार, हौसला और संबल देने का है ताकि वह न सिर्फ अपनी समस्या से निपट सकें, बल्कि आत्मविश्वास भी बनाए रख सके।
ये तरीके आएंगे काम
• धीरे करें बात: आपको समझना होगा कि आपका बच्चा औरों से अलग है, लिहाजा उससे धीरे और शांति से बात करें। स्पीच थेरेपिस्ट नीरज कुमार बताते हैं कि बच्चे से बात करने में छोटे वाक्य और सरल भाषा का इस्तेमाल करें। 
• रखें धैर्य: माता-पिता के लिए अपने बच्चे को बात करने में संघर्ष करते देखना बहुत कठिन होता है। ऐसे में आपको समझदारी से काम लेना है। न तो आप घबराएं और न ही चिंता बच्चे पर डालें।
• सुनें उसकी: नजरें मिलाकर बच्चे से बात करें। उसे ऐसा महसूस कराएं कि उसकी बात सुनी जा रही है। बच्चे की बात धैर्यपूर्वक सुनने से उसे बातचीत की लय को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।
• करवाएं व्यायाम: सांस लेने के सरल व्यायाम करने से बच्चे को बात करते समय प्रवाह में मदद मिलेगी। बोलते वक्त अगर आप सांस पर ध्यान लगाएं तो हकलाने की समस्या से काफी हद तक निजात मिल सकती है।
• टोकना कर दें बंद: बच्चे को उनकी बातचीत में बीच में न रोकें और न ही उन्हें यह बताएं कि वे कैसे बात कर रहे हैं। 
• बढ़ाएं आत्मसम्मान: अकसर देखा जाता है कि हकलाहट बच्चे के आत्मविश्वास पर असर डालना शुरू कर देती है। आपके लाडले में इसका असर न पड़े इसके लिए उसकी क्षमताओं, प्रतिभा की तरीफ कीजिए। उसे अहसास कराइए कि वह औरों से अलग नहीं बल्कि उनसे बेहतर है। इससे उसे अपना आत्मसम्मान बढ़ाने में मदद मिलेगी।

कुछ यूं निपटें समस्या से  
-आपको जैसे ही महसूस होता है कि बच्चे को बोलने में परेशानी हो रही है और उसकी वह समस्या तीन महीने से अधिक समय तक बनी रहती है तो मान लीजिए आपको चिकित्सकीय परामर्श की आवश्यकता है। -आपको उन्हें स्पीच थेरेपिस्ट के पास ले जाना चाहिए। वह समस्या का मूल्यांकन कर बच्चे और माता-पिता को इससे निपटने का तरीका सुझाते हैं। लगातार स्पीच थेरेपी लेने से बच्चे की हकलाहट काफी हद तक कम हो जाती है।
 

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