Good Parenting: बच्चों की सही परवरिश करनी है तो इन 7 पैरेंटिंग रूल्स को रखें याद
Good Parenting: बच्चों को सही परवरिश के जरिए मैनर सिखाने और उनके अच्छे व्यवहार की उम्मीद करते हैं तो बचपन से ही अपनी पैरेंटिंग में इन बातों को शामिल करें मां-बाप। फर्क खुद ब खुद नजर आने लगेगा।

बच्चों की परवरिश आसान काम नही है। दिन के 24 घंटे इसे करना पड़ता है। लेकिन फिर भी कुछ पैरेंट्स की शिकायत रहती है कि उनके बच्चे सुनते नहीं और अपनी मनमानी करते हैं। उनमे डिसिप्लिन नाम की चीज ही नहीं। अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा तो फौरन अपनी पैरेंटिग में इन चीजों को शामिल करें। जिससे बच्चे की परवरिश आासन हो जाए और वो वेल मैनर्ड बिहेव करने वाले बन पाएं। इफेक्टिव पैरेंटिंग के लिए इन 7 टिप्स को जरूर याद रखें।
बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाएं
बच्चों को अच्छा बच्चा बनाने के चक्कर में कई बार पैरेंट्स इतने सख्त हो जाते हैं कि बच्चों का आत्मविश्वास खोने लगता है। इसलिए अपनी पैरेंटिंग में इस बात का ध्यान रखें कि कहीं आप ऊंचे आवाज में डांटकर, गुस्से से डराकर जैसे बॉडी लैंग्वेज से तो उसे नहीं सिखा रहे। बच्चे छोटी उम्र से ही माता-पिता के एक्सपेशन को समझना सीख जाते हैं। ऐसे में आपका व्यवहार बच्चे के आत्मविश्वास को कमजोर कर सकता है।
बच्चे की गलत नहीं अच्छी बातों को नोटिस करें
बच्चे की गलत बात पर टोकना तो सब पैरेंट्स जानते हैं। उसे डांटते हैं और ना करने की सलाह देते हैं। लेकिन इफेक्टिव पैरेंटिंग कहती है कि बच्चा जब कुछ अच्छा काम कर रहा हो या फिर आपका कुछ सिखाया हुआ मैनर फॉलो कर रहा है वो भी बिना आपके कहे। तो इस बात को नोटिस करें और उसकी तारीफ करें। ऐसे करने से बच्चों के अंदर लंबे समय तक गुड बिहेवियर की हैबिट आने लगती हैं। उसे पता चलता है कि वो ऐसे काम करना सही है।
डिसिप्लिन सीखने में वक्त लगता है
डिसिप्लिन और मैनर एक दिन में बच्चों के अंदर नहीं आता। ये आदत डेवलप करने के लिए आपको हर दिन इसे मेंटेन करना होगा। सिर्फ एक दिन समझा देने और बाकी दिन ध्यान ना देने से कुछ नहीं होगा। जैसे कि बच्चे के स्क्रीन का टाइम फिक्स करना या फिर बिना होमवर्क के टीवी ना देखना, टीजिंग बिहेवियर ना फॉलो करना या नाम से बुलाना। बच्चे के साथ हर दिन आपको इन आदतों पर गौर करके उसे सिखाना होगा। तभी डिसिप्लिन मेंटेन होगा।
बच्चों को समझाने के लिए एक वर्ड बोलें
बच्चों को जब डिसिप्लिन फॉलो करवा रही हैं तो उसे डांटने या लंबा-चौड़ा लेक्चर देने की बजाय छोटे शब्दों का इस्तेमाल करें। जिससे उसे समझने में आसानी हो। जैसे ज्यादा टीवी या मोबाइल देखने पर टाइम आउट, शरारत करने पर छूट का फायदा मत उठाए जैसे वाक्यों को बोले। जिससे बच्चा जल्दी समझे और वार्निंग साइन समझकर आदत को सुधार लें।
बच्चे के लिए टाइम जरूर निकालें
कितना भी बिजी हो लेकिन बच्चे के साथ सुबह नाश्ता करने, प्लेट उठाकर रखने का काम जरूर करें। इससे बच्चों को गुड हैबिट पड़ना आसान हो जाता है और बच्चे पैरेंट्स के साथ जुड़ते हैं।
रोल मॉडल बनना है जरूरी
बच्चे मां-बात का देखकर ही सीखते हैं। इसे अच्छे कामों के जरिए अपने बच्चों को सिखाएं। गुस्सा होने पर कैसे रिएक्ट करते हैं और कैसे बिहेव करते हैं। रिस्पेक्ट, ईमानदारी ये सारी चीजें बच्चे पैरेंट्स से खुद ही देखकर सीख जाते हैं।
कम्यूनिकेशन है जरूरी
बच्चे जैसा आप कहेंगे वैसा करेंगे ये जरूरी नहीं। उन्हें ज्यादातर कामों में एक्सप्लेनेशन देना होता है। लेकिन इससे आपको गुस्सा नहीं होना चाहिए बल्कि बच्चों के सवाल का जवाब दें। इससे बच्चे जल्दी और आसानी से सीखते हैं। साथ ही सीखा हुआ उन्हें लंबे समय तक याद रहता है।
