बच्चों को कब और कैसे दें सेक्स एजुकेशन? ये हैं बच्चों की झिझक को दूर करने का क्या है सही तरीका
Sex Education For Kids: बात जब सेक्स एजुकेशन की हो रही हो तो ज्यादातर पेरेंट्स खुद अपने बच्चों के सवालों के जवाब देने से बचने की कोशिश करने लगते हैं। जबकि सेक्स एजुकेशन की शुरूआत अगर घर से ही हो तो वो बच्चे के गुमराह होने का खतरा बेहद कम हो जाता है।
Sex Education For Kids: आज बच्चों को अपने सवालों का जवाब खोजने के लिए माता-पिता पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। सोशल मीडिया से दोस्ती करके उन्हें अपने हर सवाल का जवाब पलक झपकते ही मिल जाया करता है। लेकिन पेरेंट्स होने के नाते आप भी यह बात मानते होंगे कि सोशल मीडिया पर मौजूद हर तरह की जानकारी आपके बच्चे के लिए हर लिहाज से सुरक्षित नहीं होती है। ऐसे में बच्चों को अगर सही जानकारी सही समय और सही तरीके से ना मिले तो वो गलत रास्ते पर निकल पड़ते हैं। खासतौर पर बात जब सेक्स एजुकेशन की हो रही हो तो ज्यादातर पेरेंट्स खुद अपने बच्चों के सवालों के जवाब देने से बचने की कोशिश करने लगते हैं। जबकि सेक्स एजुकेशन की शुरूआत अगर घर से ही हो तो वो बच्चे के गुमराह होने का खतरा बेहद कम हो जाता है। ऐसे में अब कई पेरेंट्स सोच रहे होंगे कि आखिर अपने बच्चे को कब और कैसे दें सेक्स एजुकेशन। आइए जानते हैं इस सवाल का सही जवाब।
बच्चे को किस उम्र में देनी चाहिए यौन शिक्षा-
पेरेंट्स को यह बात समझनी चाहिए कि अपने बच्चे के साथ सेक्स के बारे में बातचीत शुरू करना उनके विकास का एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण पहलू होता है। हर माता-पिता को यह बात समझनी चाहिए कि, यौन शिक्षा एक बार की बात नहीं बल्कि एक सतत प्रक्रिया है। जैसे-जैसे आपका बच्चा बढ़ता है और उनकी समझ गहरी होती जाती है। बच्चे की बढ़ती उम्र के साथ पेरेंट्स को इस टॉपिक पर उनसे बात करने लिए तैयार रहना, सवालों का ईमानदारी से जवाब देना और उनकी जानकारी को समझने के लिए तैयार रहना जरूरी है।
चार साल की उम्र-
बच्चों को सेक्स एजुकेशन देने की शुरूआत चार साल की उम्र से कर देनी चाहिए। इस उम्र से बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में समझाएं। उन्हें प्राइवेट पार्ट्स की सेफ्टी और उससे जुड़े खतरों के बारे में जानकारी देते हुए माता पिता से हर बात शेयर करने की सलाह दें।
आठ साल की उम्र-
इस उम्र के बच्चे समझदार हो चुके होते हैं। इसलिए उन्हें कहानियों से बहलाने की जगह रियल फैक्ट्स बताएं। उनके जन्म से जुड़े सवाल पूछने पर उन्हें यह कहकर ना बहलाएं कि परियां नीचे आकर उन्हें आपके पास छोड़ गई थीं। बल्कि बच्चों को समझाएं कि किसी बच्चे के जन्म लेने के लिए स्पर्म और सेल दोनों की जरूरत होती है जो उसे उसके माता पिता से मिलता है।
दस साल की उम्र-
बच्चों के इस उम्र तक आते-आते पेरेंट्स को अपने बच्चों के साथ अपनी झिझक को थोड़ा कम कर लेना चाहिए। आजकल रेप , शारीरिक शोषण जैसी खबरें रोजाना टीवी और अखबार में आना एक आम बात हो गई हैं। ऐसे में बच्चा इन विषयों से जुड़ा कोई सवाल आपसे करता है तो उसे टालने की जगह उन्हें इसकी गंभीरता समझाएं।15 साल-
15 साल की उम्र-
इस उम्र तक बच्चे को मिली अधकचरी सेक्स एजुकेशन उसे किसी गलत दिशा में भी लेकर जा सकती है। इस खतरे से बचने के लिए बच्चे से खुलकर बात करें ताकि बच्चों के मन में क्या चल रहा है, आपको अच्छे से पता रहे और आप समय रहते बच्चे को बिगड़ने से रोक पाएं।
बच्चे की झिझक को दूर करने का तरीका-
बच्चों को सेक्स को लेकर बात करने के लिए एक खुला माहौल दें। जहां आपका बच्चा प्रश्न पूछने और संवेदनशील विषयों पर चर्चा करने में सहज महसूस कर सके। उन्हें भरोसा दिलाएं कि वे शर्मिंदगी या जजमेंट के डर के बिना इस विषय पर अपनी राय रख सकते हैं।
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