Parenting Tips: दूसरे बच्चे की प्लानिंग के दौरान बड़े बच्चे की परवरिश में ना करें ये गलतियां
How to handle first child when second is born: दूसरे बच्चे के जन्म के साथ ही माता-पिता अक्सर पहले बच्चे की पैरेंटिंग में कुछ गलतियां करते हैं। जिसकी वजह से ही बच्चे के मन में अपने सिबलिंग के लिए जलन की भावना पैदा होने लगती है।
कपल अक्सर पहले बच्चे के तीन से चार का होने पर दूसरे बच्चे की प्लानिंग करने लगते हैं। लेकिन दूसरे बच्चे की प्लानिंग के साथ बड़े बच्चे की परवरिश में कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। खासतौर पर जब पहला बच्चा 4 साल की उम्र से ज्यादा का हो गया हो। इस उम्र के बच्चों के साथ इमोशनल बॉन्डिंग बहुत जरूरी है।
मां अक्सर कर देती हैं ये गलतियां
अक्सर मांए दूसरी प्रेग्नेंसी के साथ ही पहले बच्चे को काफी कुछ नया सिखाना शुरू कर देती हैं और बार-बार उसे बड़े होने का एहसास कराती हैं। जो कि ठीक नही है।
सारे काम खुद से करने के लिए कहना
मां को लगता है कि जितनी जल्दी हो सके पहला बच्चा सारे काम खुद से करने लगे। सुबह स्कूल जाने के लिए रेडी होना, खाना खाना, होमवर्क करना। बच्चे को धीरे-धीरे इन सारे कामों को खुद से करने की आदत डालें। बच्चे के मन में बड़ा होने या भाई-बहन के आ जाने का डर ना डालें। इससे बच्चे अपने आने वाले भाई-बहन के प्रति इंसेंसेटिव हो जाते हैं।
पहले बच्चे के सोने-जागने पर ध्यान ना देना
दूसरे बच्चे के आने पर मां की प्राथमिकता छोटा बच्चा होता है लेकिन इस दौरान बड़े बच्चे के साथ अपनी बॉन्डिंग को खत्म ना होने दें। अक्सर पैरेंट्स दूसरे बच्चे के होने के बाद बड़े बच्चे को अलग बेड पर सुलाना शुरू कर देते हैं। लेकिन इस दौरान भी बच्चे के सोने-जागने के टाइम का ध्यान रखें और थोडा समय निकालें। बच्चे के सोने के टाइम पर और जागने के समय उसके पास आएं और उसे प्यार से बात करें। ऐसा करने से बच्चे को इग्नोर महसूस नहीं होता और वो अपने सिबलिंग से भी प्यार करता है। बच्चे को बिल्कुल अलग कमरे में सुलाने की भूल ना करें।
छोटे बच्चे की गलतियों पर बड़े को ना डांटे
छोटे बच्चे का ध्यान रखने के लिए बड़े बच्चे को कहना आम बात है। लेकिन इस दौरान अगर बच्चे से कुछ गलतियां हो गई हैं तो उसे डांटें नहीं। ऐसा करने से बच्चे के मन पर बुरा असर पड़ता है। उसे लगता है कि सिबलिंग की वजह से डांट पड़ रही है। बच्चे को डांटने की बजाय उसके अच्छे कामों पर फोकस करके तारीफ करें और उसके बाद गलती ना करने की सलाह दें। जिससे बच्चे के मन में किसी भी तरह की निगेटिव बातें ना आएं।
पहले बच्चे से बनाए रखें बॉन्ड
बच्चे के हो जाने के बाद एक मां के लिए बहुत सारे काम होते हैं। लेकिन अपने पहले बच्चे के साथ थोड़ा टाइम जरूर स्पेंड करें। स्कूल से आने के बाद बच्चे से बात करें और स्कूल के बारे में पूछना ना भूलें। इससे बच्चे के साथ बॉन्डिंग बनी रहती है और वो अपने सिबलिंग के लिए इंसेंसेटिव नहीं बनता।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।