बच्चे की हाइट-वेट को लेकर हैं परेशान, अच्छी ग्रोथ के लिए करवाएं ये 5 मेडिकल टेस्ट
Medical Tests To Check Child Growth: अगर आप अपने बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास के लेकर अकसर टेंशन में बने रहते हैं, उनकी हाइट और वेट की चिंता आपको अकसर सताती है तो समय रहते ये 5 मेडिकल टेस्ट बच्चे के जरूर करवा लें।

बच्चे के जन्म लेते ही माता-पिता उसके पोषण और हाइजीन से जुड़ी हर बात का ख्याल रखने की अपनी पूरी कोशिश करते हैं। उनकी पहली ख्वाहिश यही रहती है कि उनके बच्चे की सेहत और विकास अपनी उम्र के अनुसार ही विकसित हो। बावजूद इसके कुछ बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास साथी बच्चों की तुलना में कम होता है। अगर आप भी अपने बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास के लेकर अकसर टेंशन में बने रहते हैं, उनकी हाइट और वेट की चिंता आपको अकसर सताती है तो समय रहते ये 5 मेडिकल टेस्ट बच्चे के जरूर करवा लें। डॉक्टर्स भी अकसर समय-समय पर पेरेंट्स को बच्चे के ग्रोथ हार्मोन, पोषण स्तर और अन्य जरूरी चीजों की स्थिति साफ करने के लिए ये टेस्ट करवाने की सलाह देते रहते हैं। आइए जानते हैं बच्चे की ग्रोथ का सही पता लगाने के लिए कौन से 5 मेडिकल टेस्ट करवाने जरूरी हैं।
बच्चे की ग्रोथ का स्तर चेक करने के लिए करवाएं ये 5 मेडिकल टेस्ट
थायरॉइड टेस्ट-
बच्चों का थायरॉइड हार्मोन असंतुलित होने पर पढ़ाई में फोकस ना कर पाना, सुस्ती और वजन बढ़ना या घटना जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं। इस हार्मोन की गड़बड़ी का बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर बुरा असर पड़ता है। जिसका पता लगाने के लिए पेरेंट्स को चाहिए कि वो अपने बच्चे की ग्रोथ अच्छी ना होने पर उसका एक बार थायरॉइड टेस्ट जरूर करवा लें।
ग्रोथ हार्मोन लेवल टेस्ट
बच्चे के ग्रोथ हार्मोन लेवल टेस्ट से उसकी वृद्धि और विकास से संबंधित समस्याओं का पता लगाने में मदद मिलती है। यह टेस्ट बच्चे की हाइट कम रहने के कारण के साथ पिट्यूटरी ग्रंथि ठीक से काम कर रही है या नहीं,यह पता लगाने में मदद करता है।
विटामिन डी टेस्ट
बच्चों की हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाए रखने के लिए शरीर में विटामिन डी की सही मात्रा का होना बेहद आवश्यक है। विटामिन डी, कैल्शियम और फास्फोरस को अवशोषित करने में मदद करता है। शरीर में इस विटामिन की कमी होने पर बच्चे को रिकेट्स, कमजोर हड्डियां,मांसपेशियों में दर्द और विकास में देरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
हीमोग्लोबिन टेस्ट
बच्चों के शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी, एनीमिया की समस्या कहलाती है। एनीमिया से पीड़ित बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने की वजह से वो बार-बार बीमार पड़ सकते हैं। एनीमिया बच्चों के शारीरिक विकास को धीमा करके उनके सीखने और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई पैदा कर सकता है। जिससे उनके प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है।
ब्लड शुगर
ब्लड शुगर होने पर बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास पर असर पड़ता है। मधुमेह शारीरिक तौर पर बच्चों को अत्यधिक प्यास, बार-बार पेशाब आना, थकान, वजन घटना, और धुंधली दृष्टि जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। जबकि मानसिक रूप से, इसकी वजह से बच्चों में चिड़चिड़ापन, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, और मूड स्विंग जैसी समस्याएं देखी जा सकती हैं। ऐसे में ब्लड शुगर टेस्ट करवाने से बच्चे में मोटापा या डायबिटीज जैसी संभावनाओं का पता समय रहते लगाया जा सकता है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।