Gita Ke Shlok: गीता के ये श्लोक असफलता से निपटने में करते हैं मदद
Gita Ke Shlok: गीता में जीवन का सार बताया गया है। अगर आप बार-बार फेल हो रहे हैं और असफलता ही हाथ लगती है तो गीता के उपदेश आपको जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने में बहुत मदद करेंगे।

श्रीमद्भभवत गीता में जिंदगी का सार दिया गया है। जिसे पढ़ने से ना केवल सही राह पर चलने की सीख मिलती है। बल्कि कर्मों को किस तरह से किया जाए कि सफलता मिले, इस बात की भी सीख रहती है। अगर आप लाइफ में बार-बार फेल हो रहे हैं और सही तरीके से इस फेलियर को मैनेज नहीं कर पा रहे हैं। सफलता मिलना मुश्किल लग रहा है तो गीता के इन श्लोक को पढ़ने से असफलता को सफलता में बदलने का रास्ता मिलेगा। जानें कौन से हैं वो श्लोक।
बुद्घियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते।
तस्माद्योगाय युज्यस्व योग: कर्मसु कौशलम्॥
इस श्लोक का मतलब है कि समान बुद्धि से युक्त इंसान जब पाप रुपी बाधा से दूर होकर पुण्य रूपी अनुकूलता के साथ अपने कर्मों को करने लगता है तो उसकी सफलता तय है। मॉडर्न मैनेजमेंट में भी कहा गया है कि इंसान अगर अपनी प्रोडक्टिविटी बढ़ाता है तो इंसान को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।
क्लैव्यं मा स्म गम:
इस सूक्तिम में बताया गया है कि आलस और दुर्बलता का त्याग करो। आलस को दूर करने के साथ ही अगर इंसान अपनी कमजोरी को समझ कर उन्हें दूर करता है तो असफलता की बजाय सफलता हाथ लगती है।
सम दु:ख-सुख धीरं सोऽमृतत्वाय कल्पत
असफलता से होने वाले दुख और सफलता से होने वाली खुशी से ऊपर उठकर काम के प्रति मन लगाने से ही हमेशा मनचाही सफलता की प्राप्ति होती है। छोटी असफलता पर दुखी होकर बैठ जाने की बजाय आगे बढ़ने और पूरे मन-लगन से प्रयास करने से ही सफलता मिलती है।
गतासूनगतासूंश्च नानुशोचंति पंडिता:
कठिनाईयों से घबराकर पीछे हटने की बजाय अपने रास्ते पर बिना घबराए बढ़ते रहना चाहिए। श्लोक के अर्थ के मुताबिक हर परिस्थिति में तटस्थ भाव से आगे बढ़ते रहने से ही सफलता हाथ लगती है।
