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ब्रेस्ट पंप से दूध निकालने पर क्या मां का दूध ज्यादा बनता है? जानें ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े इन मिथकों की सच्चाई

World Breastfeeding Week 2024: स्तनपान से जुड़ा एक सवाल अक्सर नई मांओं के मन में आता है कि ब्रेस्ट पंप और मां के दूध में से कौन सा विकल्प बच्चे के लिए अच्छा रहता है। दोनों में से कौन से तरीके से मां का दूध ज्यादा बनता है। आइए ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जानते हैं डॉ. वैशाली शर्मा से।

ब्रेस्ट पंप से दूध निकालने पर क्या मां का दूध ज्यादा बनता है? जानें ब्रेस्टफीडिंग से जुड़े इन मिथकों की सच्चाई
Manju Mamgain लाइव हिन्दुस्तानMon, 5 Aug 2024 07:23 AM
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World Breastfeeding Week 2024: दुनियाभर में हर साल अगस्त महीने के 1 से लेकर 7 अगस्त तक वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक 2024 मनाया जाता है। इस वीक को सेलिब्रेट करने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को स्तनपान कराने का महत्व बताने के साथ शिशु और नई मां को ब्रेस्टफीडिंग से मिलने वाले फायदों के प्रति जागरूक करना भी है। बता दें, हर साल इस दिन को मनाने के लिए एक खास थीम रखी जाती है। इस साल की थीम का नाम है-'क्लोजिंग द गैप- ब्रेस्टफीडिंग सपोर्ट फॉर ऑल'। इसका मतलब यह है कि स्तनपान को लेकर लोगों में इतनी जागरूक पैदा हों कि मांएं कहीं भी बच्चे को फीड कराने में दिक्कत न महसूस कर सकें। आमतौर पर देखा जाता है कि नई माओं को स्तनपान से जुड़े कई तरह के भ्रम घेरे रहते हैं। ये कुछ ऐसे भ्रम होते हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी या तो उन्हें विरासत में मिलते हैं या फिर किसी के निजी अनुभव से। स्तनपान से जुड़े ऐसे में भ्रम को एम.डी. (एम्स), सीओएजी (हार्वर्ड), आरसीओजी एसोसिएट (लंदन) डॉ. वैशाली शर्मा, से दूर करने की कोशिश करते हैं। स्तनपान से जुड़ा ऐसा ही एक सवाल अक्सर नई माओं को परेशान करता है कि क्या ब्रेस्ट पंप और मां के दूध में से कौन सा विकल्प बच्चे के लिए अच्छा रहता है। दोनों में से कौन से तरीके से मां का दूध ज्यादा बनता है। आइए ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जानते हैं डॉ. वैशाली शर्मा से।

नवजात शिशु के पैदा होते ही मां को उसे दूध पिलाने को लेकर आमतौर पर दो विकल्प दे दिए जाते हैं। इन विकल्पों में या तो सीधा स्तनपान कराना शामिल होता है या फिर ब्रेस्ट पंप का उपयोग। दोनों ही तरीकों के अपने-अपने फायदे और नुकसान होते हैं। ऐसे में हर मां अपने लिए अच्छा विकल्प व्यक्तिगत परिस्थितियों के आधार पर तय कर सकती है। बता दें, यह लेख स्तनपान और ब्रेस्ट पंप के बीच के अंतर, कौन सा तरीका अधिक दूध उत्पन्न करता है, कौन सा बच्चे के लिए बेहतर है, और दोनों का उपयोग करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इसके बारे में जानकारी देता है।

क्या है ब्रेस्टफीडिंग या ब्रेस्ट पंपिंग-

स्तनपान, शिशु को दूध पिलाने का सबसे कॉमन तरीका होता है। यह मां और बच्चे का रिश्ता मजबूत बनाकर, नवजात के विकास के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व प्रदान करता है। जिससे बच्चे की इम्यूनिटी स्ट्रांग बनी रहती है और बच्चा कम बीमार पड़ता है। जबकि बात अगर ब्रेस्ट पंप की करें तो इसका उपयोग मांएं स्तन से दूध निकालकर भविष्य में स्टोर करने तक के लिए करती हैं। ब्रेस्ट पंप की मदद से मां को बच्चे को दूध पिलाने, काम के बाद आराम करने या ऑफिस जल्दी शुरू करने की आजादी मिल जाती है। अगर किसी मां को सीधा अपने बच्चे को स्तनपान करवाना संभव नहीं होता है तो भी बच्चा ब्रेस्ट पंप की मदद से मां का दूध प्राप्त कर सकता है।

ब्रेस्टफीडिंग या ब्रेस्ट पंपिंग किस तरह दूध पिलाने से मां को बनता है ज्यादा दूध-

दूध की आपूर्ति इस बात पर निर्भर करती है कि एक मां बच्चे को दिन में कितनी बार दूध पिलाती हैं या उन्हें पंप करती हैं। जितना अधिक एक मां बच्चे को स्तनपान कराती हैं या उसे दूध पिलाने के लिए पंप करती हैं, उतना ही उसका शरीर अधिक दूध बनाता है। हालांकि, शिशु के प्राकृतिक चूसने वाले रिफ्लेक्स(suckling reflex) के कारण सीधे स्तनपान दूध उत्पादन को अधिक प्रभावी ढंग से उत्तेजित करता है, जो पंप की तुलना में स्तन को खाली करने में अधिक कुशल होता है। बावजूद इसके नियमित और सही तरीके से पंपिंग करने पर मां के दूध की आपूर्ति को ठीक बनाए रखने के साथ बढ़ाया भी सकता है।

ब्रेस्टफीडिंग या ब्रेस्ट पंपिंग, कौन सा तरीका बच्चे के लिए बेहतर-

डॉक्टरों की मानें तो बच्चे के लिए सीधा स्तनपान कराने के तरीके को हमेशा से बेहतर माना गया है। ऐसा करने से शिशु अपनी मां की त्वचा के संपर्क में आता है, जिससे उसका अपनी मां के साथ भावनात्मक जुड़ाव और ज्यादा मजबूत बनता है। इसके अलावा बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करवाने से बच्चे की जरूरत के अनुसार मां के दूध का प्रवाह कंट्रोल रहता है। जिसकी वजह से बच्चा ओवरफीडिंग और पाचन समस्याओं से दूर रहता है।

वहीं बच्चे को फीड करवाने के लिए पंपिंग की मदद लेने वाली मांओं के बच्चों को भी ब्रेस्ट पंपिंग से मिलने वाले दूध में समान पोषक तत्व मिलते हैं। इसके अलावा अगर मां के लिए अपने बच्चे को सीधा स्तनपान करवाना मुमकिन ना हो तो वो पंपिंग की मदद से उसकी भूख शांत करने के साथ शरीर के लिए जरूरी सभी पोषक तत्व प्रदान करवा सकती है। पंपिंग उन बच्चों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है, जिन्हें लचिंग में कठिनाई होती है या फिर जिनके साथ कोई मेडिकल कंडिशन रहती हैं।

बच्चे के लिए कब लेनी चाहिए ब्रेस्ट पंप की मदद -

विशेषज्ञ आम तौर पर ब्रेस्ट पंप का यूज करने से पहले हर महिला को अपने शिशु को स्तनपान करवाने की सलाह देते हैं। इसमें आमतौर पर 3-4 सप्ताह लगते हैं। इस अवधि के दौरान, मां और बच्चा दोनों सीधे स्तनपान के साथ सहज हो सकते हैं। इससे पहले बच्चे को दूध पिलाने के लिए पंप का इस्तेमाल स्तनपान की प्रकिया में हस्तक्षेप कर सकता है।

ब्रेस्टफीडिंग और ब्रेस्ट पंपिंग के दौरान इन बातों का रखें ख्याल-

स्तनपान-

आराम और स्थिति- उचित लच और स्तनपान करवाने के लिए यह सुनिश्चित करें कि मां और बच्चा दोनों आरामदायक स्थिति में हों।

भूख लगने पर- दूध की आपूर्ति बनाए रखने और बच्चे की जरूरतों को समय-समय पर पूरा करने के लिए उसके मांगने पर ही उसे दूध पिलाएं।

आहार और हाइड्रेशन- दूध की आपूर्ति बनाए रखने के लिए मां की डाइट संतुलित और हाइड्रेटेड रहनी चाहिए।

ब्रेस्ट पंपिंग-

पंप की क्वालिटी- दूध की आपूर्ति बनाए रखने के लिए सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि पंप हमेशा अच्छी गुणवत्ता वाला होना चाहिए।

स्टोरेज- दूध स्टोर करने के लिए साफ, धुली हुई यानी स्टेराइल कंटेनरों का उपयोग करें।

पंपिंग नियम- बच्चे के दूध पिलाने के लिए बताए गए पैटर्न या नियमों को फॉलो करें। इसके अलावा दूध की आपूर्ति बनाए रखने के लिए नियमित पंपिंग करते रहें।

स्वच्छता- संक्रमण को रोकने के लिए अच्छी स्वच्छता का अभ्यास करें, जिसमें प्रत्येक उपयोग के बाद पंप के हिस्सों को अच्छी तरह से साफ करना शामिल है।

सलाह-

बच्चे को सीधा स्तनपान करवाना है या ब्रेस्ट पंप का उपयोग करना है, इस बात का चयन हर मां की व्यक्तिगत परिस्थितियों और आवश्यकताओं पर निर्भर करता है। दोनों ही तरीकों के अपने-अपने फायदे हैं, जो बच्चे को उचित पोषण देने में मदद कर सकते हैं।

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