वेट लॉस से डायबिटीज तक में फायदा पहुंचाती है ये पहाड़ी गहत, जानें 5 बड़े फायदे
Gahat Dal Benefits For Health: गहत दाल में मौजूद पोषक तत्व इम्यूनिटी को बूस्ट करके मोटापे तक को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं। पहाड़ी लोग इस दाल का सेवन ज्यादातर दाल और परांठे बनाकर करते हैं। आइए जानते हैं गहत दाल खाने से सेहत को मिलते हैं क्या फायदे।

उत्तराखंड में सर्दियों के मौसम में गहत दाल को बड़े चाव से खाया जाता है। पहाड़ी इलाकों में इस दाल को कई जगह गहत के अलावा कुलथी की दाल के नाम से भी जाना जाता है। गहत दाल की तासीर गर्म होने की वजह से ये ना सिर्फ ठंड में शरीर को गर्म रखती है बल्कि वेट लॉस से लेकर डायबिटीज तक में भी, सेहत से जुड़े कई फायदे पहुंचाती है। गहत दाल का वैज्ञानिक नाम डौली कॉस बाईफ्लोरस (Dolichos Biflorus)है। बात अगर इसमें मौजूद पोषक तत्वों की करें तो इसमें, मिनरल्स, फाइबर, कैल्शियम, आयरन, कार्बहाइड्रेट, फोसफोरस जैसे कई जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो इम्यूनिटी को बूस्ट करके मोटापे तक को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं। पहाड़ी लोग इस दाल का सेवन ज्यादातर दाल और परांठे बनाकर करते हैं। आइए जानते हैं गहत दाल खाने से सेहत को मिलते हैं क्या फायदे।
गहत दाल खाने के फायदे
मोटापा करें कंट्रोल
गहत दाल खाने से वेट लॉस में मदद मिल सकती है। इस दाल में कैलोरी की क मात्रा और प्रोटीन की अधिकता होती है। इसके अलावा गहत की दाल में फाइबर भी अच्छी मात्रा में मौजूद होता है, जो भूख कम करके वजन कम करने में मदद कर सकता है। वेट लॉस के लिए आप इस दाल का सूप बनाकर पी सकते हैं।
खांसी-जुकाम में आराम
सर्दियों में अकसर लोग खांसी-जुकाम और बुखार से परेशान रहते हैं। ऐसे में यह दाल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर संक्रमण को दूर करके इन समस्याओं से राहत दे सकती है।
कब्ज में आराम
कब्ज की समस्या से राहत पाने के लिए अकसर फाइबर रिच फूड खाने की सलाह दी जाती है। गहत की दाल में फाइबर की अच्छी मात्रा मौजूद होती है, जो कब्ज में आराम दे सकती है। दरअसल, फाइबर मल को मुलायम बनाकर मल त्याग की प्रक्रिया को आसान बनाता है।
डायबिटीज
गहत की दाल एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होने की वजह से मुधमेह के जोखिम को कम करने में मदद सकती है। इसमें मौजूद न्यूट्रिएंट्स ब्लड में शुगर की मात्रा को कंट्रोल रखते हैं।
पथरी में फायदेमंद
गहत की दाल खाने से किडनी स्टोन का खतरा कम होता है। यह शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करके किडनी में जमा एक्स्ट्रा कैल्शियम ऑक्सलेट को घोलकर पेशाब के जरिए बाहर निकालने में मदद कर सकती है।
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