फोटो गैलरी

Hindi News लाइफस्टाइल हेल्थयुवा महिलाओं को सबसे ज्यादा रहता है इन 3 तरह के कैंसर का खतरा, ये हैं लक्षण और बचाव के उपाय

युवा महिलाओं को सबसे ज्यादा रहता है इन 3 तरह के कैंसर का खतरा, ये हैं लक्षण और बचाव के उपाय

common type of cancer in young females: क्या आप जानते हैं भारत में ब्रेस्‍ट कैंसर (Breast Cancer) से भी ज्‍यादा घातक और ज्‍यादा तेजी से फैलने वाला कैंसर सर्विक्‍स या सर्विकल कैंसर (Cervical Cancer) है

युवा महिलाओं को सबसे ज्यादा रहता है इन 3 तरह के कैंसर का खतरा, ये हैं लक्षण और बचाव के उपाय
Manju Mamgainमंजू ममगाईं,नई दिल्लीTue, 07 Feb 2023 01:34 PM
ऐप पर पढ़ें

Common Cancers In Young Females: बीमारियां महिलाओं और पुरुषों में अंतर नहीं करतीं, बावजूद इसके कई ऐसे रोग हैं जो पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा परेशान करते हैं। जी हां, 'नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च' के मुताबिक, लगभग 2.25 मिलियन लोग कैंसर की समस्या से जूझ रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में देश में लगभग 7.12 लाख महिलाओं की मौत कैंसर से हुई, जबकि कैंसर से मरने वाले पुरुषों की संख्या 7 लाख से कम रही। रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं में 75 वर्ष के बाद कैंसर होने का खतरा 94 फीसदी ज्यादा बढ़ जाता है। आमतौर पर महिलाओं में होने वाले कैंसर की बात जब कभी की जाती है तो उसमें सबसे पहला नाम ब्रेस्‍ट कैंसर का ही लिया जाता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में ब्रेस्‍ट कैंसर (Breast Cancer) से भी ज्‍यादा घातक और ज्‍यादा तेजी से फैलने वाला कैंसर सर्विक्‍स या सर्विकल कैंसर (Cervical Cancer) है, जो खासतौर पर कम उम्र की महिलाओं को अपना शिकार बना रहा है। ऐसे में डॉ रजत बजाज, (सीनियर कंसल्‍टैंट, मेडिकल ओंकोलॉजी, फोर्टिस अस्‍पताल, नोएडा) से जानते हैं  3 ऐसे कैंसर के बारे में, जिनका महिलाओं को रहता है सबसे ज्यादा खतरा।  

दुनियाभर में कैंसर से होने वाली युवतियों की मौत के पीछे स्‍तन (ब्रैस्‍ट), सर्वाइकल (गर्भाशय ग्रीवा) और डिंबग्रंथि (ओवेरी) का कैंसर सबसे आम वजह है। ऐसे में खुद क कैंसर से बचाए रखने के लिए युवतियों को हर तरह के कैंसर से जुड़े लक्षणों और चिह्नों के बारे में पता होना चाहिए ताकि आवश्‍यकतानुसार वे तुरंत मेडिकल उपचार ले सकें।

स्‍तन कैंसर-
दुनियाभर में महिलाओं में ब्रैस्‍ट कैंसर सबसे आम है, और यह किसी भी उम्र की महिलाओं को अपनी चपेट में ले सकता है। हालांकि अधिक उम्र की महिलाओं की तुलना में युवतियों में इसकी आशंका अपेक्षाकृत कम होती है, और उम्र बढ़ने के साथ-साथ इसका जोखिम बढ़ता है, लेकिन युवतियों में यह अधिक आक्रामक रूप में देखा गया है। ब्रैस्‍ट कैंसर के जोखिमों में, परिवार में इसका इतिहास, कुछ खास प्रकार के जेनेटिक म्‍युटेशंस, और लाइफस्‍टाइल फैक्‍टर्स जैसे कि शराब का सेवन तथा शारीरिक गतिविधियों का अभाव शामिल है। 

ब्रैस्‍ट कैंसर के लक्षण-
ब्रैस्‍ट कैंसर के लक्षणों में स्‍तन में गांठ या कड़ापन होना, स्‍तन के साइज और शेप में बदलाव, तथा स्‍तन की त्‍वचा की रंगत में बदलाव होना जैसे कि लालिमा होना या डिंपल बनना शामिल है। स्‍तन कैंसर के उपचार में सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी शामिल है। अपने स्‍तन की स्‍वयं जांच करते रहना भी जरूरी है। इसी तरह, 40 साल की उम्र के बाद हर साल मैमोग्राफी करानी चाहिए लेकिन अगर परिवार में इस रोग का इतिहास रहा है तो यह जांच कम उम्र से करनी चाहिए। ब्रैस्‍ट कैंसर उन युवतियों में ज्‍यादा आम है जिनके परिवारों में इस रोग का इतिहास रहा है। 

सर्वाइकल कैंसर-
सर्वाइकल कैंसर भी युवतियों को प्रभावित करने वाला एक अन्‍य प्रमुख कैंसर है। यह ह्यूमन पैपिला वायरस (एचपीवी) नामक वायरस के कारण होता है और यौन संसर्ग से फैलता है। सर्वाइकल कैंसर के जोखिमों में, कम उम्र से यौन सक्रियता, मल्‍टीपल सेक्सुअल पार्टनर्स, और कमजोर इम्‍यून सिस्‍टम प्रमुख हैं। 

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण-
सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों में योनि से असामान्‍य रक्‍तस्राव, श्रोणि (पेल्विक) का दर्द, और यौन संसर्ग के दौरान दर्द शामिल है। सर्वाइकल कैंसर के इलाज में सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी के विकल्‍प उपलब्‍ध हैं। 

ओवेरियन कैंसर-
ओवेरियन कैंसर युवतियों को कम प्रभावित करने वाला कैंसर है। इसके जोखिम कारकों में परिवार में ओवेरियन कैंसर का इतिहास, कुछ खास तरह के जेनेटिक म्‍युटेशन, और लाइफस्‍टाइल संबंधी कारक जैसे मोटापा और शारीरिक व्‍यायाम में कमी आदि शामिल हैं। 

ओवेरियन कैंसर के लक्षण-
ओवेरियन कैंसर के लक्षणों में पेट या श्रोणि में दर्द, पेट फूलना (ब्‍लोटिंग) और मल या मूत्र त्‍याग की आदतों में बदलाव शामिल हो सकते हैं। यदि युवावस्‍था में ओवेरियन कैंसर विकसित होता है तो यह म्‍युकिनस हिस्‍टोलॉजी हो सकता है। ओवेरियन कैंसर के इलाज के विकल्‍पों में सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी प्रमुख हैं। 

कैंसर से बचाव के उपाय-
-सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए जैसे ही वे अपने योनि क्षेत्र से कोई असामान्य प्रतिक्रिया या उत्सर्जन का अनुभव करें, डॉक्टर से परामर्श करें। 
-सर्विकल कैंसर को टीकाकरण से रोका जा सकता है और शुरुआती चरण में पता चलने पर इसका इलाज किया जा सकता है। 
-एचपीवी संक्रमण की जांच करके सर्वाइकल कैंसर का पता लगाया जाता है और सर्जरी, रेडियोथेरेपी या कीमोथेरेपी द्वारा इसका इलाज किया जा सकता है।
-10 से 40 वर्ष की उम्र में बच्चेदानी के कैंसर से बचाव के लिए टीकाकरण जरूर कराना चाहिए। जिनके परिवार में किसी को पहले स्तन कैंसर हुआ है, उन्हें डॉक्टर्स से सलाह पर 45 की उम्र के बाद मेमोग्राम कराना चाहिए।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें