Rabies Day 2023: जानिए रेबीज के पहले लक्षण और संक्रमण से जुड़े कॉमन सवालों के जवाब
Symptoms Of Rabies: रेबीज एक वायरस है, जो संक्रमित जानवरों की लार ग्रंथियों में मौजूद होता है। जब ये संक्रमित जानवर किसी को भी काटता है तो वायरस घाव के जरिए शरीर में जाता है। जानिए रेबीज की डिटेल्स-

हर साल 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस या वर्ल्ड रेबीज डे मनाया जाता है। पहली बार इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 2007 में हुई थी। इस दिन को मनाने का उद्देश्य दुनिया की सबसे घातक संक्रामक बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाना है। रेबीज को लेकर लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है। बता दें कि, ये बीमारी कुत्तों के काटने से होती है। ऐसे में यहां जानिए इससे जुड़े कुछ जरूरी सवालों के जवाब
क्या रेबीज संक्रमण ठीक हो सकता है?
जब कुत्ता काटता है उस समय पर इसे पूरी तरह से साफ करना जरूरी है। इसके अलावा, कुत्ते के काटने पर रेबीज टीकाकरण, एंटीबॉडी और टेटनस शॉट दिया जाना चाहिए। रेबीज वैक्सीन का पूरा कोर्स और इसकी चार से पांच खुराक जरूर लेनी चाहिए। ऐसा करने पर आप रेबीज संक्रमण के खतरे में आने से बच जाते हैं।
हालांकि, लापरवाही बरतने पर रेबीज हो सकता है और इसका का कोई इलाज नहीं है। क्योंकि वायरस तेजी से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है, जिससे पारंपरिक एंटीवायरल दवाओं से लक्ष्य बनाना मुश्किल हो जाता है।
क्या होते हैं रेबीज के पहले लक्षण?
रेबीज के पहले लक्षणों को पहचानना मुश्किल है क्योंकि ये फ्लू जैसे लक्षणों से काफी मिलते-जुलते हैं। इन शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द और कमजोरी शामिल है। इसके अलावा जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, मांसपेशियों में ऐंठन, गुस्सा, पैरालाइसिस जैसे लक्षण ज्यादा साफ हो जाते हैं।
कितने दिन तक जीवित रह सकता है व्यक्ति?
रेबीज के लक्षण सामने आ जाने के बाद जीवित रहने की दर कम हो जाती है। ज्यादातर मामलों में, लक्षण शुरू होने के कुछ दिनों से लेकर हफ्तों के अंदर व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।
क्या रेबीज के मरीज भौंकते हैं?
रेबीज के मरीज भौंकते नहीं है। हालांकि, इसकी वजह से उत्तेजना और भ्रम समेत कई प्रकार के न्यूरोलॉजिकल लक्षण हो सकते हैं, जिससे असामान्य आवाजें निकल सकती हैं।
अगर किसी व्यक्ति को रेबीज हो जाए तो क्या होगा?
अगर कोई व्यक्ति रेबीज से संक्रमित हो जाता है और उसे तुरंत डॉक्टर को ना दिखाया जाए तो मुश्किले बढ़ सकती हैं। दरअसल, सही समय पर जब इलाज नहीं मिलता है तो वायरस केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है, जिससे अनियमित व्यवहार, गंभीर चिंता, भ्रम और मतिभ्रम होता है।
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