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World Osteoporosis Day 2022: क्या मेनोपॉज की वजह से बढ़ सकता है ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा?

World Osteoporosis Day 2022: महिलाएं आमतौर पर 40 से 50 साल के बीच मेनोपॉज की अवस्था में पहुंचती हैं, जिसकी वजह से हड्डियों की सेहत में भी गिरावट आने लगती है। दरअसल, मेनोपॉज के दौरान हड्डियों का घनत्व

World Osteoporosis Day 2022: क्या मेनोपॉज की वजह से बढ़ सकता है ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा?
Manju Mamgainमंजू ममगाईं,नई दिल्लीThu, 20 Oct 2022 10:37 AM
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World Osteoporosis Day 2022: भारत में ऑस्टियोपोरोसिस पुरुषों के मुकाबले 40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में ज्यादा देखा जाता है। महिलाएं आमतौर पर 40 से 50 साल के बीच मेनोपॉज की अवस्था में पहुंचती हैं, जिसकी वजह से हड्डियों की सेहत में भी गिरावट आने लगती है। दरअसल, मेनोपॉज के दौरान हड्डियों का घनत्व तेजी से कम होने लगता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार 40 साल से ज्यादा उम्र के 230 मिलियन लोगों में से 46 मिलियन महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस पाया गया।

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मणिपाल अस्पताल, गुरुग्राम के वरिष्ठ सलाहकार ओर्थपेडीक, डॉ गुरदीप अविनाश रात्रा बताते है की जो महिलाएं मेनोपॉज के नजदीक जा रही होती हैं, उनमें इस बीमारी का खतरा ज्यादा बने रहने की संभावना रहती है। यह बीमारी केवल महिलाओं तक ही सीमित नहीं होती, बल्कि किसी भी उम्र में किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। पारिवारिक इतिहास, असंतुलित हार्मोन, जीवनशैली की समस्याओं, और पोषण की कमी की वजह से ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा हो सकता है। आम धारणा यह है कि गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में कैल्शियम की कमी होने से उसकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, जिसकी वजह से उसे ऑस्टियोपोरोसिस हो सकता है, लेकिन ऐसा बहुत कम मामलों में देखा जाता है। इस स्थिति को गर्भसंबंधी ऑस्टियोपोरोसिस कहा जाता है, जिसमें महिलाओं की हड्डियां शिशु को जन्म देने के बाद के हफ्तों में या गर्भावस्था के दौरान आसानी से टूट जाती हैं। इस स्थिति में आमतौर पर स्पाईन या हिप्स की हड्डियां टूटा करती हैं।

पिछले कुछ सालों में यह देखने में आया है कि जब महिलाएं अपने मेनोपॉज के नजदीक होती हैं, तो उन्हें यह बीमारी होने का जोखिम ज्यादा होता है। प्री- मेनोपॉज महिलाओं और पोस्ट- मेनोपॉज के समय महिलाओं को प्राईमरी ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना ज्यादा होती है, क्योंकि यह एस्ट्रोजन की कमी के कारण होता है। मेनोपॉज ट्रांजिशन की अवधि में एस्ट्रोजन के स्तर में होने वाली कमी के कारण हड्डियां बनने की जगह घटती ज्यादा हैं, जिसके कारण ऑस्टियोपोरोसिस हो जाता है। मेनोपॉज़ के दौरान यदि महिलाओं में लंबे समय तक हार्मोन कम रहते हैं, या माहवारी बिल्कुल नहीं या फिर अनियमित होती है, तो इससे हड्डियों का घनत्व कम हो सकता है।

मेनोपॉज़ के बाद पहले पांच सालों में महिलाओं की हड्डियों का घनत्व 10 प्रतिशत कम हो जाता है। इसलिए महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस के बारे में ज्यादा जागरुक होना और बार-बार गिरने, हड्डियों में दर्द, या जल्दी से हड्डी टूटने की स्थिति में जांच करवाना जरूरी होता है। ऑस्टियोपोरोसिस का निदान बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट (बीएमडी) और विशेष डेक्सा स्कैन द्वारा किया जाता है।

मेनोपॉज के दौरान महिलाएं रखें इन बातों का ध्यान-
मेनोपॉज के आसपास के समय पर ऑस्टियोपोरोसिस होने का जोखिम ज़्यादा होता है। इसीलिए डॉक्टर सलाह देते हैं की जीवनशैली में बदलाव लाएं। इसके लिए महिलाओं को इन जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। 
1.  प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में अपने आहार में कैल्शियम लेना बहुत जरूरी है। इसके लिए एल्मंड ड्रिंक, ठोस टोफू, बादाम, गहरी हरी पत्ती वाली सब्जियों, और हड्डियों सहित खाई जाने वाली मछलियों में भी कैल्शियम पाया जाता है।
2. नियमित रूप से उचित शारीरिक व्यायाम, जैसे वजन के साथ रेजिस्टेंस ट्रेनिंग का व्यायाम करें।
3. शरीर में पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी बनाए रखें। विटामिन डी शरीर को कैल्शियम का अवशोषण करने में मदद करता है। यह त्वचा में धूप की मदद से बनता है और कुछ आहारों में मामूली मात्रा में पाया जाता है। विटामिन डी के सप्लीमेंट आसानी से बाजार में उपलब्ध हैं।
4. शराब का सेवन ज्यादा न करना।
5. धूम्रपान (सिगरेट पीने से ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम बढ़ता है) और अत्यधिक मात्रा में कैफीन का सेवन न करें।
6. मेनोपॉज के 10 सालों की अवधि में डेंसिटी टेस्टिंग कराई जानी चाहिए ताकि ऑस्टियोपोनिया या ऑस्टियोपोरोसिस को समय पर पहचान कर उचित एंटी-रिज़ॉर्प्टिव थेरेपी कराई जा सके।

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