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World Aids Day 2022: लड़कियों में लगातार बढ़ रहे एड्स के मामले, दुनियाभर में 8 लाख बच्चे इलाज से महरूम

World Aids Day 2022: दुनियाभर में करीब आठ लाख एड्स पीड़ित बच्चों को आज भी इलाज नसीब नहीं है। एचआईवी से ग्रसित पांच से 14 साल के 60 फीसदी बच्चे बिना उपचार के जीवन जी रहे हैं। वहीं बड़ी संख्या में इस रो

World Aids Day 2022: लड़कियों में लगातार बढ़ रहे एड्स के मामले, दुनियाभर में 8 लाख बच्चे इलाज से महरूम
Manju Mamgainहिन्दुस्तान ब्यूरो,नई दिल्लीThu, 01 Dec 2022 06:58 AM

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World Aids Day 2022: एड्स छूने, साथ बैठने से नहीं फैलता है। बीते कई दशकों से दुनिया को ये संदेश दिया जा रहा है। इसके बावजूद हालात नहीं सुधर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएन एड्स की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, असमानता की भावना से ये रोग बढ़ रहा है। दुनियाभर में करीब आठ लाख एड्स पीड़ित बच्चों को आज भी इलाज नसीब नहीं है। एचआईवी से ग्रसित पांच से 14 साल के 60 फीसदी बच्चे बिना उपचार के जीवन जी रहे हैं। वहीं बड़ी संख्या में इस रोग से पीड़ित बच्चों का इलाज देरी से शुरू हो रहा है।

लड़कियों में लगातार बढ़ रहे केस-
वर्ष 2021 में 15 से 24 साल की लड़कियों में एचआईवी के मामले बढ़े हैं। दुनियाभर में एचआईवी संक्रमण के 49 फीसदी मामले महिलाओं और लड़कियों में मिले हैं। हर दो मिनट में एक किशोरी या युवा लड़की इसकी चपेट में आई है। अफ्रीकी देशों की लड़कियों में ये रोग तेजी से फैला है। महिलाओं में एचआईवी के 61 फीसदी मामले सब सहारा अफ्रीकी देशों में मिले हैं।

संक्रमण के मामलों में गिरावट-
यूएन एड्स की रिपोर्ट के अनुसार 1996 में बीमारी का प्रकोप बढ़ने के बाद इसमें गिरावट आई है। 1996 में 32 लाख लोग और 2010 में करीब 22 लाख इसकी चपेट में आए थे। वर्ष 2021 में ये संख्या घटकर करीब 15 लाख हो गई है। इस अनुसार इसमें 32 फीसदी की गिरावट आई है।

एचआईवी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर भार-
यूएन एड्स के अनुसार, वर्ष 2021 के अंत तक गरीब और कम आय वाले देशों में एड्स से लड़ाई के लिए संगठन के पास करीब 2140 करोड़ डॉलर राशि थी। वर्ष 2025 तक इसके लिए 2900 करोड़ डॉलर की जरूरत होगी। रिपोर्ट में चिंता जताई गई है कि बिना इलाज के जीवन जी रहे बच्चे दुनिया के लिए नई मुश्किल हैं।

यौन स्वास्थ्य को लेकर बंदिशें-
यूएन एड्स की कार्यकारी निदेशक विन्नी बयानिमा का कहना है कि दुनिया के 33 देशों की 41 फीसदी शादीशुदा महिलाएं ही यौन स्वास्थ्य को लेकर अपना निर्णय लेती हैं। अन्य देशों की बात करें तो दस में से पांच महिलाएं इसको लेकर गंभीर ही नहीं हैं। वे यौन स्वास्थ्य से जुड़ी हर बात के लिए पुरुषों पर निर्भर हैं।

दुनियाभर में जान पर भारी एचआईवी-
इस बीमारी के आने के बाद 8.42 करोड़ लोग इसकी चपेट में हैं। जबकि 4.01 करोड़ लोगों की जान अब तक इस बीमारी ने ली है। वर्ष 2021 में 6.50 लाख लोगों की मौत एचआईवी से हुई है।

एचआईवी का किसे कितना जोखिम-
इंजेक्शन से ड्रग्स लेने वाले लोगों को बाकी लोगों की तुलना में एचआईवी का खतरा 35 गुना ज्यादा बना रहता है। जबकि सामान्य महिलाओं की तुलना में महिला सेक्स वर्कर को एड्स का 30 गुना ज्यादा खतरा होता है। दुनियाभर के समलैंगिकों को सामान्य पुरुषों की तुलना में 28 गुना ज्यादा खतरा होता है। ट्रांसजेंडर को सामान्य वयस्क की तुलना में 14 गुना ज्यादा जोखिम  होता है। 

भारत में एचआईवी-एड्स
देश में वर्ष 2019 में 24 लाख एचआईवी के मरीज थे। 3.96 लाख मरीजों के साथ महाराष्ट्र पहले नंबर पर है। वर्ष 2021 में इस रोग से 41 हजार लोगों की मौत हुई। देश में 61 हजार से अधिक बच्चे इस रोग से ग्रसित है।  
(स्रोत: नेशनल एड्स कंट्रोल सोसाइटी-2021)

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