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Risk Of Pneumonia: बच्चे की सर्दी-खांसी कब बन जाती है निमोनिया, ऐसे करें बचाव

Risk Of Pneumonia: बदलते मौसम में सर्दी-जुकाम हर किसी को हो जाता है। लेकिन घर में अगर छोटे बच्चे हैं तो इनकी सर्दी-खांसी पर खास ध्यान देने की जरूरत है। जिससे कि उन्हें निमोनिया का खतरा ना पैदा हो।

Risk Of Pneumonia: बच्चे की सर्दी-खांसी कब बन जाती है निमोनिया, ऐसे करें बचाव
Aparajitaलाइव हिंदुस्तान,नई दिल्लीSun, 24 Sep 2023 11:29 AM
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बदलते मौसम में सर्दी-खांसी होना आम बात है लेकिन कई बार ये सर्दी-जुकाम बढ़कर निमोनिया का रूप ले लेता है। अक्सर लोगों में ये भ्रांति रहती है कि निमोनिया सर्दियों में होता है लेकिन ये किसी भी मौसम में हो सकता है। अगर जुकाम हुए 7-10 दिन बीत गए हैं। और बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही है तो ये चलने वाले निमोनिया के लक्षण हो सकते हैं। हालांकि निमोनिया का ये लक्षण फेफड़े में इंफेक्शन की वजह से होने वाले निमोनिया जितना खतरनाक नहीं होता। लेकिन इसमे भी सावधानी जरूरी है। 2 साल से कम उम्र के बच्चों में निमोनिया का खतरा सबसे ज्यादा होता है।

वॉकिंग निमोनिया के लक्षण
-बच्चे को हल्का बुखार या शरीर गर्म रहना
-सिर दर्द, ठंड लगना, गले में खराश और दूसरे फ्लू वाले लक्षण दिखते हैं,
-सीने में घरघराहट के साथ सांस लेना
-या, तेजी से सांस लेना
-सांस लेते वक्स सीने में पसलियों का चलना
-खांसी के वक्त कफ की आवाज आना
-पेट में दर्द या सीने में दर्द
-उल्टी 
-बच्चे को बेचैनी महसूस होना
-भूख ना लगना, छोटे बच्चों को दूध पीने में तकलीफ महसूस होना
-स्किन पर लाल रैशेज हो जाना

दिखते हैं इस तरह के लक्षण
कई बार सांस लेने से जुड़े लक्षण नहीं दिखते जिसका कारण है फेफड़ों के नीचे वाले हिस्से में संक्रमण का होना। जिसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ ना होकर पेट में दर्द, उल्टी और मिचली आती है।

बच्चे का ऐसे करें बचाव
-बच्चों में इस तरह के लक्षण दिखें तो डॉक्टर की सलाह के किसी भी दवा का इस्तेमाल ना करें। 
-इसके साथ ही बच्चे को लिक्विड पर्याप्त मात्रा में दें। खासतौर पर बच्चे को अगर बुखार हो तब।
-खांसी की दवा बिल्कुल ना दें। ये दवाएं फेफड़े में जमा बलगम को साफ होने से रोकती है।
-बच्चे के सीने पर गर्म पैड की सिंकाई करें। 6 महीने से छोटे बच्चों के बुखार को नापते रहें और डॉक्टर के संपंर्क में रहें।
-निमोनिया का ये प्रकार थोड़ी सी सावधानी से कुछ ही दिनों में ठीक हो जाती है।

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