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आपकी त्वचा करती है गंभीर बीमारियों की तरफ इशारा, डॉक्टर ने बताया कैसे समझें

एक अच्छा त्वचा रोग विशेषज्ञ त्वचा देखकर ही सेहत का हाल बता देता है। बात त्वचा रोगों की ही नहीं है, किडनी, पेट, गठिया आदि की कई समस्याएं भी त्वचा पर असर डालती हैं। अनदेखी न करते हुए उनका सही कारण जानें

आपकी त्वचा करती है गंभीर बीमारियों की तरफ इशारा, डॉक्टर ने बताया कैसे समझें
Kajal Sharmaशमीम खान, हिंदुस्तान,नई दिल्लीFri, 17 Nov 2023 03:11 PM
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अमेरिकन अकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी (एएडी) के अनुसार, त्वचा वो खिड़की है, जिससे हम शरीर के अंदर झांक सकते हैं। यह पता लगा सकते हैं कि शरीर के अंदर क्या चल रहा है। अचानक त्वचा की रंगत और टेक्सचर में आए बदलाव, रैशेज, पिग्मेंटेशन व चकत्ते आदि को हमें गंभीरता से लेना चाहिए। ये सिर्फ त्वचा की समस्या नहीं, शरीर में पनप रहे किसी रोग के संकेत भी हो सकते हैं।

वायु प्रदूषण से हो सकती है गंभीर बीमारी
प्रदूषण त्वचा को किसी गंभीर बीमारी से भी अधिक नुकसान पहुंचाता है। देश में 90 प्रतिशत आबादी उन क्षेत्रों में रह रही है, जहां वायु गुणवत्ता का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठनों के मानकों से नीचे है। वायु में मौजूद अधिकतर प्रदूषक इतने छोटे होते हैं कि वो त्वचा रोमछिद्रों से शरीर में चले जाते हैं और त्वचा कोशिकाओं के बीच जो स्पेस होता है, उसमें प्रवेश कर जाते हैं। समय के साथ ये महीन रेखाओं, पिग्मेंटेशन, संवेदनशीलता बढ़ना और त्वचा की संरचना कमजोर होना-जैसी समस्याओं का कारण बन जाते हैं। प्रदूषित वायु में मौजूद फ्री रैडिकल्स के कारण कोलेजन क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। सूजन बढ़ सकती है। फ्री रैडिकल्स के कारण कोशिकाओं में म्युटेशन हो सकता है और डीएनए क्षतिग्रस्त हो सकता है, जो त्वचा कैंसर में बदल सकता है। प्रदूषकों से त्वचा में ऑक्सीडेटिव डैमेज होता है। जो एलर्जी, एग्जिमा, मुंहासे, सोरायसिस का कारण बन सकता है। साथ ही त्वचा असमय बूढ़ी दिखने लगती है।


ये समस्याएं डालती हैं असर

थायरॉइडिज्म
थायरॉइड ग्रंथि से निकलने वाले हार्मोन हमारे मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करते हैं। जब इन हार्मोनों का स्रावण सामान्य से अधिक या कम होता है तो हाइपर या हाइपो थायरॉइडिज्म की समस्या होने लगती है। जब थायरॉइड ग्रंथि ठीक से काम नहीं करती, तब ये पूरे शरीर को प्रभावित करती है, जिसमें त्वचा भी शामिल है। खासकर, हाइपर थायरॉइडिज्म में मेटाबॉलिज्म व शरीर की दूसरी कार्यप्रणाली तेज हो जाती है, जिससे रैशेज हो सकते हैं। मेटाबॉलिक दर बढ़ने से त्वचा ऊष्मा के प्रति संवेदनशील हो जाती है। छूने पर त्वचा गर्म और पसीनेदार महसूस होती है। हाइपर थायरॉइडिज्म के कारण खुजली होना, त्वचा का रंग बदरंग होना, पिग्मेंटेशन व पित्ती की समस्या हो सकती है। पेनसिलवैनिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार हाइपर थायरॉइडिज्म से पीड़ित 77 फीसदी लोगों में त्वचा के रूखेपन की समस्या देखने को मिलती है।

डायबिटीज
अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार, टाइप 2 डायबिटीज के 97 प्रतिशत लोगों को त्वचा संबंधी समस्याएं होती हैं। कभी-कभी तो त्वचा से ही डायबिटीज होने का पहला संकेत मिलता है। यह प्री डायबिटीज या फिर डायबिटीज की समस्या होने पर शुगर बढ़ने का संकेत हो सकता है। रक्त में शुगर बढ़ने से त्वचा की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है, जिससे पसीना निकलने की क्षमता प्रभावित होती है। ताप व दबाव के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है।

आंतों की सेहत
कैनेडियन डायजेस्टिव हेल्थ फाउंडेशन के अनुसार, हमारी आंतो में जो बैक्टीरिया पाए जाते हैं, वो त्वचा को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं। पाचन-तंत्र और त्वचा के बीच जो संबंध होता है, उसे गट-स्किन एक्सिस या गट-स्किन कनेक्शन कहते हैं। हमारा खानपान त्वचा की सेहत में खासी भूमिका निभाता है। अगर पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं कर रहा है तो इसका असर त्वचा पर दिखाई देगा। पाचन-तंत्र की गड़बड़ी और एसिडिटी की समस्या अधिक होने के कारण सोरायसिस, सूजन, एग्जिमा, सूखी त्वचा, चेहरे व होंठों के आसपास दाने, मुहांसे, रोजेशिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं। त्वचा बूढ़ी दिखती है।

किडनी से जुड़ी समस्याएं
किडनी से जुड़ी समस्याओं में शुरू में त्वचा पर असर नहीं दिखाई देता। पर, जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, त्वचा पर प्रभाव दिखने लगता है। किडनियां रक्त से विषैले और व्यर्थ पदार्थों को बाहर निकालती हैं। जब किडनी ठीक से काम नहीं करतीं तो रक्त ढंग से साफ नहीं होता, विषैले पदार्थ शरीर में जमा होने लगते हैं। इस कारण त्वचा का रंग बदलने लगता है। त्वचा पर पीलापन या गहरा कालापन बढ़ने लगता है। रेखाएं गहरी व त्वचा पर धब्बे व मछली की त्वचा की तरह धारियां दिखती हैं। किडनी की कार्यप्रणाली गड़बड़ाने से स्वेट ग्लैंड्स में ब्लॉकेज हो जाती है, जिससे त्वचा खुरदरी हो जाती है। अगर आप खुजली से परेशान हैं और रात में यह समस्या बढ़ जाती है तो यह किडनी की किसी समस्या का संकेत हो सकता है।

यों करें त्वचा की देखभाल

● हरी पत्तेदार सब्जियां, मौसमी फल और दही अधिक मात्रा में खाएं। जंक फूड, सॉफ्ट ड्रिंक, अधिक तैलीय और मसालेदार भोजन से बचें।

● दिन में कम से कम पांच प्रकार के फल और सब्जियां खाएं। इनमें एंटी ऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो फ्री रेडिकल्स से लड़ते हैं। त्वचा को असमय बूढ़ा होने से बचाते हैं।

● कैफीन युक्त पेय पदार्थों जैसे चाय-कॉफी और अल्कोहल के सेवन से बचें; इनकी अधिक मात्रा शरीर में गर्मी और टॉक्सिन बढ़ाती है। त्वचा की ताजगी पर असर पड़ता है।

● दिन में 3-4 लीटर पानी पिएं। दूसरे तरल पदार्थों जैसे नींबू पानी, नारियल पानी, छाछ आदि का सेवन भी करें। सर्दियों में पानी कम पीते हैं तो दाल व सब्जियों का सूप पिएं।

● व्यायाम और योग करें; इससे रक्त संचरण बढ़ता है। त्वचा तक ऑक्सीजन की बेहतर पूर्ति होने से त्वचा का तनाव कम होता है।

● पर्याप्त नींद लें। जितना नींद लेंगे, उतनी अधिक मात्रा में आपके शरीर में एचजीएच (हृयूमन ग्रोथ हार्मोन) उत्पन्न होगा जो आपकी त्वचा को मोटा, लचीला बनाने में सहायता करेगा। झ़ुर्रियां कम आएंगी।

● सर्दियों में भी सनस्क्रीन लगाना बंद न करें। ये सूरज की हानिकारक किरणों से ही नहीं बल्कि स्मोग पार्टिकल्स को भी त्वचा में प्रवेश करने से रोकता है।

● तनाव न लें। तनाव की अधिकता से त्वचा अति संवेदनशील हो जाती है। ध्यान का नियमित अभ्यास त्वचा की चमक बढ़ाता है।

● त्वचा पर अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पाद ही लगाएं। त्वचा की सफाई का ध्यान रखें।

सतर्क हो जाएं

● त्वचा पर लाल, पीले या भूरे रंग के चकते बन जाना।

● गर्दन, बगल या कहीं और गहरे चकते पड़ जाना जो छूने पर मखमल जैसे महसूस हों।

● हाथ-पैर की उंगलियों की त्वचा कड़ी व मोटी हो जाना (डिजिटल स्क्लेरोसिस)।

● त्वचा पर फफोले या खुले घाव हो जाना (डायबिटिक अल्सर)।

● त्वचा के संक्रमण का खतरा बढ़ जाना।

● त्वचा रूखी हो जाना और खुजली होना।

● त्वचा पर अंडाकार या गोलाकार हल्के भूरे रंग के चकते होना (डायबिटिक डर्मोपैथी)।

इन लक्षणों पर हो जाएं सतर्क
हममें से अधिकतर खुजली होने, पित्ती उछलने, रैशेज, त्वचा के बदरंग होने या चकत्ते आदि को सामान्य समझते हैं और जांच कराने से कतराते हैं। घरेलू उपायों व ओटीसी स्किन ओइंटमेंट्स लगाते रहते हैं। इससे समस्याओं की पहचान में देरी हो जाती है। अगर शरीर में, जहां त्वचा फोल्ड होती है, गहरे रंग के पैचेस दिखाई दें तो शुगर की जांच करानी चाहिए। ऐसा टाइप 2 डायबिटीज के कारण हो सकता है। इसी तरह बहुत खुजली होना और रात में इस कारण नींद खुलना, शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकलने की प्रक्रिया में गडबड़ी का संकेत है। किडनी से जुड़े टेस्ट व यूरीनालिसिस (प्रोटीन, रक्त और किडनी फंक्शनिंग के लिए यूरीन की जांच) कराएं। अगर छूने पर त्वचा गर्म महसूस हो या पसीना पहले की तुलना में अधिक आ रहा हो तो थायरॉइड टेस्ट कराएं। अगर आप मुंहासों से परेशान हैं, त्वचा बदरंग हो रही है, एक्जिमा है या धूप में आपकी त्वचा एकदम लाल हो जाती है तो डॉक्टर को दिखाने में देरी न करें। कुछ अन्य संकेतों के साथ यह पाचन-तंत्र की गड़बड़ी का संकेत हो सकता है। शरीर में दर्द के साथ त्वचा पर सूजन, रूखापन, रैशेज हैं तो गठिया की जांच कराने की सलाह दी जाती है।

हमारे विशेषज्ञ डॉ. ए. के. झिंगन, सीनियर कंसल्टेंट, मेडिसिन, बीएलके सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली।

डॉ. विजय सिंघल, वरिष्ठ त्वचा रोग विशेषज्ञ, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली ।

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