कहीं आपकी त्वचा को नुकसान तो नहीं पहुंचा रहा आपका फेवरेट क्लींजर? ये हो सकते हैं नुकसान
Side Effects Of Using Face Cleanser: त्वचा शरीर का सबसे बड़ा हिस्सा है। यह लगातार हमारे आस-पास के वातावरण के संपर्क में रहती है। इसकी सबसे बाहरी परत स्ट्रेटम कॉर्नियम अवांछित रसायनों और बैक्टीरिया को

Side Effects Of Using Face Cleanser: आजकल हर उम्र के लोगों के बीच क्लींजर से हाथ-मुंह धोने का चलन काफी बढ़ गया है। लेकिन ये क्लींजर यानी फेसवास और बॉडीवाश हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचा रहे हैं। अमेरिका के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। इस अध्ययन को पीएनएएस नेक्सस जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने नौ क्लींजरों का आकलन करने के लिए फ्रांस में दो महिलाओं की त्वचा में हुए बदलावों का अध्ययन किया। इसके अलावा चीन की सात हजार महिलाओं में भी छह क्लींजर से त्वचा में आए बदलावों का आकलन किया गया। इस अध्ययन के बाद उन्होंने बताया कि क्लींजर से धोने के बाद आपकी त्वचा का सख्त महसूस होना इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। यह हमारी त्वचा की सबसे बाहरी परत स्ट्रेटम कॉर्नियम के संकुचन के कारण होता है।
नमी की होती है कमी
शोधकर्ताओं ने बताया कि त्वचा शरीर का सबसे बड़ा हिस्सा है। यह लगातार हमारे आस-पास के वातावरण के संपर्क में रहती है। इसकी सबसे बाहरी परत स्ट्रेटम कॉर्नियम अवांछित रसायनों और बैक्टीरिया को बाहर रखने और नमी बनाए रखने का कार्य करती है। लेकिन, क्लींजर से धोने से बाद हमारी त्वचा की बाहरी सतह में परिवर्तन होने लगता है। इससे त्वचा में नमी की कमी होने लगती है।
धीरे-धीरे जकड़ने लगती है त्वचा
स्टैनफोर्ड के विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर रेनहोल्ड डौस्कार्ड ने बताया कि त्वचा की बाहरी परत की सिकुड़न या सूजन से उत्पन्न यांत्रिक बल त्वचा के माध्यम से एपिडर्मिस के नीचे मैकेनोरिसेप्टर (एक इंद्रिय अंग) तक पहुंचते हैं, जो तब मस्तिष्क को संकेत भेजते हैं जिसे हम त्वचा की जकड़न की भावना के रूप में समझते हैं। इससे सबसे ज्यादा परेशानी गाल, माथे और पेट की त्वचा में होती है।
इस तरह किया अध्ययन-
शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने प्रयोगशाला में त्वचा की सबसे बाहरी परत स्ट्रेटम कॉर्नियम में परिवर्तनों को मापा। इसके बाद इस डाटा की मानव त्वचा के परिष्कृत मॉडल से त्वचा से तुलना की गई, ताकि सबसे बाहरी त्वचा के नीचे की परत मैकेनोरिसेप्टर्स द्वारा दिमाग को भेजे जाने वाले संकेतों की भविष्यवाणी की जा सके। इसके बाद त्वचा की जकड़न की स्थितियों का आकलन किया गया। डॉसकार्ड ने कहा उनका अध्ययन त्वचा रोगों में सुधार करने के लिए मददगार साबित हो सकता है।
