Long Covid की वजह से लोगों में बढ़ा फेस ब्लाइंडनेस का खतरा, शीशे में खुद को भी नहीं पहचान पा रहे लोग
Long Covid can cause face blindness: कोविड ठीक होने के बाद भी लोगों में इसके लक्षण हफ्तों, महीनों या सालों तक बने रह सकते हैं। सीडीसी के अनुसार, कोविड के लक्षण ठीक होने के बाद वापस भी लौट सकते हैं।

Long Covid Can Cause Face Blindness: कोविड को लेकर आए दिन होने वाले नए-नए खुलासों ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ाकर रख दी है। लॉन्ग कोविड से जुझ रहे लोगों में या फिर कोविड से ठीक होने के बाद भी लोगों में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं देखी जा रही हैं। हालांकि कोविड के कुछ लक्षणों को आसानी से ठीक किया जा सकता है जबकि कुछ डॉक्टरों के लिए परेशानी की वजह बने हुए हैं। कोविड के इन लक्षणों में थकान, अवसाद, चिंता, सिरदर्द, हृदय की कुछ स्थितियां शामिल हैं, जो कि संक्रमण के बाद भी कम से कम तीन महीने तक बनी रह सकती हैं। लेकिन चिंता की बात यह है कि यह किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर सकती हैं।
कोविड महामारी को भले ही तीन साल बीत चुके हैं, लेकिन आज भी लगातार कोरोना वायरस के केस और संक्रमण से रिकवर होने के महीनों बाद भी लोगों में कई स्वास्थ्य समस्याएं बनी हुई हैं। अब तक कोविड का असर लोगों के हार्ट, लिवर किडनी जैसे अंगों पर पड़ा था। लेकिन जर्नल कॉर्टेक्स में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार, लॉन्ग कोविड से पीड़ित लोगों में फेस ब्लाइंडनेस यानी प्रोसोपेग्नोसिया का खतरा भी बना हुआ है।
क्या है फेस ब्लाइंडनेस-
फेस ब्लाइंडनेस या प्रोसोपैग्नोसिया एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। इस बीमारी में पीड़ित व्यक्ति अपने करीबियों तक तक के चेहरे नहीं पहचान पाता है। इस बीमारी को कोविड का ही प्रभाव माना जा रहा है।हालांकि WHO ने प्रोसोपैग्नोसिया को रेयर डिजीज के ग्रुप में रखा है। दुनियाभर में केवल एक से दो फीसदी लोगों में ही इस बीमारी के केस देखने को मिलते हैं। चिंता की बात यह है कि फिलहाल फेस ब्लाइंडनेस का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है।
इस अध्ययन में एनी नाम की एक 28 वर्षीय महिला का जिक्र किया गया है, जो मार्च 2020 में कोविड से संक्रमित हो गई थी लेकिन उस समय एनी को लोगों के चेहरों को पहचानने में कोई परेशानी नहीं थी, हालांकि, वायरस के संपर्क में आने के दो महीने बाद, एनी अपने परिवार के करीबी सदस्यों तक को अच्छी तरह नहीं पहचान पा रही थी। डार्टमाउथ में एक प्रोफेसर एवं अध्ययन के वरिष्ठ लेखक ब्रैड डचैन ने बताया कि, 'चेहरे पहचाने और रास्ते याद रखने की परेशानी एकसाथ होने की वजह से ही एनी ने हमारा ध्यान खींचा, क्योंकि ये दोनों समस्याएं अकसर मस्तिष्क क्षति या विकास संबंधी परेशानी के कारण एकसाथ उत्पन्न होती हैं'।
एक्सपर्ट की मानें तो कोविड-19 से रक्त वाहिकाओं में सूजन और उन्हें नुकसान पहुंच सकता है, जिससे मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह कम हो सकता है। जिससे मस्तिष्क को नुकसान पहुंचने पर चीजों का याद रखने और चेहरे पहचानने में दिक्कत आ सकती है।
आईने में भी खुद को नहीं पहचानते लोग-
फेस ब्लाइंडनेस की सबसे चरम स्थिति होने पर, कुछ लोग खुद को भी पहचानने में असमर्थ होते हैं। ऐसी स्थिति में कई बार वो आईने के सामने खड़े होकर आईने में दिखाई देने वाले शख्स से उसे पहचान न पाने के लिए माफी मांग रहे होते हैं। इसके अलावा कई लोग अपने परिचित लोगों को तब भी पहचानने में असमर्थ रहते हैं अगर उन्होंने टोपी पहनी हुई होती है।
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