शरीर के किन हिस्सों में सारकोमा ट्यूमर फैलने का होता है सबसे ज्यादा खतरा, जानें
sarcoma awareness month 2022: डब्ल्यूएचओ के अनुसार इस ट्यूमर के पैदा होने के आधार पर 100 से ज़्यादा सबटाइप में बांटा जा सकता है। फोर्टिस अस्पताल के डॉ मोहित अग्रवाल, (डायरेक्टर एवं यूनिट हैड मेडिकल ओ
सारकोमा अलग-अलग प्रकार के ट्यूमर होते हैं जो शरीर की मेसेंकाईमल लेयर से विकसित होते हैं। इसलिए वे हड्डी के साथ-साथ सॉफ्ट टिश्यू में भी विकसित हो सकते हैं। वयस्कों के ट्यूमर के लगभग एक प्रतिशत और बच्चों के ट्यूमर के 10% मामले सारकोमा के होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि मेसेंकाईमल लेयर काफी फैली हुई होती है, इसलिए सारकोमा शरीर के किसी भी हिस्से में पैदा हो सकता है। बीस प्रतिशत सारकोमा हड्डी से जबकि अस्सी प्रतिशत सॉफ्ट टिश्यू से पैदा होते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार इस ट्यूमर के पैदा होने के आधार पर 100 से ज़्यादा सबटाइप में बांटा जा सकता है। फोर्टिस अस्पताल के डॉ मोहित अग्रवाल, (डायरेक्टर एवं यूनिट हैड मेडिकल ओंकोलॉजी) से जानते हैं क्या है सारकोमा और इससे पीड़ित रोगी में कैसे दिखाई देते हैं इसके लक्षण।
सारकोमा के कारण-
-न्यूरो फाइब्रोमैटोसिस और लि-फ्रामिनी जैसे आनुवंशिक सिंड्रोम
-पूर्व में रेडिएशन एक्पोजर
-क्रोनिक इरिटेशन
-लिम्फेडेमा
-ह्यूमन हर्पीज वायरस आठ जिससे कपोसी सारकोमा होता है
कैसा दिखाई देता है
आमतौर में यह मरीज के शरीर में गांठ के तौर पर होता है। सामान्यत इसमें दर्द नहीं होता, लेकिन अगर यह आकार में बड़ा हो जाए, तो इसमें दर्द हो सकता है। यह प्रेस्थेसिया या त्वचा में परिवर्तन से भी जुड़ा हो सकता है। इसमें बुखार कभी कभार होता है। इनमें से अधिकांश ट्यूमर जांघ, नितंब और ग्रोइन में होते हैं। लेकिन यह सिर और गर्दन सहित शरीर के ऊपरी हिस्से में भी हो सकता है। ट्यूमर के फैलने पर यह आमतौर से फेफड़े में दिखाई देता है।
सबसे सामान्य प्रकार
-लिपोसारकोमा- वसा कोशिकाओं से पैदा होती है। आमतौर से हाथ पैरों और पेट में होता है।
-लियोमीसारकोमा - कोमल मांसपेशी से पैदा होता है और शरीर में कहीं भी हो सकता है।
-अविभेदित सारकोमा- जिसमें कोशिका की उत्पत्ति को निर्धारित नहीं किया जा सकता।
-सिनोवियल सेल सारकोमा
-मेलिग्नेंटपेरीफेरल नर्व शीथ ट्यूमर
-एंजियोसारकोमा
सारकोमा रोग की पहचान-
सारकोमा रोग की पहचान करने के लिए एक्स-रे, सीटी, एमआरआई और पेट स्कैन जांच के साथ मरीज की हिस्ट्री की पड़ताल और शारीरिक जांच की जाती है। पहचान को पक्का करने और सबटाइप के बारे में जानने के लिए बायोप्सी करना ज़रूरी होता है।
सारकोमा रोग का इलाज-
सारकोमा रोग का इलाज बीमारी की स्टेज पर निर्भर करता है। सबटाइप, पैदा होने की जगह और फैलाव के आधार पर सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी के अलग-अलग तरह के मेल का उपयोग किया जा सकता है।
यदि सही स्टेज में पता चल जाए तो सार्कोमा का इलाज ही नहीं इसे पूरी तरह से ठीक भी किया जा सकता है। ऐसे में किसी व्यक्ति में ऊपर बताए लक्षण दिखाई दें, तो उसे इलाज के लिए किसी विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
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