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बच्चों को बोतल से दूध पिलाने के ये हैं 5 साइडइफेक्ट्स, जानें क्या हैं बचाव के उपाय

Side Effects Of Bottle Feeding: कई मामलों में मां के दूध में कमी होने या फिर मां का दूध नहीं बनने पर चिकित्सक बच्चों को बोतल या बाहर का दूध पीने की सलाह भी दे देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं बोतल से

बच्चों को बोतल से दूध पिलाने के ये हैं 5 साइडइफेक्ट्स, जानें क्या हैं बचाव के उपाय
Manju Mamgainलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीTue, 29 Nov 2022 11:24 AM

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Side Effects Of Bottle Feeding: नवजात शिशु के पूर्ण विकास के लिए कम से कम 6 महीने तक उसे मां का दूध पीलाने की सलाह दी जाती है। लेकिन कई मामलों में मां के दूध में कमी होने या फिर मां का दूध नहीं बनने पर चिकित्सक बच्चों को बोतल या बाहर का दूध पीने की सलाह भी दे देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं बोतल से दूध पीने के कई नुकसान भी होते हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में।  

मोटापा-
ब्रेस्‍ट मिल्‍क में शिशु के विकास के लिए जरूरी कई पोषक तत्‍व मौजूद होते हैं लेकिन बोतल में फॉर्मूला मिल्‍क भरकर देने से बच्‍चों में आगे चलकर मोटापे का खतरा बढ़ जाता है।

कमजोर इम्‍यून सिस्‍टम-
मां के दूध में शिशु की इम्‍यूनिटी को मजबूत बनाए रखने वाले सभी पोषक तत्‍व मौजूद होते हैं। जो बोतल में भरकर दिए जाने वाले फॉर्मूला मिल्‍क में नहीं होते हैं। जिसकी वजह से बच्चे को दस्‍त, छाती में इंफेक्‍शन या यूरीन इंफेक्‍श की समस्या हो सकती है।

मां और बच्चे के रिश्ते में पड़ता है असर-
एक अध्ययन के अनुसार बोतल का दूध पीलाने से मां और बच्चे के रिश्ते में दूरियां भी बढ़ने लगती है। स्तनपान करवाने से मां और बच्चे के बीच एक मजबूत रिश्ता बनता है।

डायरिया का खतरा-
बोतल का निप्पल जर्म्स को शरीर के अंदर पहुंचाने का सबसे बड़ा स्त्रोत है। यहां माइक्रोऑर्गैनिस्म (Microorganism) चिपक सकते हैं और दूध पिलाते समय बच्चे के शरीर में प्रवेश कर सकते है। ऐसे में अगर शिशु पहले से ही किसी अन्य बीमारी का शिकार है तो उसे बोतल से दूध पिलाने की वजह से शिशु में डायरिया का खतरा और ज्यादा बढ़ सकता है। 

विकास की गति होती है धीमी-
साल 2020 की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन बोतलों से शिशु को दूध पिलाने से माइक्रोप्लास्टिक एक्स्पोज़र (Microplastic Exposure) हो सकता है। खासकर जब इन बोतलों मे गरम दूध डाला जाए तो इनसे मिक्रोप्लास्टिक रिलीज़ ज़्यादा होता है। यह शिशु की सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकता है। इससे शिशु में विकास की गति भी धीमी हो सकती है। 

बचाव के उपाय-
-दूध की बोतल भरने से पहले उसे अच्छी तरह से धोएं। ताकि किसी भी तरह के बैक्टीरिया बोतल के संपर्क में न आ सकें। 
-बोतल प्लास्टिक की होती है, इसलिए उसमें ज्यादा गर्म दूध डालने से बचें। ऐसा करना बच्चों की सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है।
-बच्चे द्वारा छोड़े हुए दूध को लंबे अंतराल के बाद न दें। 
-एक निर्धारित उम्र के बाद जितना जल्दी हो सके बच्चों की बोतल से दूध पीने की आदत को छुड़वाकर उनमें कप से दूध पीने की आदत डलवा देनी चाहिए।

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