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World Cancer Day 2023: ये हैं मुंह के कैंसर के मुख्य लक्षण, नजरअंदाज करना पड़ सकता है सेहत पर भारी

World Cancer Day 2023: नजरअंदाज करना पड़ सकता है सेहत पर भारीये हैं मुंह के कैंसर के 4 मुख्य लक्षण, नजरअंदाज करना पड़ सकता है सेहत पर भारीये हैं मुंह के कैंसर के 4 मुख्य लक्षण, नजरअंदा

World Cancer Day 2023: ये हैं मुंह के कैंसर के मुख्य लक्षण, नजरअंदाज करना पड़ सकता है सेहत पर भारी
Manju Mamgainमंजू ममगाईं,नई दिल्लीTue, 31 Jan 2023 01:35 PM
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World Cancer Day 2023: दुनियाभर में हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। इस खास दिन को मनाने के पीछे लोगों को कैंसर के प्रति जागरूक (cancer awareness) करने का उद्देश्य है। दुनिया में व्याप्त जानलेवा और खतरनाक रोगों में कैंसर का नाम भी शामिल है। बता दें, कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। चिंता की बात यह है कि यह शरीर के एक हिस्से से किसी भी दूसरे हिस्से में बड़ी ही आसानी से फैल सकता है। 

शरीर के किसी एक हिस्से में सबसे पहले होने वाले कैंसर को प्राइमरी ट्यूमर कहते है। जिसके बाद शरीर के दूसरे हिस्सों में होने वाला ट्यूमर मैटास्टेटिक या सेकेंडरी कैंसर कहलाता है। अगर पहली स्टेज में कैंसर का पता चल जाता है तो काफी हद तक संभावना को पीड़ित को बचाया जा सकता है।

हर साल अलग-अलग प्रकार के कैंसर के कारण लाखों लोगों की मौत हो जाती है। मुंह का कैंसर (Oral Cancer) भी ऐसा ही एक तेजी से बढ़ता खतरा है। भारत में हर साल मुंह के कैंसर के लगभग 77,000 नए मामले सामने आते हैं और इस कैंसर के कारण 52,000 लोगों की मौत हो जाती हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, मुंह का कैंसर मौखिक गुहा के किसी भी हिस्से में विकसित हो सकता है। होंठ, जीभ, गालों की अंदरूनी परत, मुंह के ऊपरी हिस्से आदि यह कहीं भी हो सकता है जिसके बारे में सभी लोगों को विशेष सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता होती है।

कैसे होता है मुंह का कैंसर-
मुंह का कैंसर आपके ओरल कैविटी में स्क्वैमस सेल्स में शुरू होता है। सामान्य स्क्वैमस कोशिकाएं तब कैंसरग्रस्त हो जाती हैं जब उनका डीएनए बदल जाता है। हालांकि इस तरह का बदलाव क्यों होता है इस बारे में स्पष्ट नहीं है। कुछ अध्ययन इस बात पर भी जोर देते हैं कि जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है उनमें भी इस प्रकार के कैंसर के विकसित होने का जोखिम अधिक हो सकता है। डॉक्टरों ने कई ऐसे कारकों की पहचान की है जो मुंह के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं, इस बारे में सभी लोगों को सावधानी बरतते रहने की सलाह दी जाती है।

किस वजह से होता है मुंह का कैंसर? 
डॉ. मोहित शर्मा, सीनियर कंसल्टेंट एवं एचओडी, मेडिकल ऑन्कोलॉजी (फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल, फरीदाबाद) के अनुसार आमतौर पर यह बता पाना मुश्किल है कि किसी व्यक्ति को कैंसर क्यों होता है। लेकिन मुंह के कैंसर जो मुख्य वजह बताई जाती हैं वो हैं-
- धूम्रपान (सिगरेट, सिगार या पाइप) या धूम्ररहित तंबाकू (नसवार और चबाने वाले तंबाकू) का इस्तेमाल करना। 
- असुरक्षित ओरल सेक्स करने की वजह से ह्यूमर पापीलोमा वायरस संक्रमण। 
-अगर कोई धूम्रपान करता है या पहले धूम्रपान करता रहा है, तो उनमें ऐसे लोगों के मुकाबले मुंह का कैंसर होने का खतरा ज़्यादा होता है जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया है। 

मुंह के कैंसर का जोखिम ज़्यादा होने के कुछ अन्य कारण इस प्रकार हैं-

लिंग- 
ऑस्ट्रेलिया में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में मुंह का कैंसर होने का खतरा तीन गुना ज़्यादा होता है।

उम्र - 
ज़्यादातर मामलों में (करीब 90 फीसदी) मुंह का कैंसर 50 वर्ष से ज़्यादा उम्र के लोगों में होता है।

पहले भी मुंह का कैंसर होना- 
सुपारी का इस्तेमाल करना - मुंह का कैंसर एशिया के ज़्यादातर हिस्सों में बहुत ही सामान्य है जहां सुपारी चबाई जाती है। 

मुंह के कैंसर के लक्षण-
-मुंह में हुआ घाव (अल्सर या फोड़े जैसा) या गांठ जो खत्म नहीं हो रहा हो।
- मुंह या कान में दर्द।
- मसूड़ों, जीभ या मुंह में सफेद या लाल धब्बे।
- मुंह में असामान्य रूप से खून निकलना या सून्न होना।
- खाना चबाने या निगलने में या जीभ हिलाने में परेशानी होना।
- मुंह खोलने में दिक्कत होना।
- गले में गांठ।
- दांतों या डेंचर का ढीला होना जो ठीक न किए जा सके। 
-ज़्यादातर मामलों में ये लक्षण मुंह के कैंसर के नहीं होते हैं। हालांकि, कुछ हफ्तों से ज़्यादा समय तक आपको ये लक्षण देखने को मिलें, तो जितना जल्दी संभव हो अपने डॉक्टर से बात करें । 

मुंह के कैंसर से बचाव-
मुंह के कैंसर की पहचान बायोप्सी से की जाती है। इसमें कैंसर से छोटा हिस्सा (सैंपल) लिया जाता है। इसके बाद सैंपल को कैंसर सेल्स की जांच करने के लिए माइक्रोस्कोप से जांचा जाता है। कई बार बीमारी के स्तर का पता लगाने लिए कई बार सीटी स्कैन या पीईटी-स्कैन की ज़रूरत भी पड़ सकती है।

कैंसर का पता लगने के बाद, इस मामले के बारे में हेड एंड नेक कैंसर एमडीटी (मल्टी डिसिप्लिनरी टीम) में चर्चा की जाती है। इस टीम में ऐसे विशेषज्ञ शामिल होते हैं जो डायग्नोसिस और टेस्ट की समीक्षा की जाती है और रोगी के उपचार व तबियत में सुधार के बारे में विचार किया जाता है। 

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