World Heart Day 2022: तेजी से हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हो रहे हैं 30-35 साल के युवा, ये है वजह World Heart Day 2022: know why heart attack and brain stroke is so common in young age Heart arrhythmia, हेल्थ टिप्स - Hindustan
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World Heart Day 2022: तेजी से हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हो रहे हैं 30-35 साल के युवा, ये है वजह

कोरोना से गंभीर रूप से बीमार हुए लोगों में दिल के दौरे और ब्रेन स्ट्रोक का जोखिम अधिक रहता है। कोरोना के बाद धड़कन असामान्य होना, दिल की मांसपेशियों का कमजोर होना, पैरों से खून का थक्का बनकर फेफड़ों त

Manju Mamgain प्रमुख संवादादाता, नई दिल्लीThu, 29 Sep 2022 07:37 AM
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World Heart Day 2022: तेजी से हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हो रहे हैं 30-35 साल के युवा, ये है वजह

World Heart Day 2022: बीते एक साल में जवान लोगों में दिल का दौरा पड़ने के मामलों की संख्या बढ़ी है। हाल ही में हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव हों, अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला या दक्षिण भारतीय फिल्मों के अभिनेता पुनीत राजकुमार, इनकी दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी।

कई अध्ययनों के मुताबिक, कोरोना संक्रमण और लोगों की खराब जीवनशैली इसकी बड़ी वजह के रूप सामने आई है। एम्स के ह्रदय रोग विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर अंबुज रॉय का कहना है कि कोरोना से गंभीर रूप से बीमार हुए लोगों में दिल के दौरे और ब्रेन स्ट्रोक का जोखिम अधिक रहता है। कोरोना के बाद धड़कन असामान्य होना, दिल की मांसपेशियों का कमजोर होना, पैरों से खून का थक्का बनकर फेफड़ों तक पहुंचना आदि लक्षण अधिक देखे गए हैं। ऐसे में अपने ब्लडप्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की समय- समय पर जांच कराते रहें।

दिल की सूजन का खतरा 20 गुना-
नेचर पत्रिका में छपे एक लेख में बताया गया है कि कोरोना संक्रमित जो लोग आईसीयू में भर्ती हुए, उनमें दिल की सूजन का खतरा 20 गुना तक बढ़ गया है। उनका दिल कम से कम एक साल के लिए गंभीर खतरे की जद में है। इतना ही नहीं जो लोग कोविड में गंभीर रूप से बीमार नहीं हुए और होम आइसोलेशन में ही ठीक हो गए उनमें भी दिल का दौरा पड़ने का खतरा आठ गुना तक ज्यादा है।

जानें क्यों है खतरनाक-
-कोरोना कोशिकाओं के ऐसे प्रोटीन से चिपकता है जो दिल में पहुंचते हैं।
-चपेट में आने वाले लोगों में खून का थक्का जमने के मामले अधिक।
- दो सप्ताह बाद खून का थक्का जमने का जोखिम 167 फीसदी ज्यादा।

तेजी से कार्डियक एरिथमिया के शिकार हो रहे हैं 30-35 वर्ष के युवा

तीस से 35 वर्ष के युवाओं की धड़कन की रफ्तार बढ़ रही है। युवाओं की धड़कन 60 से 100 प्रति मिनट की जगह 180 से 200 प्रति मिनट तक चल रही है। डॉक्टरों का कहना है कि युवा तेजी से कार्डियक एरिथमिया के शिकार हो रहे हैं। इस बीमारी में धड़कन सामान्य तरीके से नहीं चलती है। मुजफ्फरपुर के एसकेएसमीएच और दूसरे अस्पतालों में 20 प्रतिशत मरीज इस बीमारी के पहुंच रहे हैं। अस्पताल के डॉ. अमित कुमार ने बताया कि तेज धड़कन की बीमारी ठीक होने में लगभग 15 दिन का वक्त लग जाता है। उनके पास रोज तेज धड़कन की शिकायत के मरीज पहुंचते हैं। इनमें 40 वर्ष से नीचे के युवा भी रहते हैं।

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