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सलमान खान को ऑमलेट खाने में लगता था डेढ़ घंटा...जानें क्या है ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया बीमारी, लक्षण और सावधानी

सलमान खान को ऑमलेट खाने में लगता था डेढ़ घंटा...जानें क्या है ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया बीमारी, लक्षण और सावधानी

संक्षेप: Trigeminal Neuralgia Disease : सलमान खान ने बताया कि उन्होंने अपनी रियल लाइफ में साढ़े सात साल तक एक ऐसा दर्द झेला है, जिसे वो अपने सबसे बड़े दुश्मन के लिए भी नहीं चाहते हैं। नाश्ते की टेबल पर उन्हें एक ऑमलेट खाने में लगभग डेढ़ घंटा लग जाता था,क्योंकि वो दर्द की वजह से कुछ भी चबा तक नहीं पाता थे।

Mon, 29 Sep 2025 01:34 PMManju Mamgain लाइव हिन्दुस्तान
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Salman Khan suffered from neuralgia disease : बॉलीवुड के दबंग खान, सलमान ने अपनी रील लाइफ ही नहीं बल्कि रियल लाइफ में भी कई समस्याओं का सामना बिना डरे साहस के साथ किया है। जिसका जिक्र हाल ही में सलमान खान ने काजोल और ट्विंकल खन्ना के ओटीटी प्लेटफॉर्म प्राइम वीडियो पर प्रसारित होने वाले शो 'टू मच विद काजोल-ट्विंकल' में भी किया। इस शो में खास मेहमान बनकर पहुंचें सलमान खान ने मस्ती करते हुए फैंस को बताया कि उन्होंने अपनी रियल लाइफ में साढ़े सात साल तक एक ऐसा दर्द झेला है, जिसे वो अपने सबसे बड़े दुश्मन के लिए भी नहीं चाहते हैं। नाश्ते की टेबल पर उन्हें एक ऑमलेट खाने में लगभग डेढ़ घंटा लग जाता था,क्योंकि वो दर्द की वजह से कुछ भी चबा तक नहीं पाता थे। सलमान खान ने बताया कि उन्हें ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया (Trigeminal Neuralgia) रोग था। यह खबर सुनते ही सलमान खान के फैंस यकीनन इस रोग के बारे में पूरी जानकारी लेना चाहते होंगे। ऐसे में फोर्टिस हॉस्पिटल, फरीदाबाद में न्यूरोलॉजी और न्यूरोवास्कुलर इंटरवेंशन के निदेशक, डॉ. विनीत बंगा से जानते हैं आखिर क्या है ट्राइजेमिनल न्यूरलजिया की समस्या, लक्षण, कारण और सावधानियां।

डॉ. विनीत बंगा के अनुसार चेहरे में अचानक होने वाला झटकेदार, चुभन भरा या जलन जैसा दर्द अक्सर लोगों को दांत दर्द, माइग्रेन या साइनस की समस्या लग सकता है। लेकिन कई मामलों में यह ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया (Trigeminal Neuralgia) नामक एक गंभीर तंत्रिका रोग होता है, जिसकी सही पहचान और समय पर इलाज बेहद जरूरी है।

क्या है ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया रोग?

ट्राइजेमिनल न्यूरलजिया, जिसे टिक डौलोरेक्स के नाम से भी जाना जाता है, ये एक प्रकार का क्रॉनिक दर्द विकार है। इस समस्या से पीड़ित रोगी के चेहरे पर अचानक और गंभीर रूप से बिजली के झटके जैसा या जलन भरा दर्द महसूस होने लगता है, जो कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनटों तक रह सकता है। बता दें, यह बीमारी ट्राइजेमिनल नामक तंत्रिका के प्रभावित होने की वजह से होती है। ये तंत्रिकाएं चेहरे में संवेदनशीलता बनाने चबाने जैसे मोटर कार्यों के लिए जिम्मेदार है। अक्सर इस दर्द को लोग दांत की समस्या, माइग्रेन, साइनस या जबड़े के दर्द से जोड़कर देखने लेगते हैं, जिसकी वजह से कई बार रोग के उपचार में देरी हो जाती है। कई मरीज सालों तक गलत इलाज करवाते रहते हैं। MRI और विशेषज्ञ न्यूरोलॉजिस्ट कीजांच से इस रोग की सटीक पहचान की जा सकती है।

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के कारण

-नस पर रक्त वाहिका का दबाव।

-मल्टीपल स्क्लेरोसिस जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारियां।

-चोट या सर्जरी के बाद नस को नुकसान।

-कई बार बिना वजह भी यह बीमारी हो सकती है।

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के शुरुआती लक्षण

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के शुरुआती लक्षण हल्के होते हैं, लेकिन इन्हें नजरअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है। जैसे-

-चेहरे में झनझनाहट या सुई चुभने जैसा अहसास।

-हल्की हवा, ठंडी-गर्म चीजें, दांत साफ करना, बोलना या चबाना शुरू करने पर दर्द।

-दर्द अक्सर चेहरे के एक ही हिस्से में होना।

-दर्द बहुत तेज और असहनीय होना, लेकिन अचानक गायब भी हो जाना।

अगर यह दर्द बार-बार हो रहा है, तो तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि जल्दी पहचान होने पर इलाज आसान और प्रभावी होता है।

रोजमर्रा की जिंदगी में ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के दर्द को कैसे संभालें?

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के साथ जीना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन कुछ सावधानियों से दर्द को कम किया जा सकता है-

-ठंडी हवा और तेज ब्रशिंग से बचें

-कठोर और ज्यादा चबाने वाले भोजन से परहेज करें।

-दवाएं समय पर लें और डॉक्टर की सलाह का पालन करें।

-मानसिक शांति के लिए योग, ध्यान और हल्की एक्सरसाइज करें।

-परिवार का सहयोग और समझ बेहद महत्वपूर्ण है।

-मुलायम ब्रश और गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें।

ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया के इलाज के विकल्प

इस रोग का प्राथमिक इलाज दवाइयों से किया जाता है, जो नसों से जुड़े दर्द को नियंत्रित करती हैं।लेकिन जब दवाएं भी असर नहीं करतीं, तो रोग ठीक करने के लिए कई आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया जाता है, जैसे-

-सर्जरी

-गामा नाइफ रेडियोथेरेपी

-माइक्रोवैस्कुलर डीकंप्रेशन

-न्यूरोमॉडुलेशन

हाल के वर्षों में इन तकनीकों ने इलाज को और ज्यादा सुरक्षित और सफल बना दिया है।

Manju Mamgain

लेखक के बारे में

Manju Mamgain
मंजू ममगाईं लाइव हिन्दुस्तान में लाइफस्टाइल सेक्शन में चीफ कंटेंट प्रोड्यूसर हैं। मंजू ने अपना पीजी डिप्लोमा भारतीय विद्या भवन, नई दिल्ली और ग्रेजुएशन दिल्ली विश्वविद्यालय से किया हुआ है। इन्हें पत्रकारिता जगत में टीवी, प्रिंट और डिजिटल का कुल मिलाकर 16 साल का अनुभव है। एचटी डिजिटल से पहले मंजू आज तक, अमर उजाला, सहारा समय में भी काम कर चुकी हैं। आज तक में लाइफस्टाइल और एस्ट्रोलॉजी सेक्शन लीड करने के बाद अब मंजू एचटी डिजिटल में लाइफस्टाइल सेक्शन के लिए काम कर रही हैं। और पढ़ें

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