9 महीने बाद धरती पर लौटीं सुनीता विलियम्स को घेर सकते हैं ये रोग, जानें कैसे होगी रिकवरी
- Sunita Williams Return: वैज्ञानिकों के अनुसार, वापस लौटने पर अंतरिक्ष यात्रियों को चलने-फिरने में कठिनाई, थकान महसूस होने के साथ कई अन्य शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं लंबे समय तक बिना गुरुत्वाकर्षण के रहने की वजह से उनकी सेहत पर क्या असर पड़ सकता है।

Sunita Williams Return: भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर 9 महीने 14 दिन के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार पृथ्वी पर लौट आए हैं। बता दें, सुनिता और बुच के साथ क्रू-9 के दो अन्य एस्ट्रोनॉट अमेरिका के निक हेग और रूस के अलेक्सांद्र गोरबुनोव भी थे। उनका ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट भारतीय समयानुसार 19 मार्च को सुबह 3 बजकर 27 मिनट पर फ्लोरिडा के तट पर लैंड हुआ। नासा ने इस सफल वापसी की पुष्टि की है। हालांकि वैज्ञानिकों के अनुसार, वापस लौटने पर अंतरिक्ष यात्रियों को चलने-फिरने में कठिनाई, थकान महसूस होने के साथ कई अन्य शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि माइक्रोग्रैविटी में लंबे समय तक रहने से उनकी सेहत पर क्या असर पड़ेगा।
मांसपेशियों और हड्डियों में कमजोरी
धरती पर गुरुत्वाकर्षण के कारण हमारी मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत बनी रहती हैं। लेकिन अंतरिक्ष में शरीर को वजन सहने की जरूरत नहीं होती। जिसकी वजह से खासतौर पर पैर, पीठ और गर्दन की मांसपेशियां कमजोर पड़ जाती हैं। इसके अलावा अंतरिक्ष में हड्डियों पर दबाव नहीं पड़ता, जिससे बोन डेंसिटी कम हो जाती है और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, हर महीने हड्डियों का घनत्व लगभग 1 प्रतिशत कम हो सकता है। जिसकी वजह से अंतरिक्ष यात्रियों को धरती पर लौटने के बाद खड़े होने, चलने और दौड़ने में कठिनाई महसूस हो सकती है। पूरी ताकत वापस पाने के लिए पावर ट्रेनिंग, कैल्शियम ,विटामिन डी रिच डाइट के साथ महीनों तक थेरेपी भी दी जा सकती है।
सूंघने की क्षमता प्रभावित
अंतरिक्ष में खून का बहाव ऊपर की तरफ होता है, जिससे चेहरा फूलने के साथ नाक बंद होने की संभावना बढ़ जाती है। यह स्थिति व्यक्ति के सूंघने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है। स्पेस में लंबी समय तक रहने से ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है, जिससे नाक के आसपास परतें जमने लगती हैं और धीरे-धीरे गंध पहचानने की क्षमता कम हो जाती है।
खून की कमी
यूनिवर्सिटी ऑफ ओटावा के एक अध्ययन के अनुसार अंतरिक्ष में रहने से खून की लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है। इस शोध में 14 अंतरिक्ष यात्रियों का अध्ययन किया गया, जिसमें पता चला कि अंतरिक्ष में रहने से शरीर में अधिक रेड ब्लड सेल्स नष्ट हो रहे थे। यह कमी पूरे मिशन के दौरान बनी रही और जब वे धरती पर लौटे, तो उनमें कमजोरी और थकान देखी गई। लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम होने से शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह भी प्रभावित होता है, जिससे कमजोरी और सुस्ती महसूस होने लगती है।
ब्लड प्रेशर की समस्या
अंतरिक्ष में खून सिर और छाती की तरफ चला जाता है, जिससे चेहरे पर सूजन आने के साथ पैरों में तरल की कमी होने से वे सिकुड़ जाते हैं। ऐसे में जब अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर लौटते हैं, तो गुरुत्वाकर्षण खून को नीचे की ओर खींचता है, जिससे ब्लड प्रेशर अचानक गिर सकता है और व्यक्ति को चक्कर या बेहोशी हो सकती है।
धरती पर लौटने के बाद कैसी होगी रिकवरी?
नासा अंतरिक्ष यात्रियों को इन चुनौतियों से निपटने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग और रिहैबिलिटेट सेवाएं देता है। इसके अलावा उन्हें विशेष डाइट और एक्सरसाइज भी करवाई जाती है।
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