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जितिया व्रत से पहले महिलाएं क्यों खाती हैं माडुआ की रोटी और मछली? धर्म ही नहीं ये है बड़ी वजह

जितिया व्रत से पहले महिलाएं क्यों खाती हैं माडुआ की रोटी और मछली? धर्म ही नहीं ये है बड़ी वजह

संक्षेप: Jivitputrika Fasting Rules : ज्यादातर लोग अन्य व्रत से पहले जब नॉनवेज खाना अवॉइड करते हैं, तो जितिया व्रत में एक दिन पहले मछली और माडुआ की रोटी खाने की परंपरा आखिर क्यों है। आइए जानते हैं यह परंपरा धार्मिक मान्यताओं और वैज्ञानिक कारणों से कैसे जुड़ी हुई है।

Fri, 12 Sep 2025 10:41 PMManju Mamgain लाइव हिन्दुस्तान
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देशभर में महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए जितिया व्रत 2025 रखने वाली हैं। जितिया व्रत को जीवित्पुत्रिका व्रत 2025 भी कहा जाता है। यह व्रत खासतौर पर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मिथिला क्षेत्र की महिलाओं द्वारा अपने बच्चों की खुशहाली के लिए रखा जाता है। जितिया व्रत (jitiya 2025) को बेहद कठिन निर्जला व्रत माना जाता है। जिसमें महिलाएं 24 घंटे या कभी-कभी उससे भी अधिक समय तक जल ग्रहण नहीं करती हैं। बता दें, जितिया व्रत की शुरुआत 'नहाय-खाय' के दिन से होती है। इस व्रत से जुड़ी एक और खास बात यह है कि उपवास के एक दिन पहले महिलाएं माडुआ की रोटी और मछली खाती हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि ज्यादातर लोग अन्य व्रत से पहले जब नॉनवेज खाना अवॉइड करते हैं, तो जितिया व्रत में एक दिन पहले मछली और माडुआ की रोटी खाने की परंपरा आखिर क्यों है। आइए जानते हैं यह परंपरा धार्मिक मान्यताओं और वैज्ञानिक कारणों से कैसे जुड़ी हुई है।

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जितिया व्रत से पहले माडुआ की रोटी और मछली खाने के पीछे धार्मिक मान्यता

जितिया व्रत की कथा चील-सियार (गरुड़ और लोमड़ी) से जुड़ी हुई है, जिसमें मछली को शुभ और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। मिथिला क्षेत्र में मछली को उर्वरता, समृद्धि और संतान के फलने-फूलने का प्रतीक माना जाता है। यही वजह है कि व्रत से ठीक एक दिन पहले मछली का सेवन शुभ माना जाता है, जो इस व्रत की कठिनाई को सहने की शक्ति प्रदान करता है। हालांकि, सनातन धर्म में आमतौर पर व्रत से पहले मांसाहार वर्जित होता है, लेकिन जितिया की यह अनोखी परंपरा लोक मान्यताओं पर आधारित है। जो महिलाएं शाकाहारी हैं वो मछली की जगह पनीर या नोनी साग का सेवन कर सकती हैं। मछली के अलावा माडुआ की रोटी को भी धार्मिक प्रतीक के रूप में देखा जाता है। नहाय-खाय के दिन माडुआ की रोटी खाकर व्रत की शुरुआत होती है, और व्रत समाप्ति (पारण) के बाद भी इसे ही खाया जाता है। यह परंपरा संतान की रक्षा और पारिवारिक सुख के लिए की जाती है। लोक कथाओं में माडुआ को ऊर्जा और शक्ति का स्रोत बताया गया है, जो माताओं को व्रत के दौरान ऊर्जा देता है।

माडुआ की रोटी और मछली खाने के पीछे वैज्ञानिक कारण

मछली खाने के फायदे

मछली प्रोटीन, सोडियम, विटामिन A और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होती है। जितिया के निर्जला व्रत के कारण महिला के शरीर में डिहाइड्रेशन और प्रोटीन की कमी हो सकती है, लेकिन व्रत से पहले मछली खाने से शरीर को पर्याप्त प्रोटीन मिल जाता है, जो मांसपेशियों को मजबूत रखता है। मछली में मौजूद सोडियम डिहाइड्रेशन से बचाव करता है, जबकि विटामिन A इम्यूनिटी बढ़ाता है। मछली पौष्टिक और स्वादिष्ट होती है, जो व्रत की कठिनाई से लड़ने के लिए शरीर को तैयार करती है।

माडुआ रोटी के फायदे

माडुआ एक सुपरफूड है, जो कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, कैल्शियम, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। यह व्रत के दौरान शरीर को लंबे समय तक ऊर्जा प्रदान करता है, पाचन सुधारता है और भूख-प्यास को नियंत्रित रखता है। व्रत से पहले और बाद में माडुआ रोटी खाने से शरीर में ऊर्जा का स्तर अच्छा बना रहता है, व्यक्ति को थकान महसूस नहीं होती और निर्जला व्रत रखना आसान हो जाता है। माडुआ ग्लूटेन-फ्री होने की वजह से पेट के लिए भी हल्का होता है।

सलाह

यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करती है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। बावजूद इसके यदि आपको पहले से ही कोई स्वास्थ्य समस्या है तो व्रत रखने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

Manju Mamgain

लेखक के बारे में

Manju Mamgain
मंजू ममगाईं लाइव हिन्दुस्तान में लाइफस्टाइल सेक्शन में चीफ कंटेंट प्रोड्यूसर हैं। मंजू ने अपना पीजी डिप्लोमा भारतीय विद्या भवन, नई दिल्ली और ग्रेजुएशन दिल्ली विश्वविद्यालय से किया हुआ है। इन्हें पत्रकारिता जगत में टीवी, प्रिंट और डिजिटल का कुल मिलाकर 16 साल का अनुभव है। एचटी डिजिटल से पहले मंजू आज तक, अमर उजाला, सहारा समय में भी काम कर चुकी हैं। आज तक में लाइफस्टाइल और एस्ट्रोलॉजी सेक्शन लीड करने के बाद अब मंजू एचटी डिजिटल में लाइफस्टाइल सेक्शन के लिए काम कर रही हैं। और पढ़ें

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