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खाने में गलत तेल का चुनाव बिगाड़ सकता है सेहत, यहां जानें आपके लिए क्या है सही

Cooing Oils: खाना बनाना तो पसंद है, पर सारा खेल सही तेल के चुनाव के मामले में आकर बिगड़ जाता है। कैसे चुनें र्कुंकग ऑयल ताकि स्वाद और सेहत दोनों का संतुलन बना रहे, बता रही हैं स्वाति गौड़

Kajal Sharma हिंदुस्तान, नई दिल्लीFri, 19 Jan 2024 06:55 PM
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खाने में गलत तेल का चुनाव बिगाड़ सकता है सेहत, यहां जानें आपके लिए क्या है सही

सेहत का चाहे जितना मर्जी हवाला दिया जाए, लेकिन सच यही है कि खाने में जायका बढ़ाने के लिए तेल की जरूरत पड़ती ही है। असल में तेल में पके खाने की खुशबू और रंगत उबले या कच्चे खाने की तुलना में कहीं ज्यादा लुभावनी होती है। हालांकि तेल की मात्रा को अपनी इच्छानुसार कम या ज्यादा किया जा सकता है, लेकिन उससे पहले सही तेल चुनने की दुविधा बहुत परेशान करती है। बाजार में जैतून से लेकर सरसों के तेल तक के इतने प्रकार और ब्रांड मौजूद हैं कि अपने परिवार के लिए खाना पकाने के लिए सही तेल का चुनाव ही बहुत कठिन काम लगता है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रत्येक र्कुंकग ऑयल की अपनी खूबियां और गुण होते हैं, जो हमारी अच्छी सेहत के लिए बहुत जरूरी हैं। इसलिए हमेशा एक ही प्रकार के तेल का इस्तेमाल करने के बजाय बदल-बदल कर अलग-अलग प्रकार के र्कुंकग ऑयल का इस्तेमाल करना चाहिए। लेकिन सही तेल के चुनाव से पहले यह जान लेना भी जरूरी है कि खाना पकाने का तेल तैयार कैसे होता है? 

कैसे बनता है तेल?
रिफाइंड ऑयल, एक्स्ट्रा वर्जिन ऑयल या कोल्ड प्रोसेस्ड ऑयल खाना पकाने के तेलों के कुछ प्रकार हैं, जिनका हमारे शरीर पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। दरअसल, खाने योग्य विभिन्न बीजों में विटामिन और मिनरल्स समेत बहुत से अन्य पोषक तत्व होते हैं। पर, इन बीजों से तेल निकालने की प्रक्रिया उनकी पोषकता को प्रभावित कर सकती है। उदाहरण के लिए किसी भी प्रकार के बीजों से निकलने वाला पहला तेल वर्जिन ऑयल कहलाता है, जिसमें सबसे ज्यादा पोषक तत्व होते हैं। लेकिन इन बीजों से और ज्यादा मात्रा में तेल निकालने के लिए जिस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है, उससे तेल की पोषकता नष्ट होती है और तेल विषाक्त बन जाता है।

तेल और वसा का कनेक्शन
खाना पकाने के सभी तेलों में विभिन्न प्रकार के फैट्स अलग-अलग मात्रा में मौजूद होते हैं, जिनके बारे में पूरी जानकारी होना जरूरी है ताकि सही र्कुंकग ऑयल का चुनाव किया जा सके। 

कुकिंग ऑयल में निम्न प्रकार की वसा पाई जाती है:
सैचुरेटेड फैट्स: यह सेहत को नुकसान पहुंचाने वाली वसा की श्रेणी में आता है। वसा संबंधी शरीर की दैनिक जरूरत का मात्र सात फीसदी हमें सैचुरेटेड फैट्स से पूरा करना चाहिए यानी हमें कम मात्रा में सैचुरेटेड फैट्स का सेवन करना चाहिए। फुल क्रीम दूध, मक्खन, पनीर, रेड मीट और फुल क्रीम दूध से बनाया गया दही इसके मुख्य स्रोत हैं।

ट्रांस फैट्स: डिब्बाबंद आहार या प्रोसेस्ड फूड जैसे चिप्स, नमकीन और कुकीज जैसी चीजों में हाइड्रोजेनेटेड ऑयल बहुत ज्यादा होता है। इसके अलावा समोसे, कचौड़ी और पूरी जैसे तले-भुने खाद्य पदार्थों में भी ट्रांस फैट्स की भरमार होती है। इस तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन कम-से-कम करना चाहिए।

मोनोसैचुरेटेड फैट्स: इसे गुड फैट भी कहा जाता  है। विभिन्न तरह के मेवों, जैतून और एवाकाडो में मोनोसैचुरेटेड फैट्स की भरमार होती है। र्बेंकग करते समय बादाम या एवाकाडो ऑयल का इस्तेमाल करना बेहतर होता है। भारतीय र्कुंकग के लिहाज से मूंगफली के तेल को भी अच्छा माना जाता है। सेहत के लिहाज से एक्स्ट्रा वर्जिन ऑयल सबसे बेहतर होता है।

पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स: ओमेगा-3 तथा ओमेगा-6 फैटी एसिड से भरपूर यह फैट अखरोट, चिया सीड्स, फ्लैक्स सीड्स और सालमन मछली में पाए जाते हैं। इस प्रकार के फैट्स दिल की सेहत दुरुस्त बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी होते हैं।

विटामिन भी हों जरूर
जो विटामिन्स हमें विभिन्न खाद्य पदार्थों से प्राप्त होते हैं, वह उनके बीजों से बने तेलों से भी भरपूर मिलते हैं। इसलिए तेल वो चुनें जिसमें विटामिन्स ज्यादा से ज्यादा मात्रा में मौजूद हों। विटामिन-डी हड्डियां मजबूत बनाने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी दुरुस्त रखता है और विटामिन-ए कोशिका विकास तथा आंखों की रोशनी के लिए जरूरी होता है। विटामिन-ई लाल रक्त कोशिका और मांसपेशियों के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है।

समझें स्मोक प्वॉइंट
जिस तापमान तक गर्म होकर किसी तेल से धुआं निकलने लगता है, उसे उस र्कुंकग ऑयल का स्मोक प्वॉइंट कहते हैं। विभिन्न तेलों का स्मोक प्वॉइंट भी अलग-अलग होता है, इसलिए खाना पकाने के विभिन्न तरीकों के हिसाब से ही तेल का चुनाव करना चाहिए। असल में अपने स्मोक प्वॉॅइंट तक गर्म हो जाने के बाद तेल से हानिकारक धुआं और फ्री रेडिकल्स निकलने लगते हैं, इसलिए डीप फ्राईंग के लिए उच्च स्र्मोंकग प्वांइट वाले र्कुंकग ऑयल्स ज्यादा बेहतर माने जाते हैं। एक विशेष बात यह है कि कोई तेल जितना ज्यादा रिफाइंड होगा, उसका स्र्मोंकग प्वॉइंट भी उतना ही ऊंचा होगा।

• पाम ऑइल, सूरजमुखी के बीजों का तेल, लाइट ऑलिव ऑयल, बादाम का तेल और एवाकाडो ऑयल हाई स्र्मोंकग प्वॉइंट वाले तेल होते हैं।
• मूंगफली और सरसों का तेल, कैनोला ऑयल और मैकाडामिया नट ऑयल मीडियम हाई स्र्मोंकग पॉइंट वाले तेल होते हैं, जो र्बेंकग और भूनने के लिहाज से बेहतर होते हैं।
• जिन तेल को बिना गर्म किए ही इस्तेमाल किया जाता है, उन्हें नो हीट ऑयल्स कहते हैं। विभिन्न डिप्स, सलाद ड्र्रेंसग और मेरिनेशन में इस तरह के तेलों का इस्तेमाल किया जाता है।
तरह-तरह के तेल 
• सरसों के तेल में ओमेगा-3 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है और यह भूख भी बढ़ाता है।  इसके इस्तेमाल से सर्दी-जुकाम नहीं  होता। 
• हड्डियों को मजबूती देने में तिल के तेल से बेहतर कुछ नहीं है। इसमें मौजूद पोषक तत्व हड्डियों के विकास के साथ-साथ मानसिक तनाव भी कम करते हैं।
• जैतून के तेल में मौजूद अनसैचुरेटेड फैट कोलेस्ट्रॉल को काबू में रखने के साथ-साथ दिल की सेहत भी बनाए रखता है।  
• त्वचा और बालों की सेहत दुरुस्त रखने के लिए नारियल के तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। इसमें पाया जाने वाला सैचुरेटेड फैटी एसिड शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के साथ कोलेस्ट्रोल पर भी नियंत्रण रखता है।
• विटामिन-ई का काम हमारी आंखों और त्वचा की सेहत बनाए रखना होता है। एवाकाडो ऑयल में विटामिन-ई पर्याप्त मात्रा में होता है, जो आंखों के लिए लाभकारी माना जाता है।
• कैनोला ऑयल में सैचुरेटेड फैट अन्य तेलों के मुकाबले कम होता है, लेकिन ओमेगा-3 और ओमेगा-6 अच्छी मात्रा में पाया जाता है। दिल को दुरुस्त रखने के लिहाज से यह तेल काफी फायदेमंद है।

सर्दियों में क्या चुनें?
शुद्ध देसी घी का इस्तेमाल सर्दियों में विशेष रूप से लाभकारी होता है। शुद्ध देसी घी में विटामिन-ए, सी और ब्यूट्रिक एसिड पाया जाता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने में मदद करता है। साथ ही देसी घी का सेवन कब्ज से भी निजात दिलाता है। ठंडे मौसम में त्वचा के शुष्क और रूखे हो जाने की समस्या में भी देसी घी का सेवन फायदा देता है। लेकिन इसका सेवन संतुलित मात्रा में ही करना चाहिए अन्यथा अपच और मोटापे सहित बहुत सी अन्य परेशानियां भी हो सकती हैं। सर्दियों में सरसों के तेल के सेवन पर भी जोर देना चाहिए। सरसों के तेल की तासीर गर्म होती है जो ठंडे मौसम में शरीर को गर्म रखने में मदद करती है। इसी प्रकार सर्दियों में तिल के तेल तथा मूंगफली के तेल का सेवन भी फायदा देता है। 
(न्यूट्रिशनिस्ट विधि जैन से बातचीत पर आधारित)

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