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ऑफिस में इन बातों का रखें ध्यान तो सहकर्मियों के बीच बढ़ेगा सम्मान

  • ऑफिस में अपनी बात रखने का लहजा एक महिला के करियर ग्राफ पर गहरा असर डालता है। मुखर और स्पष्ट तरीके से ऑफिस में कैसे रखें अपनी बात, बता रही हैं शाश्वती

Kajal Sharma हिन्दुस्तानFri, 30 Aug 2024 09:35 AM
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एक महिला के लिए हर दिन घर से निकलकर समय पर ऑफिस पहुंचना अपने सहकर्मी पुरुषों की तुलना में काफी मुश्किल होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वो सुबह उठकर सिर्फ तैयार होकर ऑफिस के लिए नहीं निकलती। वो ऑफिस निकलने से पहले घर, रसोई और बच्चों से जुड़े ढेरों काम निपटाकर निकलती हैं। समय पर ऑफिस पहुंचकर उनकी चुनौती खत्म नहीं होती। कामकाजी महिलाओं की चुनौती अपनी जिम्मेदारियां पूरी करने से लेकर प्रभावी तरीके से अपनी बात रखने तक जारी रहती है।

उनकी कम्यूनिकेशन के तरीके को ऑफिस में हमेशा उनके स्वभाव से जोड़कर देखा जाता है। यह आम अवधारणा है कि महिलाओं को ऑफिस में प्रभावी तरीके से बात रखने के लिए अपने ऊपर गंभीरता का चोला डालना होगा वर्ना कोई उनकी बात नहीं सुनेगा। यहां मुखरता और आक्रमकता के फर्क को समझना जरूरी है। जहां आक्रामकता कम्यूनिकेशन का नकरात्मक रूप है, वहीं मुखरता सकारात्मक। जब आप दमदार तरीके से अपनी बात कहीं रखती हैं, तो आप ना सिर्फ खुद को बल्कि दूसरों को भी वह सम्मान देती हैं, जिसके वो हकदार हैं। पर, ऑफिस में आपसी संवाद के सही तरीके पर पकड़ बना पाना महिलाओं के लिए आसान नहीं।

कामकाजी महिलाएं अगर नरमी और सामने वाले की भावना का ध्यान रखते हुए अपनी बात कहें, तो उन्हें भावुक कहकर खारिज कर दिया जाता है। वहीं, अगर वो दृढ़ता से अपनी हर बात कहें, तो उन्हें गुस्सैल करार देने वालों की संख्या भी कम नहीं होती। ऑर्गेनाइजेशन साइंस नाम की पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन की रिपोर्ट के मुताबिक महिलाएं अगर टीम मीटिंग में एक साथ आक्रामकता और मुखरता दोनों जाहिर नहीं कर पाती हैं, तो उन्हें अपने सीनियर से नकारात्मक प्रतिक्रिया मिल जाती है। कम्यूनिकेशन के मामले में इस संतुलन को साधने की जद्दोजहद के कारण 37 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 46 प्रतिशत महिलाएं बर्नआउट की शिकायत करती हैं। कैसे सही कम्यूनिकेशन के हुनर से ऑफिस में अपनी शख्सीयत को बनाएं दमदार, आइए जानें:

कीजिए खुद की वकालत

करियर की राह में अगर आपको आगे बढ़ना है, शीर्ष पर पहुंचना है, तो आपको अपनी कार्यक्षमता और स्किल्स के बारे में लोगों को बताना सीखना होगा। आपका काम आपकी कार्यक्षमता के बारे में नहीं बताएगा। आपको खुद यह बात बतानी होगी। अपनी जिम्मेदारियों से ज्यादा काम साल भर करने के बाद बेहतर सैलरी की उम्मीद मन में रखने से बेहतर तरीका यह होगा कि आप अपने बॉस से स्पष्ट रूप से यह बात करें कि आपको क्यों लगता है कि इस साल आपकी सैलरी ज्यादा बढ़नी चाहिए। आप बॉस को यह भी बता सकती हैं कि आपकी वजह से संस्था को क्या-क्या लाभ मिला है। कई बार बॉस को वाकई यह नहीं मालूम होता है कि आप क्या-क्या जिम्मेदारियां निभा रही हैं। ऐसे में स्पष्ट रूप से अपनी बात रखने में कोई बुराई नहीं है।

दमदार भाषा का करें इस्तेमाल

ऑफिस में आप क्या बोलती हैं, इससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि आप उसे किस तरह से बोलती हैं। मैनेजमेंट साइंस नाम की पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक महिलाएं जब बोलते हुए दमदार भाषा का इस्तेमाल करती हैं, जो उनकी बातों को पुरुषों द्वारा कही गई किसी बात या सुझाव जितना ही गंभीरता से लिया जाता है। यानी दमदार भाषा के इस्तेमाल से कार्यस्थल पर लैंगिंक अंतर को कम किया जा सकता है। 

ऑफिस में बात करते वक्त इन बातों को ध्यान में रखें ताकि आपके सहकर्मी की नजर में आपका सम्मान बढ़े:

अपनी मांग को स्पष्ट तरीके से रखें।

मीटिंग में बोलने के लिए अपनी बारी का इंतजार करने की जगह जिस वक्त आपको जो बात सही लगे, वह बोलें।

अपनी कोई भी बात रखते वक्त बार-बार माफी मांगने से बचें।

टकराव से न घबराएं

महिलाएं अलग-थलग पड़ जाने के डर से ऑफिस में आपसी टकराव और बहस से बचने की अपनी ओर से पूरी कोशिश करती हैं। पर, इस बात को हमेशा ध्यान में रखें कि आपसी टकराव और बहस भी ऑफिस में आपकी कार्यक्षमता को बेहतर बनाने में प्रभावी साबित हो सकता है। अलग-अलग विचार किसी समस्या को बिल्कुल नए नजरिये से देखने और उसका समाधान तलाशने में उपयोगी साबित हो सकते हैं। अगर आप इस स्थिति का सामना बेहतर तरीके से कर पाएंगी तो आप ना सिर्फ टीम के सदस्यों के बीच अपनी साख मजबूत कर पाएंगी, बल्कि ऑफिस में एक सेहतमंद माहौल विकसित करने में भी मदद कर पाएंगी।

मुखर होने के फायदे

स्पष्ट संवाद। सेहतमंद रिश्ते और आपसी गलतफहमी की कोई जगह नहीं।

आत्मविश्वास में वृद्धि। मुखर संवाद लोगों को खुद की जरूरतों के लिए बोलने की ताकत देता है।

मुखर होने से आपसी बातचीत के जरिये समस्या का समाधान तलाशने की कुशलता विकसित होती है।

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