चेहरे पर बार-बार निकल आते हैं एक्ने तो गंदी तकिया हो सकती है जिम्मेदार
लंबे समय से क्या आप भी त्वचा से जुड़ी परेशानियां झेल रही हैं? क्या आप भी नियमित रूप से अपने तकिये का कवर नहीं बदलती हैं? अगर इन दोनों सवालों का जवाब हां है, तो आपकी समस्या की जड़ आपके तकिये में छुपी है। क्या है इन दोनों का रिश्ता, बता रही हैं शमीम खान।
सेहत और सुंदरता का राज अक्सर छोटी-छोटी बातों में छिपा होता है, लेकिन हम उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। जैसे अब त्वचा को ही लीजिए, हम उसकी कितनी देखभाल करते हैं ताकि वो स्वस्थ, सुंदर और चमकदार रहे। लेकिन कई बार बहुत पैसा और समय लगाने के बाद भी ऐसा नहीं हो पाता, बल्कि त्वचा की समस्याएं हैं कि खत्म होने का नाम ही नहीं लेतीं। अगर आप भी त्वचा से संबंधित समस्याओं से जूझ रही हैं। आपने सारे घरेलू नुस्खे और कॉस्मेटिक्स इस्तेमाल कर लिए, पर समस्या जस की तस बनी हुई है तो अब हर सप्ताह तकिये का कवर बदलकर देखिए।
क्यों बदलें तकिये का कवर?
रात में जब आप सात से आठ घंटे की नींद लेती हैं, इस दौरान आपकी त्वचा तकिये के कवर के सीधे संपर्क में रहती है। इसलिए ये बहुत जरूरी है कि आप जब सोएं तो आसपास का वातावरण साफ और स्वस्थ हो। इसके लिए सप्ताह में एक बार तकिये का कवर बदलना बहुत जरूरी है। साफ-सुथरा कवर त्वचा को धूल, पसीने व तेल के सीधे संपर्क में आने से बचाते हैं।
दिन भर आपके चेहरे पर धूल-मिट्टी, तेल और प्रदूषक जमा होते रहते हैं। सोने से पहले आप अपनी त्वचा पर जो सीरम, क्रीम या लोशन लगाती हैं, वो भी इस पर चिपक जाता है। जब आप रात में आराम करने के लिए तकिये पर सिर रखती हैं तो ये सभी तत्व त्वचा से कवर पर चले जाते हैं। लगातार कई रातों तक ऐसा होने से तकिये के कवर पर बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। रात में कई घंटों तक आपके चेहरे की त्वचा इनके संपर्क में रहती है, जिससे रोमछिद्र बंद हो सकते हैं और मुहांसे हो सकते हैं।
एलर्जी से बचाव
तकिये के कवर में धूल के कण, परागकण और एलर्जी को बढ़ावा देने वाले अन्य तत्व इकट्ठा हो सकते हैं, जो त्वचा की एलर्जी और अस्थमा का कारण भी बन सकते हैं। गंदे तकिये पर सोना आपकी नींद में रुकावट का कारण भी बन सकता है। हर सप्ताह तकिये के कवर बदलने से आपको उस वातावरण को साफ और एलर्जी के कारकों को दूर रखने में सहायता मिलेगी, जिसमें आपको सुकून की नींद मिलेगी, जिसका स्पष्ट असर त्वचा पर नजर आएगा।
एक्ने का खतरा होगा कम
विशेषज्ञों का मानना है कि सप्ताह में एक बार तकिये का कवर बदलने से एक्ने के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। एक ही कवर का लंबे समय तक इस्तेमाल उसे बैक्टीरिया का अड्डा बना सकता है, जिससे एक्ने की समस्या और भी ज्यादा बढ़ जाएगी। तकिये पर इकट्ठा गंदगी आपकी त्वचा पर पहुंचकर रोमछिद्रों को बंद करेगी, जिससे एक्ने की समस्या और ज्यादा बढ़ सकती है। बैक्टीरिया से भरे तकिये पर रात भर सोने से आपकी त्वचा की एलर्जी की समस्या भी बढ़ सकती है। अगर सुबह उठते ही आपको अपने चेहरे पर लालिमा नजर आती है, तो यह इस बात का संकेत है कि आपका तकिया त्वचा को नियमित रूप से नुकसान पहुंचा रहा है।
संतुलित रहेगी त्वचा की नमी
आप इस बात को मानें या ना मानें, पर तकिये के कवर में इस्तेमाल होने वाला फैब्रिक हमारी त्वचा की नमी की मात्रा को सीधे प्रभावित करता है। अमूमन हम सब सूती कपड़े से बने तकिये के कवर का इस्तेमाल करते हैं। पर, क्या आप यह बात जानती है कि सूती कपड़ा रात भर में हमारी त्वचा से सारी नमी को सोखकर उसे सुबह तक रूखा बना देता है? साटन या फिर सिल्क फैब्रिक वाले लिहाफ त्वचा की नमी को नहीं सोखेंगे और सुबह जब आप उठेंगी तो आपकी त्वचा रात जैसी ही नर्म और मुलायम रहेगी। फैब्रिक की परवाह ना भी की जाए तो लिहाफ को नियमित रूप से बदलना त्वचा की सेहत के लिए जरूरी है।
(डॉ. रूबेन भसीन पासी, कसंल्टेंट - डर्मेटोलॉजी, सीके बिरला हॉस्पिटल, गुरूग्राम से बातचीत पर आधारित)
इन बातों का भी रखें ध्यान
रात में सोने से पहले अपने चेहरे को अच्छी तरह से साफ पानी से धोएं, क्योंकि आपकी गंदी त्वचा आपके तकिये के कवर को भी गंदा कर देगी।
पूरा मेकअप उतारने के बाद ही तकिये पर सिर रखें ताकि मेकअप कवर पर न चिपके।
रात में त्वचा पर आप जो भी सीरम, क्रीम या लोशन लगाएं, उसे थोड़ी देर सूखने दें, ताकि ये त्वचा में अच्छी तरह अवशोषित हो जाएं। यह त्वचा के लिए भी बेहतर रहेगा और तकिये का कवर भी कम गंदा होगा।
तकिये के कवर के लिए अलग-अलग फैब्रिक चुनें क्योंकि हर कपड़े की अपनी खासियत होती है। जैसे कॉटन त्वचा से नमी चुराता है, तो सिल्क और सॉटन त्वचा में नमी बनाए रखते हैं।
इन्हें हल्के गर्म पानी से धोना चाहिए ताकि इन पर लगी सारी गंदगी और बैक्टीरिया निकल जाएं।
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