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किस्सा 1996 का: कैसे बदलता है समय का पहिया, जानिए देवेगौड़ा और राज्यपाल वजुभाई का वो 'गुजरात कनेक्शन'

साल 1996 की बात है। दिन था 18 सितंबर। गुजरात में भाजपा सरकार ने विधानसभा में विश्वास मत जीत लिया। लेकिन 24 घंटों के भीतर यूनाइटेड फ्रेंट के प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति से गुजरात सरकार के बर्खास्त करने...

किस्सा 1996 का: कैसे बदलता है समय का पहिया, जानिए देवेगौड़ा और राज्यपाल वजुभाई का वो 'गुजरात कनेक्शन'
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीThu, 17 May 2018 12:06 PM
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साल 1996 की बात है। दिन था 18 सितंबर। गुजरात में भाजपा सरकार ने विधानसभा में विश्वास मत जीत लिया। लेकिन 24 घंटों के भीतर यूनाइटेड फ्रेंट के प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति से गुजरात सरकार के बर्खास्त करने की सिफारिश कर दी। ये सिफारिश उस रिपोर्ट के आधार पर की गई थी जो कि गुजरात के राज्यपाल ने प्रधानमंत्री को दी थी। तत्कालीन गुजरात बीजेपी अध्यक्ष ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया था। 

जिस प्रधानमंत्री ने गुजरात की बीजेपी सरकार को बर्खास्त करने की सिफारिश की थी वो थे - एचडी देवेगौड़ा। 
और जिस गुजरात प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री के इस निर्णय की जमकर निंदा की थी वो थे - वजुभाई वाला।

लेकिन समय का पहिया पूरी तरह उलट चुका है। वजुभाई वाला कर्नाटक के राज्यपाल हैं और एचडी देवेगौड़ा की पार्टी जनता देल (सेक्युलर) उनके बेटे एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व में कांग्रेस की मदद से राज्य में अपनी सरकार बनाना चाहती है। लेकिन विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने वाली बीजेपी को राज्यपाल वजुभाई वाला ने सरकार बनाने का न्योता दे दिया और बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का वक्त भी दे दिया। 

बीजेपी में आने से पहले वजुभाई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में प्रचारक थे। वह सात बार राजकोट से विधायक रह चुके हैं। राज्य में वित्त, राजस्व जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मदारी वह संभाल चुके हैं। इसके अलावा वह गुजरात विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 

जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा तब वजुभाई वाला ने ही उनके लिए राजकोट सीट छोड़ी थी। जब मोदी मणिनगर से चुनाव लड़ने लगे तो उन्होंने फिर से राजकोट सीट से चुनाव लड़ना शुरू कर दिया। गुजरात में बीजेपी की स्थिति मजबूत बनाने में उनका भी बड़ा योगदान माना जाता है।

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