फोटो गैलरी

Hindi Newsकर्नाटक चुनाव : क्लर्क की नौकरी से कर्नाटक के CM की कुर्सी तक ऐसे पहुंचे येदियुरप्पा

कर्नाटक चुनाव : क्लर्क की नौकरी से कर्नाटक के CM की कुर्सी तक ऐसे पहुंचे येदियुरप्पा

कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस को भारी अंतर से हराकर बीजेपी यहां भी अपनी सरकार बनाने जा रही है। अभी तक आए रुझानों में बीजेपी को बढ़त मिली है। बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार येदियुरप्पा ने नतीज आने...

कर्नाटक चुनाव : क्लर्क की नौकरी से कर्नाटक के CM की कुर्सी तक ऐसे पहुंचे येदियुरप्पा
नई दिल्ली। लाइव हिन्दुस्तानTue, 15 May 2018 01:02 PM
ऐप पर पढ़ें

कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस को भारी अंतर से हराकर बीजेपी यहां भी अपनी सरकार बनाने जा रही है। अभी तक आए रुझानों में बीजेपी को बढ़त मिली है। बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार येदियुरप्पा ने नतीज आने के पहले ही इस बात का दावा कर दिया था कि कर्नाटक में बीजेपी की सरकार बनने वाली है। 17 तारीख को वो सीएम पद की शपथ लेंगे। येदियुरप्पा का ये दावा सच होता दिखाई दे रहा है। मुख्यमंत्री पद पर काबिज येदियुरप्पा का राजनीतिक सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है। चावल की मील में काम करने वाला एक शख्स मुख्यमंत्री की कुर्सी तक कैसे पहुंचा जानें :

येदियुरप्पा का जन्म 27 फरवरी 1943 में मांड्या जिले के बुकानाकेरे में लिगांयत परिवार में हुआ। 1965 में सामाजिक कल्याण विभाग में क्लर्क के रूप में नियुक्त येदियुरप्पा  नौकरी छोड़कर शिकारीपुरा चले गए। वहां उन्होंने वीरभद्र शास्त्री की शंकर चावल मिल में एक क्लर्क के रूप में काम किया। 1970 में उन्होंने सार्वजनिक सेवाएं शुरू की, जिसके बाद उन्हें 1972 में शिकारीपुर तालुक जनसंघ का अध्यक्ष चुना गया। 

1977 में जनता पार्टी का सचिव बनने के बाद वह पूर्णरूप से राजनीति में सक्रिय हो गए। साल 1983 में वह पहली बार विधानसभा पहुंचे। येदियुरप्पा कॉलेज के दिनों में आरएसएस का हिस्सा भी रह चुके हैं। साल 2007 में कर्नाटक  की राजनीति में उलटफेर हुआ जिसके बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। ऐसे में जेडीएस और बीजेपी ने अपने मतभेद दूर किए और मिलकर सरकार बनाई। येदियुरप्पा के लिए यह लकी साबित हुआ और 12 नवंबर 2007 को वह राज्य के मुख्यमंत्री बने।

येदियुरप्पा बीजेपी के ऐसे नेता हैं जिनकी बदौलत बीजेपी ने दक्षिण भारत में ना सिर्फ जीत का स्वाद चखा बल्कि सत्ता पर शासन भी किया। हालांकि, वह ज्यादा दिन तक इस कुर्सी पर बने नहीं रह पाए और जेडीएस से मंत्रालयों के प्रभार को लेकर हुए विवाद के बाद 19 नवंबर 2007 को ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

साल 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने वहां जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए सरकार बनाई और इस बार फिर येदियुरप्पा बीजेपी के चेहरे के तौर पर सीएम बने। लेकिन तीन साल दो महीने का उनका कार्यकाल काफी विवादों में रहा। कथित भूमि घोटाले से लेकर खनन घोटाले तक में उनका नाम आता रहा। इस दौरान लोकायुक्त की रिपोर्ट आने के बाद उनकी कुर्सी चली गई। कुर्सी जाने के बाद येदियुरप्पा ने खुद को बीजेपी से अलग कर दिया। 

रुझानों में बहुमत के बाद BJP खेमे में जश्न, कांग्रेस का EVM पर सवाल

इसके बाद लगा कि वो लिंगायत फैक्टर के साथ अपने बल पर राजनीति करेंगे। लेकिन, बीजेपी को यह समझते देर नहीं लगी कि येदियुरप्पा के बिना राज्य में उसका कोई जनाधार नही रह जाएगा। ऐसे में 2018 में भी बीजेपी ने उन्हें अपना सीएम पद का उम्मीदवार बनाया, और बीजेपी का ये दांव काम कर गया। येदियुरप्पा पर लगाए इस दांव की बदौलत बीजेपी एक बार  फिर कर्नाटक में सरकार बनाने जा रही है। 

कर्नाटक चुनावः दक्षिण में फहराया भगवा, रुझानों में भाजपा को मिला बहुमत

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें