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कर्नाटक का रणः सिद्धरमैया पर कर्नाटक में कांग्रेस का किला बचाने की चुनौती

कर्नाटक में कांग्रेस ने एक बार फिर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया पर दांव लगाया है। मगर, उनके लिए भी इस बार दोहरी चुनौती है। एक तो उन्हें कांग्रेस के कब्जे वाले सबसे बड़े राज्य को विरोधी दल के पाले में जाने...

कर्नाटक का रणः सिद्धरमैया पर कर्नाटक में कांग्रेस का किला बचाने की चुनौती
बेंगलुरु | हिटीFri, 04 May 2018 12:37 PM
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कर्नाटक में कांग्रेस ने एक बार फिर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया पर दांव लगाया है। मगर, उनके लिए भी इस बार दोहरी चुनौती है। एक तो उन्हें कांग्रेस के कब्जे वाले सबसे बड़े राज्य को विरोधी दल के पाले में जाने से रोकना है, वहीं दूसरी ओर पार्टी में खुद की स्थिति भी मजबूत करनी है। इसलिए सिद्धरमैया कोई भी खतरा मोल नहीं लेना चाहते और दो सीटों बादामी और चामुंडेश्वरी से चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि, विपक्षी भाजपा और जेडीएस ने उन्हें हराने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। 

नेतृत्व की उम्मीदों पर खरा उतरना होगा 
सिद्धरमैया वर्ष 2006 में जेडीएस से कांग्रेस में शामिल हुए थे। जब कांग्रेस को 2013 में विधानसभा में बहुमत मिला, तो प्रदेश के पुराने कांग्रेसी नेताओं को दरकिनार कर पार्टी नेतृत्व ने उन्हें राज्य की कमान सौंपी। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी के भीतर से सिद्धरमैया पर होने वाले हमलों के खिलाफ ढाल बनकर डटे रहे। ऐसे में सिद्धरमैया को एक बार फिर शीर्ष नेतृत्व के भरोसो पर खरा उतरना होगा। 

राह आसान नहीं  
बादामी

बंबई कर्नाटक की इस सीट पर भाजपा और जेडीएस ने सिद्धरमैया को टक्कर देने के लिए अपने मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा ने लोकसभा सांसद बी. श्रीरामुलु को प्रत्याशी बनाया है। जबकि, जेडीएस ने लिंगायत नेता हनमंथ माविनमर्द को उतारा है। 

चामुंडेश्वरी

 इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में कुरुबुस जाति के मतदाता हैं, जिससे स्वयं सिद्धरमैया आते हैं। संभवत: इसीलिए उन्होंने यह सीट चुनी है। जेडीएस ने यहां से मौजूदा विधायक जीटी देवेगौड़ा को उतारा है, जो वोक्कालिंगा समुदाय के हैं। वहीं, भाजपा ने यहां से गोपाल राव को प्रत्याशी बनाया है। 

दो बड़ी चुनौतियां
- पांच साल तक सरकार के कामकाज के प्रति लोगों की नाराजगी और खुद उन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप 
- लिंगायतों को अलग धर्म का दर्जा देने के फैसले की प्रतिक्रिया में अन्य समुदायों के एकजुट होने का खतरा 

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ताकत 
- राज्य के हित से जुड़े मुद्दों को केंद्र के समक्ष प्रमुखता से उठाना और पार्टी के भीतर अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखना 
- लिंगायत, कन्नड़ अस्मिता जैसे मुद्दों को राणनीति के तहत उठाने के लिए भी जाने जाते हैं 

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सिद्धरमैया : आखिरी चुनाव
- 12 अगस्त 1948 में जन्में सिद्धरमैया के मुताबिक, इस बार वह आखिरी बार चुनाव लड़ रहे हैं 
- 1983 में वह भारतीय लोक दल के टिकट पर चामुंडेश्वरी सीट से पहली बार विधानसभा पहुंचे 
- 1985 में विधानसभा के मध्यावधि चुनाव में जनता दल के टिकट से दोबारा जीतकर मंत्री बने
- 1989 में पहली बार सिद्धरमैया चुनाव हारे, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एम. राजशेखर मूर्ति ने हराया
- 1992 में जनता दल के महासचिव बने, 1994 में फिर जीतकर राज्य के वित्तमंत्री बने 
- 1996 से 1999 और 2004-2005 में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री पद पर कार्य किया
- 2005 में एचडी देवेगौड़ा से मतभेद पर जेडीएस से निष्कासित, 2006 में कांग्रेस में शामिल
- 2013 में कांग्रेस की जीत के बाद मुख्यमंत्री बने, 2018 में दोबारा दो सीटों से मैदान में मौजूद 

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