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ये वुहान, वो वुहान

भविष्यवाणियां हमारे सिर पर चढ़कर बोलती हैं। कहीं किसी का कहा कहीं सच हो गया तो फिर क्या कहने? वह भविष्यवाणी अगर दूर की कौड़ी भी हो तो भी हम उसे वहां ले जाकर फिट कर देते हैं कि वाह, क्या भविष्यवाणी की...

ये वुहान, वो वुहान
राजीव कटाराTue, 07 Apr 2020 03:01 PM
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भविष्यवाणियां हमारे सिर पर चढ़कर बोलती हैं। कहीं किसी का कहा कहीं सच हो गया तो फिर क्या कहने? वह भविष्यवाणी अगर दूर की कौड़ी भी हो तो भी हम उसे वहां ले जाकर फिट कर देते हैं कि वाह, क्या भविष्यवाणी की है! वुहान 400 के साथ यही हो रहा है।
डीन कूंच अमेरिकी लेखक हैं। थ्रिलर लिखते हैं। कल्पना की उड़ान भरते हैं। उन्होंने करीब 40 साल पहले एक उपन्यास लिखा था, ह्यद आइज ऑफ डार्कनेस।ह्य थ्रिलर पढ़नेवालों ने उसे पढ़ा और वह ठंडे बस्ते में चला गया। करीब एक महीने पहले उस किताब की वापसी हुई। किताब फिर से धड़ाधड़ बिकने लगी। और उस पर एक जबर्दस्त चर्चा शुरू हो गई।
कोरोना वायरस ने दुनिया को बदल कर रख दिया था। चीन के वुहान से इस वायरस का सफर शुरू हुआ था। वुहान की तो हालत खराब हुई ही धीरे-धीरे पूरी दुनिया ही उसकी चपेट में आती चली गई। ऐसा वायरस दुनिया ने देखा ही नहीं था।
तभी किसी को डीन का यह उपन्यास याद आया। वुहान देखते ही उसकी बांछें खिल गईं। और आनन-फानन में उसे जबर्दस्त भविष्यवाणी से जोड़ दिया गया। सोशल मीडिया पर तहलका-सा मच गया। अरे वुहान के इस वायरस पर तो डीन ने पहले ही कह दिया था। अचानक इतिहास के गर्त में चली गई किताब अमेजॉन बेस्टसेलर हो गई।
आज हम जिस सोशल मीडिया की दुनिया में रह रहे हैं, वहां तो एक दो शब्द मिलना ही तहलका मचाने के लिए काफी है। वुहान मिला न! अब उसके बाद क्या चाहिए? इस और उस वुहान में क्या फर्क है? उस पर सोचने की क्या जरूरत?
1981 में जब यह उपन्यास लिखा गया था तब सोवियत संघ निशाने पर था। अमेरिका तब सोवियत संघ से शीत युद्ध लड़ रहा था। ऐसे में लेखक सोवियत संघ को विलेन बनाना चाहता था। वह एक घातक वायरस का जिक्र करता है, जिससे दुनिया खत्म हो सकती है। और उसे नाम देते हैं गोर्की 400। लेकिन एक दौर के बाद सोवियत संघ ही खत्म हो जाता है। तब डीन को कुछ और खुराफात सूझती है। वह अगले संस्करण में उसे वुहान 400 बना देते हैं।
एक बात और डीन का वायरस सीधे दिमाग पर हमला करता है। और अपना शिकार बनाने में उसे महज एक दिन लगता है। यह कोरोना वायरस तो धीरे-धीरे हमला करता है। डीन के वायरस की भविष्यवाणी सही हो गई होती तो आधी दुनिया निबट गई होती अब तक।
यह उपन्यास है। वह भी थ्रिलर है। उसे असल वुहान से जोड़ना ठीक नहीं है। और जो लेखक समय के लिहाज से अपना वायरस बदले लेता हो, उस पर कितना यकीन किया जाए? वह कोई भविष्यवाणी नहीं कर रहे। हां, एक स्मार्ट लेखक जरूर हैं वह।

(लेखक हिन्दुस्तान-कादम्बिनी से जुड़े हुए हैं।)

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