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मेरा वादा कंडीशंस एप्लाइड

हर दिन, हर पल, अपने से एक वादा करता हूं और अपनी ही नजर बचाकर चुपके से तोड़ देता हूं। जिस तरह किसी जमाने में सुरैया गाया करती थीं-‘इस दिल के टुकड़े हजार हुए, कोई यहां गिरा, कोई वहां गिरा... कोई...

मेरा वादा कंडीशंस एप्लाइड
सुधीश पचौरीSat, 04 Apr 2020 06:16 PM
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हर दिन, हर पल, अपने से एक वादा करता हूं और अपनी ही नजर बचाकर चुपके से तोड़ देता हूं। जिस तरह किसी जमाने में सुरैया गाया करती थीं-‘इस दिल के टुकड़े हजार हुए, कोई यहां गिरा, कोई वहां गिरा... कोई यहां गिरा, कोई वहां गिरा...।’ उसी तरह मेरे आसपास मेरे किए वादों  का मलबा पड़ा है और उन्हें बुहारने का न वादा है न इरादा! कारण, कि सबसे बड़ी आफत है वादा करना। ़इतिहास बताता है जो वादे करता है वह मुसीबत में पड़ता है, और जो नहीं करता मजे में रहता है।
जो वादा करता है वो मरता है। आज कांग्रेस का हाल देख लो, न वादा करती न मरती। कल आप ‘आप’ का देखना! वादा वही है जो कभी पूरा नहीं होता। वादे की विडंबना है कि वादा करनेवाला बेवकूफी में वादे को सीरियसली ले लेता है और पब्लिक उसे नॉन सीरियसली लेने लगती है। आपने सड़क बनाई तो वो उसे दो दिन बाद ही खोद डालेगी, आपने नल लगवाया तो शाम तक वह  कबाड़ी बाजार में पहुंच जाएगा। आप समझे कि आपने पूरा किया, लेकिन मालूम  पड़ेगा आपने कुछ नहीं किया है और पब्लिक गाने लगती है :क्या हुआ तेरा वादा, वो कसम वो इरादा... अपना वायदा, दुश्मन का फायदा! इसीलिए कहता हूं कि सब कुछ करना, वायदा न करना! ...वादा करनेवाले के पीछे दुनिया पड़  जाती  है और जो वादा नहीं करते वे मौज में रहते हैं, जैसे अपने लालू! दसियों साल बिन वादा चले, न वादा किया, न परेशान हुए। ज्यों ही चारे का वादा किया घोटाले हो गए। नीतीश को देख लो, वादा किया कि आगे ले जाएंगे बिहार को, और अब पछता रहे हैं कि बिहार को और कितना आगे ले जाएं?
मोदी जी की  मति मारी गई है कि वादा करते फिरते हैं कि सबको गुजराती बना डालूंगा। भारी रिस्क ले रहे हैं श्रीमान! अगर सबको गुजराती न बना पाए तो क्या कीजिएगा! बंगाली, तमिल, तेलुगु, मराठी, मलयाली, हिंदीवाले, भला क्यों बनने लगे गुजराती!
अंग्रेज आए। मनाने के लिए नया साल दे गए। कह  गए  कि अगले साल के लिए वादे करते रहना। खुद तो एक वादा नहीं निभाया। आजादी सन् बयालीस में देनी थी, दी सैंतालीस में और हमसे कह गए नए साल पर वादा करते रहना। अंग्रेज कहें हम न करें, ऐसा नहीं हो सकता। सो, नए साल पर हर बंदा वादा करता है, ‘रिजोल्यूशन’ करता है, कमिट करता है कि ये करूंगा, वो करूंगा। इधर पहली जनवरी बीती उधर रिजोल्यूशन गया तेल लेने!
इसीलिए मैं न ‘रिजोल्यूशन’ करता हूं, न उनका ‘सोल्यूूशन’ करता हूं और मस्त रहता हूं।
अपने आपसे वादा करना सर्वोत्तम टशन है। इकतीस दिसंबर की रात बारह बजे तक पीते रहने के बाद पहली जनवरी के पहले पल में आपने अपने आपसे वादा किया कि कल से पीना छोड़ दूंगा, लेकिन कल फिर चढ़ा ली और फिर कल के लिए कहा कि छोड़ दूंगा और  फिर कल पी ली...इसी कल-कल में साल गुजर गया, तो अगले साल फिर कर लिया...अपने से वादा किया, अपने से तोड़ा किए। किसी का क्या बिगाड़ा?
मैं मानता हूं कि वादा करनेवाले से वादा तोड़नेवाला बड़ा होता है। आप वादा करें तो जम के करें, न निभाने के लिए। कोई कायल करे तो कह दें  कि-‘अबे वादा ही तो किया था, निभाने के लिए कब कहा था?’
नासमझ और समझदार के बीच वादे का ही फर्क है-नासमझ वादा करते हैं, समझदार तोड़ते हैं फिल्में देखिए : 
नायक पहले हाफ में वादा करने की बेवकूफी करता  है। लड़का लड़की से, लड़की लड़के से गाते-बजाते पे्रम का वादा करते हैं और आखिरी हाफ  में इस वादे का नेट नतीजा यह होता है कि बाल-बच्चे होने लगते हैं, घर में मारपीट होने लगती है और मकान और कार की ईएमआई को देते रहने, शाम को टीवी देखने और सुबह अन्ना, केजरीवाल के चक्कर में आदमी एनजीओ-जैसा हो जाता है। न प्रेम का वादा करता, न मारा-मारा फिरता!
सबक है-जिसने वादा किया वो बारहबाट  हुआ!
मिर्जा गालिब तो बहुत पहले कह गए थे-तिरे वादे पे जिए हम तो ये जान झूठ जाना/कि खुशी से मर न जाते गर एतबार होता!
मैं तो इसीलिए वादा नहीं करता, जानता हूं-कसमें-वादे प्यार-वफा सब बिजनेस है, बिजनेस का क्या?  
 

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