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लेवी के पैसों के लिए गुटों में बंटा टीपीसी, जानें अब क्या होगा

चतरा के मगध व आम्रपाली कोल परियोजना में लेवी वसूली के लिए टीपीसी के लोग अलग-अलग गुटों में बंट गए हैं। मगध-आम्रपाली कोल परियोजना में पूर्व में विस्थापितों के नाम पर छह कमेटियां बनायी गई थीं। एक कमेटी...

लेवी के पैसों के लिए गुटों में बंटा टीपीसी, जानें अब क्या होगा
रांची मुख्य संवाददाताWed, 27 May 2020 04:38 PM
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चतरा के मगध व आम्रपाली कोल परियोजना में लेवी वसूली के लिए टीपीसी के लोग अलग-अलग गुटों में बंट गए हैं। मगध-आम्रपाली कोल परियोजना में पूर्व में विस्थापितों के नाम पर छह कमेटियां बनायी गई थीं। एक कमेटी टीपीसी के शीर्ष उग्रवादियों व उसके मध्यस्थों की थी। इस कमेटी के द्वारा साल 2018 तक कोल ट्रांसपोर्टरों से प्रति ट्रक 1200 रुपये की वसूली की जाती थी। 

राज्य पुलिस को अब जो जानकारियां मिली हैं उसके मुताबिक, विस्थापितों के नाम पर फिर से कमेटियों का गठन किया जा रहा है। इन कमेटियों में जगह बनाने के लिए टीपीसी के भीतरखाने ही कई गुट सक्रिय हो गए हैं। वहीं पूर्व में लेवी के तौर पर जिस रकम की उगाही की गई थी, उसके बंटवारे पर भी बीते कुछ महीनों से विवाद शुरू हो गया है। पूर्व में लेवी के जरिए वसूली गई राशि से कई उग्रवादियों ने अचल संपत्ति में निवेश किया था, वहीं एके 47 हथियार की खरीद भी की गई थी। संगठन में वर्चस्व बनाए रखने को लेकर टीपीसी के बीच गुटबाजी हो गई है। मुख्यालय के स्तर पर चतरा पुलिस को पूरे मामले में टीपीसी की गतिविधियों पर नजर रखने व कार्रवाई का आदेश दिया गया है। 

प्रेमसागर मुंडा की हत्या के बाद बढ़ा विवाद: रांची के मोरहाबादी इलाके में टीपीसी से जुड़े प्रेमसागर मुंडा की हत्या कर दी गई थी। आशंका यह जतायी गई थी कि प्रेमसागर के पास संगठन की लेवी के 100 करोड़ रुपये का हिसाब था। तीन मार्च को मोरहाबादी में बाइक सवार अपराधियों ने प्रेमसागर की गोली मार कर हत्या कर दी थी। हालांकि प्रेमसागर की हत्या के बाद टीपीसी के एक गुट ने बयान जारी कर कहा था कि प्रेमसागर की हत्या में टीपीसी का कोई हाथ नहीं है।

अब भी लेवी वसूली में पुराने उग्रवादी सक्रिय : कोल परियोजना में लेवी वसूली करने वाले सीसीएल के अधिकारियों, मध्यस्थ सुभान मियां समेत कई उग्रवादियों की गिरफ्तारी एनआईए के द्वारा की गई थी। लेकिन राज्य पुलिस के आला अधिकारियों की मानें तो लेवी वसूली में अब भी वही लोग शामिल हैं, जो एनआईए के रडार पर रहे हैं। एनआईए के फरार अभियुक्तों के परिजन ही अब भी कोल परियोजनाओं में सक्रिय हैं। गौरतलब है कि इस मामले में अबतक ब्रजेश गंझू, आक्रमण, भीखन गंझू, मुकेश गंझू समेत अन्य उग्रवादियों की तलाश एनआईए व राज्य पुलिस को है।  

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